वित्त मंत्री अरुण जेटली ने माना इस साल कम रहेगी विकास दर Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/वित्त-मंत्री-अरुण-जेटली-न National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal Wed, 26 Sep 2018 07:25:19 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://vishwavarta.com/wp-content/uploads/2023/08/Vishwavarta-Logo-150x150.png वित्त मंत्री अरुण जेटली ने माना इस साल कम रहेगी विकास दर Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/वित्त-मंत्री-अरुण-जेटली-न 32 32 वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि बकाया ऋण की वसूली गति पकड़ चुकी है बैंकिंग प्रणाली में अवरुद्ध ऋणों (एनपीए) में कमी आ रही है. उन्हों https://vishwavarta.com/%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%a4-%e0%a4%ae%e0%a4%82%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%85%e0%a4%b0%e0%a5%81%e0%a4%a3-%e0%a4%9c%e0%a5%87%e0%a4%9f%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%a8/96673 Wed, 26 Sep 2018 07:25:19 +0000 http://vishwavarta.com/?p=96673 उन्होंने बैंकों से कहा कि वे धोखाधड़ी करने तथा जान बूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों के खिलाफ कारगर कार्रवाई करें. राजधानी में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शीर्ष अधिकारियों के साथ वार्षिक समीक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से बातें करते हुए जेटली ने कहा कि पिछले कुछ साल सार्वजनिक बैंकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहे हैं …

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उन्होंने बैंकों से कहा कि वे धोखाधड़ी करने तथा जान बूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों के खिलाफ कारगर कार्रवाई करें. राजधानी में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शीर्ष अधिकारियों के साथ वार्षिक समीक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से बातें करते हुए जेटली ने कहा कि पिछले कुछ साल सार्वजनिक बैंकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहे हैं क्योंकि ऋण का एक बड़ा हिस्सा फंस कर एनपीए बन गया था.वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि बकाया ऋण की वसूली गति पकड़ चुकी है बैंकिंग प्रणाली में अवरुद्ध ऋणों (एनपीए) में कमी आ रही है. उन्हों

लेकिन दिवाला एवं ऋणशोधन संहिता (आईबीसी) के अमल में आने से वसूली की गति तेज हुई है. दिवाला संहिता में कर्ज से खड़ी सम्पत्ति नीलाम करने का प्रावधान है. जेटली ने कहा कि वसूली बेहतर हुई है, बैंकों की ऋण देने की क्षमता सुधरी है और इन सबसे ऊपर ऋण कारोबार की वृद्धि दर में भी अच्छा सुधार हुआ है.

उन्होंने कहा कि जहां तक उनके फंसे कर्ज की बात है, इसकी वसूली के लिये प्रयास तेज किये हैं. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैंकों ने पुराने फंसे कर्ज में से 36,551 करोड़ रुपये की वसूली की है. पिछले साल की इसी तिमाही में की गई वसूली के मुकाबले यह राशि 49 प्रतिशत अधिक है. पिछले वित्त वर्ष 2017- 18 में बैंकों ने कुल 74,562 करोड़ रुपये की वसूली की है. 

वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में दिवाला संहिता प्रक्रिया और अन्य रास्तों से वसूली के जरिए बैंकों को 1.8 लाख करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि अब एनपीए को नियंत्रण में रखने पर ध्यान दिया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक बैंक अपनी गैर जरूरी सम्पत्तियों को की बिक्री से और 18 हजार करोड़ रुपये जुटा सकते हैं. 

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को धोखाधड़ी करने और जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों के खिलाफ कारगर कदम उठाने को कहा. इसके साथ ही उन्होंने निरंतर आठ प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल करने का विश्वास जताया. उन्होंने विश्वास जताया कि अर्थव्यवस्था में लिखा-पढ़ी के साथ संगठित ढंग से कारोबार का विस्तार होने से भारत को आठ प्रतिशत की दर से मजबूत आर्थिक वृद्धि हासिल करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ती अर्थव्यवसथा से बैंकों को भी मजबूती से आगे बढ़ने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा इसके विपरीत जहां बैंकों को अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा माना जाता है, वहीं बैंकों को बढ़ती अर्थव्यवस्था की कर्ज जरूरतों को पूरा करने के लिये मजबूत होने की आवश्यकता है.

वित्त मंत्री ने बैंकों से कहा कि वह कर्ज देने का काम पूरी ईमानदारी से करें और बैंकों में पुन: जो भरोसा किया गया है उसे सही साबित करने के लिये धोखाधड़ी करने तथा जान बूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों के खिलाफ कारगर कार्रवाई करें. बैंकों को हर समय ऐसे संस्थान के रूप में दिखना चाहिये जो कि पूरी ईमानदारी और सूझबूझ के साथ कर्ज का वितरण करते हैं.

