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इसी बीच सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान सपरिवार शनिवार को मध्यप्रदेश के दतिया स्थित पीताम्बरा पीठ पर पूजा-अर्चना करने पहुंचे

 मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद 11 दिसंबर को आने वाले रिजल्ट का बेसब्री से रिजल्ट का इंतजार किया जा रहा है. इससे पहले तमाम सर्वे एजेंसियों की ओर से जारी अधिकांश एग्जिट पोल बीजेपी के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं. इससे पार्टी नेताओं की धड़कनें तेज हो गई हैं. इसी बीच सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान सपरिवार शनिवार को मध्यप्रदेश के दतिया स्थित पीताम्बरा पीठ पर पूजा-अर्चना करने पहुंचे. ऐसा माना जाता है कि मां बगुलामुखी के द्वार पर हाजिरी लगाने वाले को राजसत्ता का सुख जरूर मिलता है.

मध्य प्रदेश के दतिया जिले में मौजूद मां पीताम्बरा पीठ को राजसत्ता की देवी माना जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटलबिहारी वाजपेयी से लेकर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हों या सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया या सीएम अखिलेश यादव, सभी समय-समय पर माता का अशीर्वाद लेने के लिए उनके दरबार में हाजिरी लगाते रहते हैं.

1935 में स्थापना
पीताम्बरा पीठ की स्थापना साल 1935 में सिद्ध संत स्वामीजी ने की थी. कभी इस मंदिर के स्थान पर श्मशान हुआ करता था. स्वामी जी के जप-तप के कारण ही इस स्थान को सिद्ध पीठ के रूप में जाना जाता है. मां बगुलामुखी को राजसत्ता की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है. मंदिर परिसर में वनखंडेश्वर महादेव का शिवलिंग भी है, जिसे महाभारत काल का बताया जाता है. इस सीट से जीतने वाले कैंडिडेट की पार्टी बनाती है राज्य में सरकार, 38 साल से नहीं टूटा मिथक

मां धूमावती का इकलौता मंदिर
पीताम्बरा शक्ति पीठ मंदिर के परिसर में ‘मां धूमावती देवी’ का मंदिर भी है, जो पूरे विश्व में एक ही है. मां धूमावती का मंदिर सुबह-शाम सिर्फ 2 घंटे के लिए खुलता है. माता को मंगौड़े, कचौरी और नमकीन पकवानों का भोग लगाया जाता है. 

नेहरू भी करा चुके यज्ञ
1962 में चीन के आक्रमण के दौरान भारत बुरे हालातों का सामना कर रहा था. इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के अनुरोध पर इस शक्ति पीठ पर 51 कुंडीय यज्ञ कराया गया था. परिणामस्वरूप 11वें दिन अंतिम आहुति करते ही चीन ने अपनी सेनाएं वापस बुला ली थीं.

यज्ञ के बाद पाकिस्तान ने मुंह की खाई
माना जाता है कि साल 2000 के कारगिल युद्ध के दौरान मां बगुलामुखी ने देश की रक्षा की. कहा जात है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर पीताम्बरा शक्तिपीठ पर यज्ञ किराया गया था.  

आज भी बनी है यज्ञशाला
उस दौरान बनाई गई यज्ञशाला आज भी बनी हुई है. यहां लगी पट्टिका पर इस घटना का उल्लेख किया गया है. खास बात यह है कि दिग्गजों से लेकर आम आदमी तक मां बगलामुखी की कृपा प्राप्त करने आते रहते हैं. इनमें भक्तों में राजनीतिज्ञों की संख्या ज्यादा रहती है. कई नेता यहां गोपनीय रूप से मां बगलामुखी की साधना और हवन-पूजन आयोजित कराते रहते हैं.

कुर्सी बचाने वसुंधरा ने किया अनुष्ठान
आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी से जुड़े मामले से परेशानी में चल रही राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने साल 2015 में मां बगुलामुखी की सिद्ध पीताम्बरा पीठ पर लगातार 27 घंटे अनुष्ठान किया था. हालांकि, इससे पहले और बाद में कई बार वसुंधरा शक्ति पीठ पर आती रहती हैं. वह मंदिर ट्रस्ट की सदस्य भी हैं.

सिंधिया घराने का गेस्ट
अन्य भक्तों की तरह सिंधिया राजघराने की मां बगुलामुखी के प्रति अटूट श्रद्धा है. यही वजह है कि राजमाता सिंधिया भी नवरात्र के दौरान यहां रुककर साधना करती थीं. सिंधिया परिवार के लिए यहां विशेष रूप से एक गेस्ट हाउस भी बना है. जिसमें उनके परिवार के सदस्य विशेष रूप से रुककर पूजा अर्चना करते हैं.  

इंदिरा गांधी भी आईं
पीताम्बरा शक्ति पीठ में गांधी परिवार के तीन सदस्य इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और राहुल गांधी आ चुके हैं. इंदिरा तो तीन बार यहां आईं थीं. जबकि राजीव गांधी और उनके बेटे राहुल एक-एक बार मां का आशीर्वाद लेने आ चुके हैं.    
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