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सिद्धू के “कैप्टन” वाले बयान के बाद सूबे में कांग्रेस की सियासत अचानक से गरमा गई

पंजाब कांग्रेस में लंबे समय से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चली आ रही वर्चस्व की लड़ाई को सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दोनों को गले मिलवाकर खत्म करा सकते हैं। राहुल गांधी व पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह सोमवार को चंडीगढ़ आ रहे हैं। इसी दौरे के मद्देनजर बीते दिनों सिद्धू की ओर से कैप्टन पर किए गए कमेंट के बाद उठे विवाद को राहुल ने कुछ दिनों के लिए शांत कराया था।

सिद्धू ने कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद से ही कैप्टन, अकाली नेता सुखबीर सिंह बादल, बिक्रम सिंह मजीठिया व पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल पर सियासी निशाना साधा है। अपने तेज तर्रार स्टाइल के चलते सिद्धू ने आज तक कैप्टन पर सियासी हमले करने का कोई मौका नहीं गंवाया है।

यही वजह है कि कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से लेकर आज तक सिद्धू भी कैप्टन के निशाने पर रहे हैं और कैप्टन सिद्धू के निशाने पर। कैप्टन का कद फिलहाल इतना बड़ा है कि उन्हें सिद्धू की कोई टेंशन नहीं है, लेकिन सिद्धू जिन मुद्दों को लेकर कैप्टन को कठघरे में खड़ा करते हैं, उन्हें लेकर सिद्धू जरूर अपना सियासी कद बढ़ाने की कवायद करते हैं।

श्री करतारपुर कॉरिडोर के निर्माण को लेकर पाकिस्तान में नींव का पत्थर रखने के दौरान कैप्टन के न चाहने के बाद भी सिद्धू इमरान खान से अपनी दोस्ती निभाने की आड़ में अपना सियासी कद बढ़ाने गए थे। करतारपुर साहिब कॉरिडोर के निर्माण को लेकर अभी तक सिद्धू ने दो दौरे किए हैं। दोनों के बाद सिद्धू विवादों में घिरे हैं।

पहले दौरे पर पाकिस्तान के सेना प्रमुख को गले लगाने को लेकर पूरे देश में सिद्धू की निंदा की गई थी, तो हाल ही में दौरे से लौटने के बाद उन्होंने अमरिदर को कैप्टन मानने से इन्कार करने वाला विवादित बयान दिया था। सिद्धू ने खुलकर प्रेस कांफ्रेंस में तेलंगाना चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि वह अपना कैप्टन राहुल गांधी को मानते हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह तो सेना में कैप्टन थे।

निशाने पर आ गए थे सिद्धू

सिद्धू के “कैप्टन” वाले बयान के बाद सूबे में कांग्रेस की सियासत अचानक से गरमा गई थी और सिद्धू तमाम कांग्रेसियों के निशाने पर आ गए थे। चार दिनों तक इस मामले को लेकर तमाम कांग्रेसी कैप्टन के साथ खड़े रहे बाद में राहुल गांधी ने मामले में हस्तक्षेप कर दोनों को शांत कराया था। सूत्रों के अनुसार, इसी के चलते प्रचार से लौटने के बाद सिद्धू ने गले की बीमारी की आड़ में चुप रह कर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की है।

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