मौर्य, बसपा का नुक़सान कर पाएंगे?
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी को दूसरा बड़ा झटका उस समय लगा जब पार्टी के वरिष्ठ सदस्य और महासचिव आरके चौधरी ने पार्टी छोड़ने का ऐलान किया। चौधरी भी वही आरोप लगाकर पार्टी से बाहर गए हैं, यही आरोप गत 22 तारीख़ को स्वामी प्रसाद मौर्य ने लगाए थे. आरके चौधरी बसपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे लेकिन 2001 में उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया था.आरके चौधरी ने साल 2013 में लगभग 12 साल का वनवास ख़त्म करके बसपा में वापसी की थी. लेकिन अबकी बार फिर वो महज़ तीन साल तक ही टिक सके.2001 में बसपा ने उन्हें अति महत्वाकांक्षी होने का आरोप लगाते हुए पार्टी से बाहर किया था और आरके चौधरी ख़ुद पार्टी नेता मायावती पर तमाम आरोप लगाते हुए अलग हुए हैं.पार्टी छोड़ने से पहले उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि बहुजन समाज पार्टी में भूमाफ़िया और पैसे वाले लोग हावी हैं. उन्होंने मायावती पर सीधे तौर पर टिकट बेचने का आरोप लगाया.ये विडंबना ही है कि चुनाव में टिकट बेचने और पैसे को महत्व देने जैसे आरोप बसपा से निकलने वाले लगभग सभी नेता लगाते हैं.इससे पहले अखिलेश दास भी यही आरोप लगाकर पार्टी से बाहर गए थे.हाल ही में कुछ नेताओं को पार्टी ने ख़ुद बाहर का रास्ता दिखाया है, ख़ासकर उन्हें जिन्होंने राज्य सभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग की थी. लेकिन आरके चौधरी का जाना इन सबसे थोड़ा अलग हैं.चौधरी बसपा के संस्थापक सदस्यों में से एक और पार्टी के संस्थापक कांशीराम के निकट सहयोगी रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार सुभाष मिश्र कहते हैं कि आरके चौधरी और अखिलेश दास का ही उदाहरण देते हैं और कहते हैं कि बसपा से अलग होने पर इनका जनाधार कितना रहा वो सबको पता है.हालांकि कुछेक वरिष्ठ पत्रकार इससे अलग राय भी रखते हैं. चुनाव से ठीक पहले ओबीसी और दलित समुदाय के दो बड़े नेताओं के बाहर जाने का पार्टी पर क्या असर होता है, क्योंकि बताया जा रहा है कि अभी कई नेता पार्टी से बाहर निकलने की फ़िराक में हैं लोगों की निगाहें शुक्रवार को हो रही स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थकों की बैठक पर भी है जिसे उनकी शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है।