उन्होंने कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता (आईबीसी), माल एवं सेवाकर (जीएसटी), नोटबंदी और डिजिटल भुगतान जैसे कदमों के जरिये अर्थव्यवसथा को औपचारिक तंत्र में लाने से वित्तीय क्षमता और जोखिम का बेहतर आकलन करने में मदद मिली है. 

आईबीसी कानून के सकारात्मक परिणाम को नोट करने के साथ ही जेटली ने रिण वसूली न्यायाधिकरणों (डीआरटी) की क्षमता और उनकी उपयोगिता पर फिर से गौर करने पर जोर दिया है. खासतौर से इनमें लगने वाले लंबे समय पर गौर किया जाना चाहिये. उन्होंने इन न्यायाधिकरणें के जरिये वसूली प्रक्रिया को तेज करने की जरूरत पर जोर दिया ताकि इनके गठन के वास्तविक उद्देश्य को हासिल किया जा सके. 

 

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केन्द्र सरकार ने माना इस साल कम रहेगी विकास दर https://vishwavarta.com/%e0%a4%95%e0%a5%87%e0%a4%a8%e0%a5%8d%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%b0-%e0%a4%b8%e0%a4%b0%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b0-%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%87%e0%a4%b8-%e0%a4%b8/82713 Tue, 31 Jan 2017 13:39:54 +0000 http://www.vishwavarta.com/?p=82713 नई दिल्ली। नई दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली आर्थिक सचिव शक्तिकांत दास , आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने आर्थिक सुधारों को और गति देने पर जोर देते हुए वर्ष 2016-17 की आर्थिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। …

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नई दिल्ली। नई दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली आर्थिक सचिव शक्तिकांत दास , आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने आर्थिक सुधारों को और गति देने पर जोर देते हुए वर्ष 2016-17 की आर्थिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।

हालांकि, अगले वित्त वर्ष के दौरान इसके सुधरकर 6.75 से 7.5 प्रतिशत के दायरे में पहुंच जाने की उम्मीद व्यक्त की गई है। वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश वर्ष 2016-17 की आर्थिक समीक्षा में और सुधारों पर जोर दिया गया है।

पिछले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रही थी जबकि केंद्रीय कार्यालय ने चालू वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी वृद्धि के साथ 7.1 प्रतिशत रहने का अग्रिम अनुमान लगाया है।

आर्थिक समीक्षा में देश की आर्थिक प्रगति के रास्ते में आड़े आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया गया है। इनमें संपत्ति के अधिकार तथा निजी क्षेत्र के बारे में दुविधा की स्थिति और खास कर आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति तथा आय के पुनर्वितरण के मामलों में सरकार की कमियां शामिल हैं।
 समीक्षा में कहा गया है कि केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अग्रिम अनुमान में वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान स्थिर बाजार मूल्यों पर जीडीपी वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। यह अनुमान मुख्यत: वित्त वर्ष के शरूअाती 7-8 महीनों की प्राप्त सूचना के आधार पर लगाया गया है।

वर्ष के दौरान सरकार का उपभोग व्यय ही जीडीपी में हुई वृद्धि के लिए मुख्य रूप से सहायक रहा है। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2017-18 के दौरान आर्थिक वृद्धि की गति सामान्य हो जाने की उम्मीद है।

इस दौरान अपेक्षित मात्रा में नए नोट चलन में आ जायेंगे और नोटबंदी के बाद जरूरी कदम भी उठाये गये हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से तेज रफ्तार पकड़कर वर्ष 2017-18 में वृद्धि दर 6.75 प्रतिशत से लेकर 7.5 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच जायेगी।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (सीपीआई) की दर लगातार तीसरे वर्ष नियंत्रण में रही है। वर्ष 2014-15 में सीपीआई आधारित औसत महंगाई दर 5.9 प्रतिशत से घटकर 2015-16 में 4.9 प्रतिशत रह गई और अप्रैल-दिसंबर 2016 के दौरान यह 4.8 प्रतिशत दर्ज की गई।

इसी प्रकार थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर 2014-15 के 2 प्रतिशत से घटकर शून्य से 2.5 प्रतिशत नीचे चली गई और चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर 2016 के दौरान औसतन 2.9 प्रतिशत आंकी गई।

समीक्षा में इस बात को रेखांकित किया गया है कि महंगाई दर में बार बार खाद्य वस्तुओं के संक्षिप्त समूह में आने वाले उतार चढ़ाव का असर रहता है। इन वस्तुओं में दाल मूल्यों का सार्वधिक योगदान खाद्य समूह की मुद्रास्फीति में देखा गया है।

 

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