Resham kheti Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/resham-kheti National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal Tue, 27 May 2025 14:22:14 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://vishwavarta.com/wp-content/uploads/2023/08/Vishwavarta-Logo-150x150.png Resham kheti Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/resham-kheti 32 32 खीरी में रेशम उत्पादन का जादू, बंगाल-बनारस से व्यापारी खरीदने आ रहे कोकून https://vishwavarta.com/resham-utpadan-kheri/120202 Tue, 27 May 2025 14:22:12 +0000 https://vishwavarta.com/?p=120202 लखीमपुर खीरी।उत्तर प्रदेश का लखीमपुर खीरी जिला अब रेशम उत्पादन खीरी के रूप में एक नई पहचान बना रहा है। जिले के सैदापुर देवकली स्थित राजकीय रेशम कीट पालन केंद्र से तैयार रेशम की मांग न केवल राज्य में बल्कि पश्चिम बंगाल और बनारस जैसे बड़े बाजारों में भी है। यहाँ की उत्कृष्ट गुणवत्ता का …

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लखीमपुर खीरी।
उत्तर प्रदेश का लखीमपुर खीरी जिला अब रेशम उत्पादन खीरी के रूप में एक नई पहचान बना रहा है। जिले के सैदापुर देवकली स्थित राजकीय रेशम कीट पालन केंद्र से तैयार रेशम की मांग न केवल राज्य में बल्कि पश्चिम बंगाल और बनारस जैसे बड़े बाजारों में भी है। यहाँ की उत्कृष्ट गुणवत्ता का रेशम व्यापारी खरीदने के लिए स्वयं आते हैं।

यह रेशम केंद्र करीब 24 एकड़ में फैला है और मुख्य रूप से शहतूत के पौधों का उत्पादन करता है। वर्तमान में जिले में मितौली, मोहम्मदी, तेंदुआ और मैगलगंज में भी रेशम उत्पादन केंद्र संचालित हैं, लेकिन सैदापुर का केंद्र सबसे पुराना और प्रमुख माना जाता है। इसकी स्थापना 1980 के दशक में हुई थी और तब से यह लगातार सक्रिय है।

यहां की रेशम उत्पादन प्रक्रिया बेहद सटीक और वैज्ञानिक है। शहतूत की पत्तियों को विशेष दवाओं के साथ मिलाकर कीटों को पाला जाता है। ये कीड़े मेरठ और मालदा जैसे स्थानों से मंगाए जाते हैं। शुरुआत में इन्हें 10 दिनों तक शहतूत की पत्तियों के साथ रखा जाता है और फिर किसानों को सौंप दिया जाता है, जो इन्हें अपने-अपने स्थानों पर पालते हैं। करीब 20 दिनों में कीड़े कोकून बना लेते हैं, जिन्हें सुखाकर रेशम तैयार किया जाता है।

सैकड़ों किसान इस कार्य में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। तैयार कोकून विभाग को सौंपा जाता है और उसकी गुणवत्ता के आधार पर किसानों को भुगतान किया जाता है। अच्छी क्वालिटी का रेशम कोकून ₹300-400 प्रति किलो, जबकि मध्यम गुणवत्ता का कोकून ₹200-250 प्रति किलो बिकता है।

यहां पीले और सफेद दोनों प्रकार के रेशम का उत्पादन होता है। वर्षों से सेवा दे रहे कर्मचारी रामचंद्र और ओमप्रकाश बताते हैं कि यह उद्योग अब कई परिवारों की आजीविका का प्रमुख स्रोत बन चुका है। तैयार रेशम का उपयोग साड़ी और कपड़ा उद्योग में बड़े पैमाने पर होता है।

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