गाजियाबाद की एक दवा कंपनी द्वारा निर्मित पिलाई जाने वाली पोलियो की दवाई की कुछ खेपों में पोलियो विषाणु टाइप 2 के अंश मिलने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश में पोलियो निगरानी दल से उन सभी बच्चों का पता लगाने को कहा है, जिन्हें यह दवाई पिलाई गई थी. सरकार के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बच्चों को पोलियोरोधी दवा की खुराक पिलायी गयी है. अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस कंपनी की पोलियो दवाई को तत्काल वापस लेने का आदेश भी दिया है. पोलिया टाइप 2 विषाणु से भारत समेत पूरी दुनिया ने निजात पा लिया है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पोलियो निगरानी दल से उन बच्चों का पता लगाने को कहा गया है जिन्हें यह दवाई पिलाई गई थी. ऐसे बच्चों पर इसको लेकर भी नजर रखी जाएगी कि यह विषाणु बच्चों के शरीर में क्या असर दिखाता है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिलाई जाने वाली पोलियो की दवाई की कुछ खेपों में पोलियो टाइप 2 विषाणु के अंश मिलने और कंपनी के प्रबंध निदेशक को शनिवार को गिरफ्तार किये जाने के बाद इस पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है. केंद्रीय दवा नियामक द्वारा इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद बायोमेड प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक को गिरफ्तार कर लिया गया है. यह कंपनी सरकार के टीकाकरण कार्यक्रमों के लिए ही पोलियो की दवाई की आपूर्ति करती थी.

भारतीय दवा महानियंत्रक ने भी कंपनी को अगले आदेश तक इन दवाओं का विनिर्माण, बिक्री और वितरण रोक देने को कहा है. एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि ‘कंपनी के पांच निदेशक हैं. प्रबंध निदेशक को गिरफ्तार कर लिया गया है, हमने पुलिस को बाकी निदेशकों का पता लगाने को कहा है क्योंकि उनसे पूछताछ की जरुरत है. स्वाथ्य मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार पोलियारोधी दवा के दूषित होने का मामला तब सामने आया जब उत्तरप्रदेश की निगरानी रिपोर्ट में कुछ बच्चों के मल के नमूनों में इस विषाणु के होने के संकेत दिखे। उसके तत्काल बाद संबंधित पोलिया की दवाई को जांच के लिए भेजा गया और उनमें से कुछ में टाइप 2 विषाणु होने की पुष्टि हुई.