Brown University Tea Research Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/brown-university-tea-research National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal Thu, 22 May 2025 15:24:42 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://vishwavarta.com/wp-content/uploads/2023/08/Vishwavarta-Logo-150x150.png Brown University Tea Research Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/brown-university-tea-research 32 32 चाय नहीं, कभी काढ़ा था हमारी संस्कृति का हिस्सा! https://vishwavarta.com/bharat-mein-chai-ki-khapat/120043 Thu, 22 May 2025 15:12:25 +0000 https://vishwavarta.com/?p=120043 हममें से कई लोगों को लगता है कि चाय सबसे ज़्यादा भारत में ही पी जाती है। लेकिन भारत में चाय की खपत के आँकड़े इस धारणा को गलत साबित करते हैं। भारत में एक व्यक्ति साल भर में औसतन 4.2 किलोग्राम चाय की खपत करता है, जबकि श्रीलंका में यह आंकड़ा 48 किलोग्राम, अर्जेंटीना …

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हममें से कई लोगों को लगता है कि चाय सबसे ज़्यादा भारत में ही पी जाती है। लेकिन भारत में चाय की खपत के आँकड़े इस धारणा को गलत साबित करते हैं। भारत में एक व्यक्ति साल भर में औसतन 4.2 किलोग्राम चाय की खपत करता है, जबकि श्रीलंका में यह आंकड़ा 48 किलोग्राम, अर्जेंटीना में 27.2 किलोग्राम, तुर्की में 14.7, वियतनाम में 10.2 और चीन में 10 किलोग्राम है।

अगर चाय उत्पादन की बात करें तो दुनिया का 49% चाय चीन में पैदा होता है। भारत इस सूची में दूसरे स्थान पर है, जहां 25.5% वैश्विक चाय का उत्पादन होता है। लेकिन एक रोचक तथ्य यह भी है कि “चाय” शब्द की उत्पत्ति भी भारत में नहीं हुई। इसका मूल चीन में है, जहां से यह शब्द भारतीय भाषाओं में “चाय” के रूप में आया।

भारत में चाय पीने की आदत अंग्रेजों के ज़माने में शुरू हुई थी। उससे पहले यहां के लोग काढ़ा पीते थे—खासकर बीमारियों के दौरान। कोविड काल में काढ़ा पीने का चलन फिर से दिखा। अंग्रेज जब भारत में आए तो अपने साथ चाय भी लाए। धीरे-धीरे यह लोकप्रिय होती गई और आज देशभर में हर गली-नुक्कड़ पर चाय मिल जाती है।

गांधीजी ने चाय के इस बढ़ते चलन का विरोध किया था। उनके लिए यह औपनिवेशिक प्रभाव का प्रतीक थी। भारत की चाय दुनिया की बाकी चायों से अलग है क्योंकि यहां चाय में दूध, मसाले, अदरक, इलायची आदि मिलाकर बनाई जाती है। जबकि पश्चिमी देशों में अधिकतर लोग दूध के बिना चाय पीते हैं।

1830 के दशक में जब अंग्रेजों ने भारत में चाय बागान शुरू किए थे, तब उन्होंने भी काली चाय पीना शुरू किया था। लेकिन भारत में दूध और मसालों की उपलब्धता और स्थानीय स्वाद की प्राथमिकता ने दूधवाली चाय को लोकप्रिय बना दिया।

हालांकि, अब विशेषज्ञ इस चाय को लेकर चिंता जता रहे हैं। अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च बताती है कि दूधवाली चाय के हर कप में औसतन 40 मि.ग्रा. कैफीन होता है, जो नींद की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है और दीर्घकालिक बीमारियों का कारण बन सकता है।

भारत में चाय की खपत कम जरूर है, लेकिन यह अब एक लत बनती जा रही है। 2019 की एक रिपोर्ट बताती है कि उम्र के साथ-साथ लोगों की चाय की मात्रा भी बढ़ती है।

जो लोग मानते हैं कि महिलाएं पुरुषों से ज़्यादा चाय पीती हैं, उन्हें जानकर हैरानी होगी कि एक ब्रिटिश एजेंसी के सर्वे में सामने आया कि भारत में दो या अधिक कप चाय पीने वालों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से अधिक है।

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