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भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने सोमवार को कहा कि फुटबॉल के उलट क्रिकेट ‘कप्तान’ का खेल है और कोच को ‘पर्दे के पीछे से काम’ करना चाहिए.

गांगुली ने कहा, “क्रिकेट का गेम फुटबॉल जैसा नहीं होता. कई क्रिकेट कोच सोचते हैं कि वे फुटबॉल टीम बना रहे हैं लेकिन क्रिकेट कप्तान का खेल है और कोच को सामने नहीं आना चाहिए; यही महत्वपूर्ण है.” भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल कप्तानों में से एक 46 साल के गांगुली ने कहा कि कोच का सबसे महत्वपूर्ण गुण ‘मानव प्रबंधन’ का होना चाहिए. गांगुली यहां के सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड यूनिवर्सिटी) में अपनी पुस्तक – ‘ए सेंचुरी इज नॉट एनफ’ के लॉन्च के लिए यहां पहुंचे थे. वरिष्ठ खेल लेखक गौतम भट्टाचार्य इस किताब के सह लेखक हैं. 

इस मौके पर गांगुली ने भट्टाचार्य के साथ एक पैनल चर्चा में भी भाग लिया. भारत के लिए 113 टेस्ट मैच खेलने वाले गांगुली ने कोच के बारे में पूछे गये सवाल पर कहा कि कोच को ‘‘मानव प्रबंधन’’ में दक्ष होना चाहिए लेकिन ‘‘बहुत कम कोच में ऐसी काबिलियत है.” यह पूछे जाने पर कि अगर रवि शास्त्री से वह क्या सवाल पूछ्ना चाहेंगे, इस पर गांगुली ने कहा, “टीम कौन चुनता है, रोहित शर्मा (वर्तमान कप्तान) या रवि शास्ती.”  

आईपीएल खेल चुके गांगुली ने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि उन्हें सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग, जहीर खान और हरभजन सिंह जैसे दिग्गज खिलाड़ियों की टीम का नेतृत्व करने का मौका मिला. उन्होंने कहा कि कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं लेकिन वे सुनिश्चित नहीं है कि उन्हें अगला गेम खेलने का मौका मिलेगा. विराट कोहली के संबंध में उन्होंने कहा, “विराट कोहली को थोड़ा कार्य करने की जरूरत है. मैंनें उसका समर्थन किया क्योंकि मैंने उसे करीब से देखा है. मैंने उसे देखा है कि वह दबाव में कैसे खेलता है.”   

उन्होंने कहा कि पेशेवर जिंदगी में दबाव को झेलना जरूरी है लेकिन बहुत अत्यधिक दबाव अच्छा नहीं है. एशिया कप में पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश के हालिया प्रदर्शन पर गांगुली ने कहा, “ये टीमें बदलाव के दौर से गुजर रही हैं  और जैसे ही उनकी टीम मजबूत होगी, वे सत्त में आ जाएंगे.” 

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