प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी निलंबन Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/प्रदूषण-नियंत्रण-अधिकारी National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal Mon, 11 Nov 2024 15:29:00 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://vishwavarta.com/wp-content/uploads/2023/08/Vishwavarta-Logo-150x150.png प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी निलंबन Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/प्रदूषण-नियंत्रण-अधिकारी 32 32 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में बड़ा खुलासा! स्लॉटर हाउस एनओसी गड़बड़ी पर कड़ी कार्रवाई https://vishwavarta.com/big-revelation-in-pollution-control-board-strict-action-on-slaughter-house-noc-irregularities/111400 Mon, 11 Nov 2024 15:28:59 +0000 https://vishwavarta.com/?p=111400 “प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्य पर्यावरण अधिकारी विवेक राय और उन्नाव के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. अनिल माथुर को निलंबित कर दिया गया है। स्लॉटर हाउस को NOC देने में गड़बड़ी के आरोप के चलते यह कार्रवाई हुई है। पढ़ें पूरी खबर।” लखनऊ। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दो वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया …

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“प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्य पर्यावरण अधिकारी विवेक राय और उन्नाव के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. अनिल माथुर को निलंबित कर दिया गया है। स्लॉटर हाउस को NOC देने में गड़बड़ी के आरोप के चलते यह कार्रवाई हुई है। पढ़ें पूरी खबर।”

लखनऊ। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दो वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। मुख्य पर्यावरण अधिकारी विवेक राय और उन्नाव के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. अनिल माथुर पर आरोप है कि उन्होंने स्लॉटर हाउस को एनओसी देने में अनियमितता की। इस मामले में राज्य सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए दोनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।

मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तत्कालीन कार्यवाहक अध्यक्ष और एसीएस वन मनोज सिंह को भी प्रतीक्षा सूची में डाले जाने की चर्चा है। यह कार्रवाई स्लॉटर हाउस को दिए गए एनओसी में कथित गड़बड़ियों और पर्यावरण नियमों के उल्लंघन को लेकर की गई है।

क्या है मामला?

सूत्रों के मुताबिक, इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने पर्यावरण मानकों का पालन किए बिना ही स्लॉटर हाउस को NOC जारी कर दी थी। इस वजह से न केवल पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ा, बल्कि स्थानीय लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा पर भी खतरा मंडराने लगा।

राज्य सरकार की सख्त कार्रवाई:

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए तुरंत जांच के आदेश दिए। जांच में आरोप सही पाए जाने पर दोनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया। वहीं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यवाहक अध्यक्ष के खिलाफ भी उच्च स्तर पर चर्चा हो रही है।

पर्यावरण पर प्रभाव:

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की अनियमितताएं स्थानीय पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं। स्लॉटर हाउस से निकलने वाला अपशिष्ट जल और कचरा, अगर सही तरीके से प्रबंधित नहीं होता है, तो यह आसपास के जल स्रोतों और वायु को प्रदूषित कर सकता है।

स्थानीय प्रतिक्रिया:

इस खबर के बाद स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण संगठनों ने प्रशासन की कार्यवाही का स्वागत किया है और मांग की है कि पर्यावरण नियमों का कड़ाई से पालन किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

प्रमुख तथ्य :

1. कार्रवाई की पृष्ठभूमि
उत्तर प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर लापरवाही और अनियमितता का गंभीर आरोप लगा है। स्लॉटर हाउस को NOC देने में हुए इस विवाद में मुख्य पर्यावरण अधिकारी विवेक राय और उन्नाव के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. अनिल माथुर को निलंबित कर दिया गया है।

2. NOC गड़बड़ी के आरोप
सूत्रों के अनुसार, इन अधिकारियों ने पर्यावरण मानकों का ध्यान रखे बिना ही NOC जारी कर दी थी, जिससे आसपास के इलाके में प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी खतरे बढ़ गए थे। इस कारण स्थानीय नागरिकों ने कई बार प्रशासन से शिकायत की थी।

3. पर्यावरण पर असर
स्लॉटर हाउस का अपशिष्ट जल और कचरा सीधे पर्यावरण को प्रभावित कर सकता है, खासकर तब जब इसे उचित रूप से प्रबंधित नहीं किया गया हो। यह जल स्रोतों में प्रदूषण फैला सकता है, जिससे स्थानीय समुदाय को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

4. राज्य सरकार की कार्रवाई और जांच
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत जांच के आदेश दिए, और जांच में अनियमितता पाए जाने पर अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया। एसीएस वन मनोज सिंह को प्रतीक्षा सूची में रखे जाने की चर्चाएं भी तेज हैं।

5. पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता
यह घटना बताती है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए नियमों का कड़ाई से पालन करना कितना जरूरी है। प्रशासन को भी सतर्कता बरतनी चाहिए और ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए नियमित जांच करनी चाहिए।

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रिपोर्ट: मनोज शुक्ल

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