शिक्षा का योगदान Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/शिक्षा-का-योगदान National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal Wed, 25 Dec 2024 18:46:21 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://vishwavarta.com/wp-content/uploads/2023/08/Vishwavarta-Logo-150x150.png शिक्षा का योगदान Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/शिक्षा-का-योगदान 32 32 जयंती विशेष: महामना मदन मोहन मालवीय, जिन्हें बापू ने कहा ‘भारत निर्माता’ https://vishwavarta.com/birth-anniversary-special-mahamana-madan-mohan-malviya-whom-bapu-called-maker-of-india/116229 Wed, 25 Dec 2024 18:46:20 +0000 https://vishwavarta.com/?p=116229 “पं. मदन मोहन मालवीय की जयंती पर जानिए उनके योगदान की कहानी। शिक्षा की अलख जगाने वाले और स्वतंत्रता आंदोलन के नायक, जिन्हें बापू ने ‘भारत निर्माता’ की उपाधि दी।“ विशेष संवाददाता: मनोज शुक्ल लखनऊ। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की आज जयंती …

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पं. मदन मोहन मालवीय की जयंती पर जानिए उनके योगदान की कहानी। शिक्षा की अलख जगाने वाले और स्वतंत्रता आंदोलन के नायक, जिन्हें बापू ने ‘भारत निर्माता’ की उपाधि दी।

लखनऊ। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की आज जयंती है। उनका जीवन शिक्षा, समाज सुधार और स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान का प्रतीक है। मदन मोहन मालवीय को भारतीय राजनीति, समाज और शिक्षा में किए गए कार्यों के लिए ‘महामना’ की उपाधि दी गई, जो उन्हें इस उपाधि से विभूषित होने वाले पहले और आखिरी व्यक्ति बनाती है।

महात्मा गांधी ने उन्हें ‘भारत निर्माता’ की संज्ञा दी थी, जो उनके व्यक्तित्व और उनकी सेवाओं की गहराई को दर्शाती है। गांधीजी पं. मालवीय को अपना बड़ा भाई मानते थे और उनकी विद्वता और नेतृत्व क्षमता के प्रशंसक थे।

मदन मोहन मालवीय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे। वह चार बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए, जो उनकी नेतृत्व क्षमता और विचारधारा की गहराई को दर्शाता है। ब्रिटिश शासन के खिलाफ उनकी आवाज हमेशा बुलंद रही। उन्होंने शांतिपूर्ण और वैचारिक रूप से स्वतंत्रता आंदोलन को मजबूत करने का प्रयास किया।

मालवीयजी ने छुआछूत और जातिगत भेदभाव के खिलाफ भी आवाज उठाई। उन्होंने हमेशा एक ऐसे भारत की कल्पना की, जहां हर व्यक्ति समान हो और उसे अपने अधिकार और सम्मान के साथ जीवन जीने का अवसर मिले।

पं. मदन मोहन मालवीय को भारत में आधुनिक शिक्षा के अग्रदूतों में से एक माना जाता है। उनका सबसे बड़ा योगदान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की स्थापना है। 1916 में स्थापित यह विश्वविद्यालय आज भी भारतीय शिक्षा का प्रमुख केंद्र है।

मालवीयजी का मानना था कि शिक्षा से ही समाज को सशक्त और स्वतंत्र बनाया जा सकता है। उन्होंने भारतीय युवाओं को शिक्षा के माध्यम से जागरूक करने का काम किया और यह सुनिश्चित किया कि भारतीय संस्कृति और परंपराएं शिक्षा के माध्यम से संरक्षित रहें।

पं. मालवीय ने पत्रकारिता के माध्यम से भी स्वतंत्रता संग्राम को मजबूत किया। उन्होंने ‘हिंदुस्तान’ और ‘अभ्युदय’ जैसी पत्रिकाओं का संपादन किया, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनता को जागरूक करने में सहायक रहीं।

मालवीयजी ने छुआछूत और समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ भी अभियान चलाया। उनका मानना था कि एक सशक्त और स्वतंत्र भारत का निर्माण तभी संभव है, जब हर वर्ग के लोगों को समान अधिकार मिलें।

महात्मा गांधी और मदन मोहन मालवीय के बीच गहरा सम्मान और आत्मीयता का रिश्ता था। गांधीजी ने उन्हें ‘भारत निर्माता’ कहा था और उनके कार्यों को हमेशा सराहा। यह सम्मान पं. मालवीय की बहुमुखी प्रतिभा और उनके योगदान को दर्शाता है।

मालवीयजी का योगदान आज भी भारतीय समाज में प्रेरणा का स्रोत है। उनकी शिक्षाएं और विचार भारतीय युवाओं के लिए मार्गदर्शक हैं। उनकी जयंती पर हम उनके कार्यों को याद करते हुए यह संकल्प लें कि उनकी विरासत को आगे बढ़ाएंगे।

पंडित मदन मोहन मालवीय का जीवन एक प्रेरणा है। उनकी जयंती पर उनके विचारों और कार्यों को याद करना न केवल हमारे लिए गर्व की बात है, बल्कि यह हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

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