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जन्‍मदिन विशेष : इंदिरा गांधी को ‘प्रियदर्शिनी’ नाम किसने दिया? 

 देश की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी की आज 101वीं जयंती है. इस मौके पर कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने सोमवार को दिल्‍ली के शक्ति स्‍थल पहुंचकर उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित की. इसके साथ ही पीएम मोदी ने भी ट्वीट करके इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की है. 

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनकी 101वीं जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि दी. इन नेताओं ने सुबह शक्ति स्थल पहुंचकर इंदिरा गांधी को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए. इनके अलावा राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, वरिष्ठ नेता पी सी चाको, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन और पार्टी के अन्य नेताओं व कार्यकर्ताओं ने भी श्रद्धांजलि दी.

स्वतंत्र भारत के इतिहास में चंद लोग ऐसे हुए हैं, जिन्होंने देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर अपनी अमिट छाप छोड़ी और उनके व्यक्तित्व की मिसालें दी गईं. इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी भी एक ऐसा ही नाम है, जिन्हें उनके निर्भीक फैसलों और दृढ़निश्चय के चलते ‘लौह महिला’ कहा जाता है.

चिपको आंदोलन: जब इंदिरा गांधी को पेड़ों की कटाई पर बैन लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा...
जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू के यहां 19 नवंबर, 1917 को जन्मीं सुंदर कन्या (इंदिरा गांधी) को उनके दादा मोतीलाल नेहरू ने इंदिरा नाम दिया और पिता ने उनके सलोने रूप के कारण उसमें प्रियदर्शिनी भी जोड़ दिया. फौलादी हौसले वाली इंदिरा गांधी ने लगातार तीन बार और कुल चार बार देश की बागडोर संभाली और वह देश की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं. 

उनके कुछ फैसलों को लेकर वह विवादों में भी रहीं. जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सैन्य कार्रवाई भी उनका एक ऐसा ही कदम था, जिसकी कीमत उन्हें अपने सिख अंगरक्षकों के हाथों 31 अक्‍टूबर, 1984 को जान गंवाकर चुकानी पड़ी थी.

इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री 1966 में बनी थीं. दूसरी बार उन्‍हें 1967 में प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया. इसके वह लगातार तीसरी बार 1971 में भी देश की प्रधानमंत्री बनीं. इंदिरा गांधी ने चौथी बार 1980 में देश की बागडोर संभाली और 1984 में उनकी हत्‍या होने तक वह प्रधानमंत्री रहीं.

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