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सहयोगी दलों के दबाव से परेशान हो उठी भाजपा, सुभासपा-अपनादल के तेवर से हलचल

मंत्री ओमप्रकाश राजभर भाजपा सरकार पर दबाव बना रहे थे। अब अपना दल (एस) के तीखे तेवर से भाजपा की परेशानी और बढ़ गई है। पिछड़ों के आरक्षण में बंटवारा और मंत्री पद की दावेदारी समेत कई ऐसे मुद्दे हैं जो मतभेद को बढ़ा रहे हैं। भाजपा नेतृत्व इस मतभेद को दूर करने की कोशिश में लगा है।

निजी एजेंडे को साधने की पहल 

राजग गठबंधन के सहयोगियों ने लोकसभा चुनाव को देखते अपने निजी एजेंडे को साधने की पहल शुरू कर दी है। बिहार में रालोसपा अध्यक्ष और मोदी सरकार में मंत्री रहे उपेंद्र कुशवाहा के गठबंधन से अलग होने और लोजपा अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान की दबाव की राजनीति से मिली मनमाफिक सफलता ने अन्य सहयोगियों को भी सक्रिय कर दिया है। उत्तर प्रदेश में ओमप्रकाश राजभर तो पहले से ही विद्रोही तेवर दिखा रहे थे लेकिन, केंद्र में मंत्री और अपना दल एस की संयोजक अनुप्रिया पटेल की उपेक्षा का मुद्दा उठाकर उनके पति और पार्टी के अध्यक्ष आशीष सिंह पटेल ने नया मोर्चा खोल दिया है। भाजपा अपने स्तर से गठबंधन पर कोई आंच नहीं आने देना चाहती। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने गुरुवार को आशीष सिंह पटेल को फोन किया जबकि भाजपा के प्रदेश महामंत्री और पिछड़ा मोर्चा के प्रभारी विजय बहादुर पाठक का कहना है ‘अपने सहयोगियों को साथ लेकर चलने का भाजपा का इतिहास रहा है। कहीं कोई गलतफहमी है तो संवाद के जरिये हल हो जाएगी।’

मंत्री बनने के लिए बढ़ रहा दबाव

भाजपा भले बातचीत और संवाद के जरिये मसले को हल करने का दावा कर रही है लेकिन, कार्यकर्ताओं में ऐसे दबाव से नाराजगी है। कार्यकर्ताओं ने कहना शुरू कर दिया है कि अपना दल के नौ विधायक होने के बावजूद उनकी पार्टी के अध्यक्ष को भाजपा ने विधान परिषद में भेजा। उनके नाम सरकार ने बड़ा बंगला आवंटित किया और अब वह मंत्री बनने के लिए दबाव बना रहे हैं। अपना दल एस के कार्यकर्ताओं का अलग तर्क है। विधान परिषद में भेजे जाने को वे भाजपा का अहसान नहीं बल्कि अपना हक बताते हैं क्योंकि अगर वह साथ नहीं देते तो राज्यसभा में जाने में भाजपा उम्मीदवार को मुश्किल होती।

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