11 हजार करोड़ का वार्षिक नुकसान Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/11-हजार-करोड़-का-वार्षिक-नुक National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal Tue, 21 Mar 2017 14:33:55 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://vishwavarta.com/wp-content/uploads/2023/08/Vishwavarta-Logo-150x150.png 11 हजार करोड़ का वार्षिक नुकसान Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/11-हजार-करोड़-का-वार्षिक-नुक 32 32 यूपी में बूचड़खानों के भविष्य पर खतरा, 11 हजार करोड़ का वार्षिक नुकसान https://vishwavarta.com/%e0%a4%af%e0%a5%82%e0%a4%aa%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ac%e0%a5%82%e0%a4%9a%e0%a4%a1%e0%a4%bc%e0%a4%96%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ad%e0%a4%b5/87048 Tue, 21 Mar 2017 14:28:19 +0000 http://www.vishwavarta.com/?p=87048 नई दिल्ली । पूरे उत्तर प्रदेश में बड़े बूचड़खानों से जुड़े लोगों के बीच दहशत का माहौल है। दरअसल, बीजेपी ने सत्ता में आने पर तमाम बूचड़खानों का बंद करने का वादा किया था। ऐसे तकरीबन दर्जनभर रजिस्टर्ड बूचड़खानों के मालिकों ने ईटी को बताया कि इस तरह के कदम से यूपी से मीट के …

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नई दिल्ली । पूरे उत्तर प्रदेश में बड़े बूचड़खानों से जुड़े लोगों के बीच दहशत का माहौल है। दरअसल, बीजेपी ने सत्ता में आने पर तमाम बूचड़खानों का बंद करने का वादा किया था।

ऐसे तकरीबन दर्जनभर रजिस्टर्ड बूचड़खानों के मालिकों ने ईटी को बताया कि इस तरह के कदम से यूपी से मीट के एक्सपोर्ट, उनकी रोजी-रोटी और उनके करोड़ों रुपये के निवेश को झटका लगेगा। यूपी में फिलहाल करीब 356 बूचड़खाने हैं जिनमें से सिर्फ 40 ही वैध हैं।

जानकारों के मुताबिक, यूपी में अवैध बूचड़खाने बंद होने से राज्य को सालाना करीब 11 हजार 350 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। योगी सरकार बनने के बाद एनजीटी के 2016 के आदेश मुताबिक इलाहाबाद के 2 अवैध बूचड़खानों को सीज किया जा चुका है।

हालांकि यूपी सरकार ने आश्वस्त किया है कि केवल अवैध बूचड़खानों को ही बंद किया जाएगा। दो साल पहले एनजीटी भी अवैध बूचड़खानों पर बैन लगा चुका है।

मेरठ में मौजूद एक वैध बूचड़खाने ‘अल फहीम मीटेक्स’ के मोहम्मद इमरान याकूब भी बेहद चिंतित हैं। उनके यहां 1,500 लोग काम करते हैं।

याकूब ने ईटी से कहा, ‘चुनाव में पहले विकास की बात कही गई, लेकिन बीजेपी बाद में गोलबंदी की तरफ मुड़ गई और उसने कहा कि वह यूपी के सभी बूचड़खानों को बंद कर देगी। हम सिर्फ इतनी उम्मीद करते हैं कि यह चुनावी बयानबाजी साबित हो। क्या रजिस्टर्ड बूचड़खानों को बंद किया जा सकता है? हमारा काम भैंसों के मीट का है।’

बीजेपी के घोषणा पत्र में साफतौर पर कहा गया था- ‘जिस दिन यूपी में बीजेपी की सरकार बनेगी, उसी रात से राज्य के सभी वैध और अवैध बूचड़खानों को अध्यादेश जारी कर बंद कर दिया जाएगा।’

पार्टी का दावा है कि बड़े पैमाने पर हत्या और स्मगलिंग (जानवरों की) के कारण राज्य में पशुओं की संख्या में भारी गिरावट हुई है। यूपी में तकरीबन 40 कानूनी बूचड़खाने हैं, जिन्हें केंद्र सरकार की अग्रीकल्चरल ऐंड प्रोसेस्ड फूड प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट डिवेलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) से बाकायदा लाइसेंस मिला हुआ है।

गाजियाबाद के एक बड़े बूचड़खाने- इंटरनैशनल एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के मालिक गुलरेज कुरैशी ने बताया, ‘जबरन कुछ नहीं किया जा रहा है। जब पशुओं के मालिक उनका कोई इस्तेमाल नहीं पाते हैं, तो उसके बाद उन्हें यहां लाया जाता।

यह कार के कबाड़ी जैसा बनने का मामला है। हमारे पास मॉडर्न प्लांट है, जहां प्रदूषण के खिलाफ अपनाए गए स्टैंडर्ड्स का पालन होता है। इसे रातों-रात कैसे बंद किया जा सकता है? आखिर में हमारे पास सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता बचा होगा।’

एक और बड़े बूचड़खाने के मालिक ने नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर बताया कि बीजेपी के इस दावे के पीछे प्रमाण नहीं है कि यूपी में पशुओं की संख्या में गिरावट हुई है।

उन्होंने कहा, ‘पशुओं से जुड़ी 2012 की गणना के मुताबिक, 2007 के मुकाबले भैंसों की संख्या में 28 फीसदी और गायों की संख्या में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।

2017 की गणना अभी चल रही है। यूपी भैंसों के मीट के मामले में देश का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। अगर बीजेपी अपने वादे पर आगे बढ़ती है, तो यूपी में बिजनस सेंटीमेंट का क्या होगा।’

उन्नाव में रुस्तम फूड्स प्राइवेट लिमिटेड चलाने वाले मोहम्मद युनूस ने कहा, ‘हमने मॉडर्न मशीनों में करोड़ों का निवेश किया है। हमारे साथ 800 लोग काम करते हैं। हम कानून का पालन करते हैं। गोहत्या नहीं करते। क्या बीजेपी सरकार हजारों लोगों को बेरोजगार करना चाहती है?’

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