3 तलाक मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन : HC इलाहाबाद Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/3-तलाक-मुस्लिम-महिलाओं-के-स National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal Thu, 08 Dec 2016 08:27:28 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://vishwavarta.com/wp-content/uploads/2023/08/Vishwavarta-Logo-150x150.png 3 तलाक मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन : HC इलाहाबाद Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/3-तलाक-मुस्लिम-महिलाओं-के-स 32 32 3 तलाक मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन : HC इलाहाबाद https://vishwavarta.com/3-%e0%a4%a4%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%95-%e0%a4%ae%e0%a5%81%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%b2%e0%a4%bf%e0%a4%ae-%e0%a4%ae%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%93%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%b8/75193 Thu, 08 Dec 2016 08:27:28 +0000 http://www.vishwavarta.com/?p=75193 इलाहाबाद। HIGHCOURT इलाहाबाद ने अपने फैसले में कहा, 3 तलाक मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। कोई पर्सनल लॉ बोर्ड संविधान से ऊपर नहीं है। कोर्ट भी संविधान से ऊपर नहीं हो सकता। देशभर में अलग-अलग कोर्ट में मुस्लिम महिलाओं और संगठनों ने पिटीशन दायर करके 3 तलाक को चुनौती दी है। मुस्लिम …

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3-%e0%a4%a4%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%95इलाहाबाद। HIGHCOURT इलाहाबाद ने अपने फैसले में कहा, 3 तलाक मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन है।

कोई पर्सनल लॉ बोर्ड संविधान से ऊपर नहीं है। कोर्ट भी संविधान से ऊपर नहीं हो सकता। देशभर में अलग-अलग कोर्ट में मुस्लिम महिलाओं और संगठनों ने पिटीशन दायर करके 3 तलाक को चुनौती दी है।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा था, सुप्रीम कोर्ट को बदलाव का हक नहीं। इससे पहले 3 तलाक को लेकर दायर पिटीशंस पर सुप्रीम कोर्ट भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से सवाल कर चुकी है।

 मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने  इस पर हलफनामा दायर कर कहा था कि ये पिटीशंस खारिज की जानी चाहिए। बोर्ड का दावा है कि तीन तलाक एक ‘पर्सनल लॉ’ है। नियमों के अनुसार सरकार या सुप्रीम कोर्ट इसमें बदलाव नहीं कर सकती।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।

सुप्रीम कोर्ट में 7 अक्टूबर को केंद्र ने हलफनामा दायर कर कहा था, “तीन तलाक, निकाह हलाला और एक से ज्यादा शादी जैसी प्रथाएं इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं हैं।”

HIGHCOURT के इस फैसले के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य ने कहा, “इस्लाम औरतों के हक के मामले में सबसे ज्यादा तरक्की करने वाले मजहबों में से एक है। इसमें कोई दखल नहीं होना चाहिए। तलाक शरिया के कानून का हिस्सा है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य खालिद रशीद फिरंगी महली ने इसे शरियत कानून के खिलाफ बताया। इलाहाबाद HC की टिप्पणी शरियत के खिलाफ है। हमारे देश के संविधान ने हमें अपने पर्सनल लॉ पर अमल करने की पूरी-पूरी आजादी दी है।

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