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BJP कभी अपने बारे में नहीं सोचती : शाह

bjpलखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि भाजपा और देश की सरकार दोनों ही दीनदयाल जी के सिद्धान्त को गरीब कल्याण दिवस के रूप में मना रही है। उनका पूरा जीवन इस देश की संस्कृति को समर्पित था। उन्होंने कहा कि भाजपा एक ऐसी पार्टी है जो कभी अपने बारे में नहीं सोचती है। 

राजधानी के गोमतीनगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में गुरुवार को पं. दीनदयाल उपाध्याय के वांगमय के लोकार्पण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे शाह ने कहा कि देश में कांग्रेस के अलावा कोई और भी सरकार चला सकता है, यह दीनदयाल जी की वजह से ही हुआ है। 10 लोगों से बना जनसंघ आज केंद्र में सरकार बना चुका है।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि अंत्योदय विचार को किसी ने चरितार्थ किया तो वह मोदी सरकार है, तभी हमारी सरकार ने एक ही साल में 20 करोड़ लोगों का बैंक अकॉउंट खुलवाया। इसी तरह उज्जवल योजना के तहत पांच साल में पांच करोड़ लोगों को गैस कनेक्सन मिल जायेगा।।

उन्होंने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री के बाद देश के किसी प्रधानमंत्री ने संपन्न लोगों को सब्सिडी छोड़ने की बात कही और एक करोड़ 20 लाख लोगों ने सब्सिडी छोड़ी। शाह ने कहा कि अंत्योदय को चरितार्थ करने की दृष्टि से भारत सरकार द्वारा पं. दीनदयाल उपाध्याय के शताब्दी वर्ष का आयोजन किया जा रहा है।

दीनदयाल उपाध्याय सम्पूर्ण वाङ्मय हर क्षेत्र में काम करने वालों के लिये गीता से कम उपयोगी नहीं है। पं. दीनदयाल का जीवन स्व के लिये नहीं बल्कि देश के लिये समर्पित था। वे युगदृष्टा थे और उन्होंने एकात्म मानववाद और अंत्योदय के माध्यम से नयी दृष्टि दी। पं. दीनदयाल का मानना था कि अंतिम पायदान में खडे़ व्यक्ति के विकास से ही देश का विकास होगा। उन्होंने कहा कि देश के विकास का संकल्प लें, यही पं. दीनदयाल के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि पं. दीनदयाल ने अपने विचारों से लोगों को जोड़ा। एक राजनेता देश के लिये कैसे विचार करता है, यह समझने की आवश्यकता है। पं. दीनदयाल में प्रेरणा देने की अद्भुत शक्ति थी। वे लगन और सम्पर्ण के साथ काम करने की मिसाल हैं। संगठन बनाने और उसे चलाने की उनमें अद्वितीय क्षमता थी।

स्व. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने उनके इस गुण को देखते हुये कहा था कि ‘मुझे दो दीनदयाल दे दो, मैं भारत को बदल दूंगा।’ राज्यपाल ने कहा कि पं. दीनदयाल ने अंत्योदय में जो अपने विचार व्यक्त किये हैं उससे प्रेरणा प्राप्त करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उनके शब्द हमारे लिये मार्गदर्शक हैं और उनके दिखाये रास्ते पर चलने की आवश्यकता है।

गौरतलब है कि दीनदयाल उपाध्याय के वांगमय का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नौ अक्टूबर को दिल्ली में कर चुके हैं। अब इसका अलग-अलग राज्यों में भी लोकार्पण कराया जा रहा है। इसी कड़ी में राजधानी में इसका लोकार्पण कराया गया। इस वांगमय में दीनदयाल जी ने वर्ष 1942 से 1967 तक जो भी लिखा और बोला। उसका 15 खंडो में संग्रह किया गया है।

इसका हर खण्ड किसी न किसी महापुरूष को समर्पित है। इसके प्रथम खण्ड की भूमिका सरसंघचालक डा मोहन भागवत ने लिखी है। इसके अलावा 13वें खंड की भूमिका राज्यपाल राम नाईक ने, हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम शांता कुमार, बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने भी इसके अलग-अलग खण्डों की भूमिकाएं लिखी हैं। आने वाले समय में इसके अंग्रेजी संस्करण का भी प्रकाशन किया जाएगा।

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