Economic instability Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/economic-instability National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal Tue, 06 May 2025 18:39:15 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://vishwavarta.com/wp-content/uploads/2023/08/Vishwavarta-Logo-150x150.png Economic instability Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/economic-instability 32 32 पाकिस्तान में बैंकों के बाहर लंबी कतारें, लोग जमा पूंजी निकालने को मजबूर https://vishwavarta.com/pakistan-bank-lines/119303 Tue, 06 May 2025 18:39:11 +0000 https://vishwavarta.com/?p=119303 पाकिस्तान में हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद से देश में तनाव का माहौल है। इस हमले के बाद भारत द्वारा संभावित जवाबी कार्रवाई की आशंका के चलते पाकिस्तान में आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई है। इस स्थिति में नागरिकों में भय का माहौल है, जिसके चलते वे बैंकों से अपनी जमा पूंजी …

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पाकिस्तान में हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद से देश में तनाव का माहौल है। इस हमले के बाद भारत द्वारा संभावित जवाबी कार्रवाई की आशंका के चलते पाकिस्तान में आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई है। इस स्थिति में नागरिकों में भय का माहौल है, जिसके चलते वे बैंकों से अपनी जमा पूंजी निकालने के लिए लंबी कतारों में खड़े हैं।

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में दावा किया कि भारत किसी भी समय सैन्य कार्रवाई कर सकता है, जिससे देश में और अधिक चिंता का माहौल बन गया है।

इस तनावपूर्ण स्थिति के बीच, पाकिस्तान के स्टॉक मार्केट में भी गिरावट देखी गई है। कराची स्टॉक एक्सचेंज का KSE-100 इंडेक्स लगभग 4% गिर गया है, जो निवेशकों के बीच बढ़ती चिंता को दर्शाता है।

बैंकों के बाहर जमा हो रही भीड़ और एटीएम से नकदी निकालने में हो रही समस्याएं देश की आर्थिक स्थिति को और भी जटिल बना रही हैं। इस स्थिति में सरकार और बैंकिंग संस्थानों को आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि नागरिकों का विश्वास बहाल किया जा सके और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।

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डॉलर के मुकाबले रुपया 85.15 पर, बना अब तक का सबसे निचला स्तर https://vishwavarta.com/rupee-at-85-15-against-dollar-lowest-ever-level/116201 Wed, 25 Dec 2024 18:44:14 +0000 https://vishwavarta.com/?p=116201 “डॉलर के मुकाबले रुपया 85.15 पर पहुंचा, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। डॉलर की बढ़ती मांग और घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट से रुपये पर दबाव बढ़ा।“ मुंबई: मंगलवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले चार पैसे की गिरावट के साथ 85.15 के स्तर पर बंद हुआ। यह अब तक का …

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डॉलर के मुकाबले रुपया 85.15 पर पहुंचा, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। डॉलर की बढ़ती मांग और घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट से रुपये पर दबाव बढ़ा।

मुंबई: मंगलवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले चार पैसे की गिरावट के साथ 85.15 के स्तर पर बंद हुआ। यह अब तक का सबसे निचला स्तर है। घरेलू शेयर बाजारों में कमजोरी और डॉलर की मांग में वृद्धि ने रुपये पर दबाव बनाया।

भारतीय रुपये ने मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले चार पैसे की गिरावट के साथ 85.15 का स्तर छुआ। यह भारत के इतिहास में रुपये का सबसे निचला स्तर है। घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट और डॉलर की बढ़ती मांग के चलते रुपये पर दबाव बढ़ा है।

डॉलर की मजबूती के कारण:
विशेषज्ञों का मानना है कि डॉलर की मजबूती और रुपये की गिरावट के पीछे कई अहम कारण हैं:

  1. लाइबिलिटी के कारण डॉलर की मांग:
    माह के अंत में वित्तीय संस्थाओं और कंपनियों द्वारा देनदारियों को पूरा करने के लिए डॉलर की मांग में वृद्धि हुई।
  2. अंतरराष्ट्रीय नीतियों का असर:
    ट्रंप प्रशासन की ओर से आयात शुल्क में आक्रामक बढ़ोतरी की संभावना ने वैश्विक बाजार को प्रभावित किया। इसका सीधा असर रुपये और अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं पर पड़ा है।
  • भारतीय शेयर बाजार में कमजोरी, जहां सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट दर्ज की गई।
  • विदेशी निवेशकों ने बाजार से अपनी पूंजी निकालना शुरू कर दिया, जिससे रुपये पर अतिरिक्त दबाव बना।
  • कच्चे तेल की कीमतों में हल्की वृद्धि ने भी रुपये की स्थिति को कमजोर किया।

रुपये की इस गिरावट के कई व्यापक आर्थिक प्रभाव हैं:

  1. आयात पर असर:
    कमजोर रुपया आयातकों के लिए महंगा साबित होगा, खासतौर पर कच्चा तेल, इलेक्ट्रॉनिक सामान और अन्य महत्वपूर्ण वस्तुओं के लिए।
  2. महंगाई का खतरा:
    आयात महंगा होने से घरेलू बाजार में महंगाई बढ़ने का खतरा है।
  3. निर्यातकों के लिए राहत:
    निर्यातकों को इस स्थिति का लाभ मिल सकता है, क्योंकि कमजोर रुपया उनके उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
  4. आरबीआई का हस्तक्षेप:
    भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) रुपये को स्थिर करने के लिए कदम उठा सकता है, जैसे विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की बिक्री।

दुनिया की प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती भी एक बड़ा कारण है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें बढ़ाए जाने की संभावनाओं ने डॉलर को मजबूत किया है।

  • भारतीय अर्थव्यवस्था को इस स्थिति से निपटने के लिए आयात पर निर्भरता कम करने और निर्यात बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।
  • सरकार और आरबीआई को संयुक्त प्रयासों से रुपये की स्थिरता बनाए रखने के लिए कदम उठाने होंगे।

रुपये का ऐतिहासिक निम्न स्तर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा संकेत है। हालांकि यह निर्यातकों के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन आयातकों और आम जनता पर इसका प्रभाव नकारात्मक होगा। आने वाले दिनों में भारतीय रिज़र्व बैंक और सरकार की नीतियों पर निवेशकों की नजर बनी रहेगी।

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