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मुख्यमंत्री योगी ने मुंशी से पूछा, कितनी शिकायतों दर्ज करते हो

लखनऊ। औचक निरीक्षण में हजरतगंज थाने पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुशी से पूछा कितनी शिकायतों पर एफआईआर दर्ज करते हो? तो महिला थाना प्रभारी से उसके कार्य क्षेत्र के बारे जानकारी लेने के साथ ही मुख्यमंत्री ने साइबर सेल की कार्य प्रणाली भी समझा। मुख्यमंत्री को सामने देखकर पुलिस कर्मचारी सही से जवाब देने में हिचक गए।

इस पर योगी ने साफ किया कि उनका थाने का मुआयना करने का मकसद कर्मचारियों में भय उत्पन्न करना नहीं है, वरन कानून का राज कायम करना है। वह चाहते हैं कि थानों में कार्य संस्कृति बने और जनता को लगे कि सरकार बदलने किे साथ ही थानों का माहौल और पुलिस वालों का व्यवहार बदल गया है।

डीजीपी एस जावीद अहमद को साथ लेकर थाने का औचक मुआयना करने पहुंचे मुख्यमंत्री फ्लीट से उतरते ही सीधे स्वागत कक्ष में गए। मुख्यमंत्री और डीजीपी को अपने सामने देखकर कक्ष में मौजूद दिवसाधिकारी के हांथ पांव फूल गए। सीएम ने दिवसाधिकारी से कहा फरियादियों को कहां बैठाते हो। दिवसाधिकारी ने कुर्सियों की ओर इशारा करके कहा सर यहीं बैठाते हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने स्वागत कक्ष में कुर्सियों की संख्या बढ़ाने और पीने के पानी का बंदोबस्त किए जाने के निर्देश दिए।

स्वागत कक्ष से निकल कर सीएम सीधे कोतवाली के कार्यालय में पहुंचे। उन्होंने जीडी (जनरल डायरी) मुंशी उत्तम मिश्र से पूछा कि सारे शिकायती पत्रों पर एफआईआर दर्ज की जाती है। जवाब में मुंशी ने कहा कि हां सर। इसके बाद सीएम ने उससे जीडी मांगी। सिपाही ने तत्काल उन्हें जीडी दिखाई।

जीडी देखने के बाद श्रीयोगी ने उससे पूछा इस साल कितनी एफआईआर दर्ज हुईं हैं। जवाब में सिपाही ने कहा सर 228 मुकदमें दर्ज हुए हैं। इसके बाद सीएम ने डीजीपी जावीद अहमद से पूछा कि मुकदमा दर्ज करने के कितने दिन बाद कार्रवाई करते हो। सीएम के सवाल से डीजीपी सकपका गए। उन्होंने कहा सर तत्काल कार्रवाई की जाती है। अधिकांश मुकदमों की विवेचना 60 से 90 दिनों में पूरी कर ली जाती है।

इंस्पेक्टर महिला थाना से पूछा थाने का क्षेत्राधिकार क्या है? शिकायती महिलाओं को कहां बैठाया जाता है। उन्होंने महिला सिपाही प्रियंका से एफआईआर की कापी मांग कर पढ़ी। उन्होंने पूछा कि महिला सिपाहियों की बैरक कहां है। वह बैरक का निरीक्षण करने नहीं गए लेकिन दिया कि बैरक में आवश्यक जरूरतें होनी जाहिए। इसके बाद मुख्यमंत्री थाने के साइबर सेल गए। साइबर सेल में मौजूए सिपाही अखिलेश कुमार सिंह से सेल की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी हासिल की। मुख्यमंत्री ने सवाल कि कि इंटरनेट काल का कैसे पता लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि यह निरीक्षण अखिरी नहीं है, यह तो अभी शुरूआत है।

उन्होंने पुलिस कार्मिकों को अपने व्यवहार में परिवर्तन लाने का निर्देश देते हुए कहा कि थाने पर फरियाद लेकर आने वाले शिकायतकर्ताओं को पूरा सम्मान दिया जाना चाहिए। आवश्यकतानुसार शिकायतकर्ताओं को कागज एवं कलम भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति की तत्काल एफआईआर दर्ज कर थाना प्रभारी द्वारा वैधानिक कार्रवाई सुनश्चिति की जाए। लेकिन यदि जांच के दौरान पता चले कि एफआईआर विद्वैष की भावना से गलत दर्ज करायी गयी है तो शिकायतकर्ता के खिलाफ कार्रवाई भी की जाए। कहा कि प्रदेश के चहुंमुखी विकास एवं इसके प्रति लोगों की धारणा में सुधार के लिए राज्य की कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाया जाएगा।

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