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जल्लीकट्टू के समर्थन में तमिलनाडु बंद, अनशन पर एआर रहमान

सांड़ों पर काबू पाने के खेल जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ तमिलनाडु में आंदोलन और तेज हो गया है। चेन्नई के मरीना बीच पर प्रदर्शन कर रहे लोगों की तादाद 50 हजार से ज्यादा हो चुकी है। जल्लीकट्टू के समर्थन में कई संगठनों ने आज तमिलनाडु में बंद बुलाया है। बंद के समर्थन में कई स्कूल, कालेजों और सिनेमाघरों ने बंद का एलान किया है।
 
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ऑस्कर विजेता संगीत निर्देशक ए आर रहमान ने भी प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए ऐलान किया कि वह आज एक दिन का उपवास रखेंगे। रहमान ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं तमिलनाडु के लोगों की भावना के समर्थन में कल उपवास रख रहा हूं।’ एआर रहमान, नादिगर संगम के सदस्यों के साथ आज उपवास रखेंगे। नादिगर संगम दक्षिण भारतीय कलाकारों का संघ है। रहमान ने गुरुवार को ट्विटर पर लिखा था कि मैं तमिलनाडु की भावना के समर्थन में शुक्रवार को उपवास कर रहा हूं।

उधर, जल्लीकट्टू से प्रतिबंध हटाने के लिए तमिलनाडु में हो रहा प्रदर्शन अब श्रीलंका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया तक पहुंच गया है। इन देशों में तमिल प्रवासियों ने प्रदर्शन कर जल्लीकट्टू की इजाजत देने की मांग की है। मंगलवार और बुधवार को लंदन में भारतीय उच्चायोग के साथ ही इंग्लैंड के लीड्स और आयरलैंड के डब्लिन में तमिल प्रवासियों ने प्रदर्शन किया। श्रीलंका के जाफना के साथ ही आस्ट्रेलिया के मेलबर्न और सिडनी में भी प्रदर्शन किया गया, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए। जहां तक तमिलनाडु की बात है तो यहां पिछले कई दिनों से प्रदर्शन हो रहा है। 

बृहस्पतिवार को यह प्रदर्शन दिल्ली पहुंच गया। इसमें बड़ी संख्या में तमिलनाडु के विद्यार्थियों और अन्य लोगों ने हिस्सा लिया। उच्चतम न्यायालय के तमिल वकीलों के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक मार्च निकाला और जीव-अधिकार संगठन पेटा तथा जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध के खिलाफ नारेबाजी की। गौरतलब है कि पेटा प्रतिबंध का समर्थन कर रहा है। पुडुचेरी में तमिल संगठनों ने शुक्रवार को 12 घंटे का बंद बुलाया है। द्रमुक ने बंद का समर्थन किया है। मद्रास हाईकोर्ट के वकीलों ने भी शुक्रवार को काम नहीं करने का ऐलान किया है। 

विश्व हिंदू परिषद ने भी जल्लीकट्टू का किया समर्थन

जल्लीकट्टू के आयोजन का समर्थन करते हुए बृहस्पतिवार को वीएचपी ने कहा कि न्यायालय को हिंदुओं प्राचीन विश्वासों में दखल नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो बैलों को लेकर भावनात्मक हैं उन्हें गौ-हत्या पर पाबंदी लगाने की भी मांग करनी चाहिए।
विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय का अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि हम बड़े पैमाने पर समाज में सभी सरकारों, न्यायपालिका और मीडिया से आग्रह करते हैं कि जल्लीकट्टू और गणेश/दुर्गा विसर्जन जैसे प्राचीन मान्यताओं, आस्थाओं और हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं में हस्तक्षेप ना करें। तोगड़िया का बयान ऐसे समय पर आया है जब तमिलनाडु की सड़कों पर जल्लीकट्टू के समर्थन में लोग उतर आए हैं।

सद्गुरु जग्गी वासुदेव बोले- अगर जल्लीकट्टू खतरनाक तो क्रिकेट पर भी बैन लगे

जेएलएफ में बृहस्पतिवार को सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कहा कि जल्लीकट्टू खेल पर रोक लगाना युवाओं के विकास पर रोक लगाने जैसा होगा। अगर जल्लीकट्टू को खतरनाक माना जा रहा है तो फिर क्रिकेट पर भी रोक लगाई जाए, क्योंकि क्रिकेट में भी 150 किमी की रफ्तार से बॉल आती है जो किसी की जान लेने के लिए पर्याप्त है।

तमिलनाडु का खेल जल्लीकट्टू खेल को लेकर अभी विवाद चल रहा है। सद्गुरु ने कहा कि तमिलनाडु में इस खेल के जरिए युवाओं का विकास होता है खास तौर पर ग्रामीण युवाओं का। इस खेल में बैलों को इकट्ठे करके भगाने का रिवाज है और भागते हुए बैलों को युवा पकड़ते हैं, जिसमें कुछ युवा घायल भी हो जाते है। 

अब एक संस्था इस खेल पर रोक लगाने की बात कर रही है। जिसे लेकर देश में एक बहस शुरू हो गई है। सद्गुरु ने कहा कि अगर जल्लीकट्टू पर रोक लगेगी तो फिर इन बैलों को काटने का काम होगा जो ज्यादा हानिकारक है। वहीं इस खेल पर रोक लगाने को लेकर सद्गुरु ने कहा कि आज के युवा को आदमी बनने के लिए एडवेंचर की जरूरत है न कि फेसबुक की।

जल्लीकट्टू के आयोजन को कानून बना सकता है तमिलनाडु : अटार्नी जनरल

जल्लीकट्टू के आयोजन पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग पर तमिलनाडु से लेकर विदेश तक हो रहे प्रदर्शन के बीच अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह पारंपरिक खेल के तौर पर जल्लीकट्टू के आयोजन के लिए कानून बना सके। साथ ही उन्होंने आगाह किया कि खेल के आयोजन के दौरान पशुओं के साथ क्रूरता नहीं होनी चाहिए और उन्हें किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। 
जल्लीकट्टू जैसे कार्यक्रमों की इजाजत देने के लिए उच्चतम न्यायालय में केंद्र के रुख का बचाव करने वाले रोहतगी ने कहा कि जहां तक इस खेल की बात है यह संबद्ध राज्य सरकारों के विशेष क्षेत्राधिकार में होना चाहिए और इस पर केंद्र का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि इसका अधिकार केंद्र के पास नहीं है, क्योंकि संविधान केंद्र और राज्यों की भूमिका के बीच सीमा रेखा निर्धारित करता है। उन्होंने कहा कि जहां तक इस खेल की बात है तो यह राज्य के विशेष अधिकार क्षेत्र में है।
 
 
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