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सिंधु की कामयाबी बनी गोपीचंद और पिता की जुगलबंदी

msidkkkनई दिल्ली ।  सिंधु इतिहास रचने की दहलीज पर हैं। वॉलिबॉल प्लेयर्स पीवी रमन्ना और पी. विजया की बेटी सिंधु को 9 साल की उम्र में शटल से मोहब्बत हो गई थी। इस मोहब्बत को परवान पुलेला गोपीचंद ने चढ़ाया। गोपी ने सिंधु को बचपन में देखा था। उन्होंने देखा था कि सिंधु की टांगें कोर्ट में कैसे मूव करती हैं।गोपीचंद और रमन्ना ने लंबी राह तय की है। संयोग से दोनों को 2000 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। सिंधु की कामयाबी के पीछे दोनों दोस्तों का सबसे बड़ा हाथ है। गोपी और रमन्ना अच्छे दोस्त रहे हैं। इसके साथ ही सिंधु को परिवार से भी काफी समर्थन मिला। शुरुआत के दिनों में जब सिंधु का परिवार सिकंदराबाद में रहता था तब अकैडमी 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित थी।सिंधु इवनिंग और मॉर्निंग सेशन की ट्रेनिंग के लिए हर दिन 120 किलोमीटर की दूरी तय करती थी। ताकि 21 साल की यह लड़की एक घंटे से ज्यादा वक्त तक अपनी प्रतिद्वंद्वी को पानी पिलाकर रख दे। नोजोमी ओकूहारा के साथ सेमीफाइनल मैच में यह कितना उपयोगी साबित हुआ हर किसी ने देखा। तुलना करें तो साफ दिखेगा कि ओकूहारा दाहिनी जांघ से मूवमेंट में असमर्थ दिख रही थीं। वह सिंधु के मुकाबले बिल्कुल नाकाफी दिख रही थीं। सेकंड गेम में तो सिंधु ने उन्हें पानी पिलाकर रख दिया।

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