#WheatFlourPrices Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/wheatflourprices National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal Wed, 25 Dec 2024 18:45:04 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://vishwavarta.com/wp-content/uploads/2023/08/Vishwavarta-Logo-150x150.png #WheatFlourPrices Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/wheatflourprices 32 32 महंगाई का बड़ा झटका: आटा 15 साल में सबसे महंगा, कीमतें 40 रुपए प्रति किलो पहुंचीं https://vishwavarta.com/breaking-big-shock-of-inflation-flour-most-expensive-in-15-years/116231 Wed, 25 Dec 2024 18:45:03 +0000 https://vishwavarta.com/?p=116231 “दाल और खाने के तेल की बढ़ती कीमतों के बाद अब आटे की कीमतों ने 15 साल का रिकॉर्ड तोड़ा। दिसंबर में आटा 40 रुपए प्रति किलो तक पहुंचा। जानिए महंगाई से जुड़ी ताजा जानकारी।” विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल लखनऊ। देश में खाद्य महंगाई से जूझ रहे आम नागरिकों के लिए एक और बुरी …

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“दाल और खाने के तेल की बढ़ती कीमतों के बाद अब आटे की कीमतों ने 15 साल का रिकॉर्ड तोड़ा। दिसंबर में आटा 40 रुपए प्रति किलो तक पहुंचा। जानिए महंगाई से जुड़ी ताजा जानकारी।”

लखनऊ। देश में खाद्य महंगाई से जूझ रहे आम नागरिकों के लिए एक और बुरी खबर है। दाल और खाने के तेल की आसमान छूती कीमतों के बाद अब आटा भी 15 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। दिसंबर 2024 में आटे की औसत कीमत 40 रुपए प्रति किलो हो गई है, जो जनवरी 2009 के बाद सबसे अधिक है। यह वृद्धि आम जनता के बजट पर भारी पड़ रही है और खाद्य महंगाई दर में तेज उछाल का कारण बन रही है।

आटे की कीमतों में यह बढ़ोतरी कई कारकों के कारण हुई है:

  1. गेंहूं उत्पादन में गिरावट: पिछले सीजन में मौसम की अनियमितता और फसलों को हुए नुकसान के चलते गेंहूं का उत्पादन कम हुआ।
  2. आपूर्ति में रुकावट: वैश्विक और स्थानीय स्तर पर आपूर्ति शृंखला बाधित हुई, जिससे गेंहूं की उपलब्धता घटी।
  3. आयात पर निर्भरता: देश में गेंहूं की बढ़ती मांग के बावजूद आयात पर निर्भरता ने कीमतों को प्रभावित किया।
  4. परिवहन लागत में वृद्धि: ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी से परिवहन खर्च बढ़ा, जिससे आटा महंगा हो गया।
  5. वैश्विक बाजार का प्रभाव: अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेंहूं और अन्य अनाज की कीमतों में उछाल का असर घरेलू बाजार पर भी पड़ा।

खाने-पीने की चीजों की कीमतों में तेजी से देश की खाद्य महंगाई दर में वृद्धि हो रही है। दाल, खाने का तेल, सब्जियां और अब आटे की बढ़ती कीमतों ने मध्यम और निम्न वर्गीय परिवारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह स्थिति बनी रही, तो देश की कुल महंगाई दर भी प्रभावित हो सकती है।

आटे और अन्य जरूरी खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों का सबसे अधिक असर आम आदमी पर पड़ा है।

खर्च का बढ़ा दबाव: परिवार का मासिक बजट बिगड़ गया है।

पोषण पर असर: महंगे खाद्य पदार्थों के चलते लोग सस्ती और कम पोषण वाली चीजों की ओर रुख कर रहे हैं।

खाद्य सुरक्षा पर खतरा: गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए यह स्थिति गंभीर चुनौती बन गई है।

आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।

  1. गेंहूं की आपूर्ति में सुधार: खाद्य भंडारण नीति को सुदृढ़ किया जाए।
  2. कीमत नियंत्रण उपाय: आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कीमतों को नियंत्रित करने के उपाय किए जाएं।
  3. सब्सिडी का प्रावधान: गरीब और निम्न वर्ग के लिए सस्ती दरों पर आटा उपलब्ध कराया जाए।
  4. आयात शुल्क में कमी: गेंहूं और अन्य अनाज पर आयात शुल्क घटाया जाए ताकि आपूर्ति बढ़ सके।

आटे की कीमतों में यह बढ़ोतरी आम नागरिकों के लिए चिंता का विषय है। सरकार को जल्द से जल्द इन समस्याओं का समाधान निकालने की आवश्यकता है। अन्यथा, बढ़ती महंगाई लोगों की आर्थिक स्थिति और खाद्य सुरक्षा पर गहरा प्रभाव डाल सकती है।

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