Saturday , April 27 2024

अपने लिए तो सब जीते हैं पर दूसरों के लिए भी कुछ करने का जज्बा हो तो यह मिसाल बन जाता है

 अपने लिए तो सब जीते हैं पर दूसरों के लिए भी कुछ करने का जज्बा हो तो यह मिसाल बन जाता है। ऐसा ही काम शहर के ऑटो चालक दिलीप परमार कर रहे हैं। वे मानवता को सलाम करते हुए रात में जरूरत पड़ने पर किसी भी गर्भवती को बिना कोई भाड़ा लिए अस्पताल पहुंचाते हैं। उन्होंने बाकायदा इस सेवा की सूचना व अपना नंबर तक ऑटो पर लिखवा रखा है। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को प्रसव के लिए अस्पताल लाने- ले जाने के लिए जननी एक्सप्रेस की सुविधा है लेकिन शहरी क्षेत्र के लोगों को अस्पताल तक जाने के लिए व्यवस्था स्वयं करना होती है।

दिन में तो वाहन को लेकर किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती लेकिन रात में वाहन नहीं मिल पाते। ऐसे में प्रसूता के साथ परिजनों के लिए भी समस्या खड़ी हो जाती है। इस घड़ी में दिलीप के पास मोबाइल पर कॉल पहुंचते ही वे निशुल्क सेवा देने पहुंच जाते हैं। उनकी इस अनूठी पहल की सराहना किए बगैर कोई नहीं रहता। यह इसलिए भी प्रशंसनीय है क्योंकि रात में मुश्किल से वाहन मिला भी तो वह ज्यादा किराए की मांग करता है।

फरवरी से शुरू की सेवा : दिलीप पिछले 11 माह से प्रसूताओं को निशुल्क लाने-ले जाने का काम कर रहे हैं। अब तक वे करीब 50 प्रसूताओं की मदद कर चुके हैं। वे बताते हैं कि रात को कभी भी जरूरतमंद का फोन आए वे तुरंत सेवा के लिए निकल पड़ते हैं। उनका कहना है कि दिनभर काम करने के बाद रात को भी ऑटो से यह सेवा करने पर उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं आती है बल्कि दूसरों के लिए कुछ करने से एक सुकून मिलता है। जब उन्होंने यह पहल शुरू की तो उनकी पत्नी ने भी उनकी सराहना की, समर्थन दिया।

इस तरह मिली प्रेरणा : दिलीप बताते हैं कि वे ऑटो चलाने का काम पिछले कई साल से कर रहे हैं। कई बार उन्होंने देखा व सुना कि महिलाओं के समय से अस्पताल न पहुंच पाने के कारण प्रसव रास्ते में ही हो गया। कई बार जच्चा व बच्चा की जान तक को खतरा हो गया। ऐसे में उन्होंने लोन लेकर इस साल जब नया ऑटो लिया तो निशुल्क रात्रिकालीन सेवा की शुरुआत करने की ठानी। इसके बाद से लगातार यह काम चल रहा है।

दिव्यांगों के लिए भी निशुल्क सेवा

दिलीप ने ऑटो बैंक से लोन लेकर लिया है, जिसकी हर माह किस्त भी चुकाना होती है। दिनभर वे ऑटो चलाने के बाद होने वाली आमदनी से अपने परिवार का गुजारा करते हैं। वहीं रात को फोन आने पर वह निशुल्क अस्पताल छोड़ने की सेवा करते हैं। वे दिव्यांग सवारी मिलने पर उससे भी किराया नहीं लेते हैं। उनका मानना है कि पैसा ही सबकुछ नहीं होता है। निस्वार्थ भाव से दूसरों के लिए भी कुछ करना चाहिए।

E-Paper

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com