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7 साल बाद आया कोर्ट का फैसला, दो को मौत, एक को उम्रकैद की सजा

jigisha-ghosh_650x400_51471848132नई दिल्ली । दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 7 साल बाद 2009 के आईटी कर्मचारी जिगीषा घोष मर्डर केस पर अपना अंतिम फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने जिगीषा घोष मर्डर केस को रेयर ऑफ रेयरेस्ट क्राइम मानते हुए कहा कि अपराधियों ने जिगीषा के साथ हैवानियत की है। जिसके मतद्दे नज़र दो आरोपियों को मौत की सजा सुनाई  है।  जिन दो आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई है उनके नाम रवि कपूर और अमित शुक्ला हैं । इसके साथ ही तीसरे आरोपी बलजीत मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही साथ आरोपी रवि पर 20 हजार, अमित पर 1 लाख और बलजीत पर तीन लाख का जुर्माना भी लगाया है।

गौरतलब है कि सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मेनेजर के पद पर काम करने वाली जिगिशा घोष की साल 2009 के मार्च में अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद उसका शव हरियाणा के सूरजकुंड के पास बरामद किया गया । पुलिस की कार्रवाई में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था । 14 जुलाई, 2016 को  दिल्ली की अदालत ने तीनों लोगों को दोषी करार करते हुए रवि कपूर, अमित शुक्ला और बलजीत सिंह मलिक की सजा तय करने के लिए 22 अगस्त की तिथि तय की थी। जो आज केस का इन्साफ हो गया ।

 इन धाराओं के तहत मिली सजा –
अदालत ने अभियुक्तों को आईपीसी की धारा 201 (सबूत नष्ट करने), धारा 364 (हत्या करने के लिए अपहरण), धारा 394 (लूट के दौरान चोट पहुंचाना), धारा 468 (फर्जीवाड़ा), धारा 471 (फर्जी दस्तावेज का वास्तविक इस्तेमाल), धारा 482 (झूठी संपत्ति को व्यवहार में लाना) और धारा 34 के तहत दोषी ठहराया।

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