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‘हे छठी मईया, दर्शन दीहीं भोरे-भोरे’, चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू

chattaलखनऊ/गोरखपुर। प्रदेश के हर गली, हर मुहल्ला में शुक्रवार को छठ पर्व पवित्रता का संदेश दे रहा है। हर चैक-चैराहे पर छठ के गीत उ जे संझिया के देहबो अरगिया, भोरे मंगबो जरूर, दर्शन दीहीं भोरे-भोरे हे छठी मईया दर्शन दीहीं भोरे-भोरे गीतों से पूरा प्रदेश और पूर्वांचल गुंजायमान है।

लोक आस्था और सूर्योपासना के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय के साथ शुक्रवार से शुरु हो गया है। शनिवार 5 नवम्बर को खरना है। रविवार की शाम 6 नवम्बर को भगवान भाष्कर को पहला सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा।

खरना के बाद छठवर्ती 36 घंटे तक निर्जलाव्रत रखेंगे। नहाय-खाय को लेकर शुक्रवार की सुबह से ही प्रदेश के नदी घाटों के किनारे श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है। जो व्रती घर में छठ की पूजा करेंगे वे गंगाजल भरकर घर ला रहे हैं। प्रसाद बनाने के लिए व्रती गेहूं धोने में जुटे हैं। राजधानी लखनऊ की गोमती तथा कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, मिर्जापुर के गंगा तट पर अद्भुत नजारा दिखने लगा है।

नहाय-खाय की पूजा सुबह से ही शुरू है। गंगा के पवित्र जल में स्नान करने का सिलसिला जारी है। कद्दू की खरीदारी बहुतायत दिख रही है। अन्य शहरों में भी तैयारियां जोरों पर है।

गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ़, सुलतानपुर मंडलों में भी छठ के महिमा की बखान शुरू है। कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, मऊ, बलिया अदि जिलों में भी व्रतियों ने आराधना की तैयारियां शुरू कर दीं हैं।

वाराणसी के गंगा तट पर नहाय खाय की तैयारी शुरू हो गयी है। व्रती आज सुबह से ही गंगा घाट पर आकर स्नान और पूजा-पाठ में जुट गई हैं। मिर्जापुर के कई घाटों पर भी आस्था का सैलाब उमडा है। सुबह से लोग छठ व्रती महिलाएं नहाय-खाय की पूजा करने और प्रसाद बनाने में जुटी हैं।

नहाय खाय के अगले दिन यानि शनिवार को छठ महापर्व के खरना की पूजा की जाएगी। इसे लोहंडा भी कहते हैं। खरना के बाद रविवार 6 नवंबर को भगवान भास्कर को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा, फिर सोमवार 7 नवंबर को प्रातरूकालीन अर्घ्य देकर छठ की पूर्णाहुति हो जाएगी।

रविवार को ही पहला अर्घ्य काशी और मिथिला पंचांगों के हवाले से आचार्य नंदकिशोर द्विवेदी ने बताया कि कार्तिक शुक्ल षष्ठी शनिवार की सुबह 11।54 बजे से रविवार की दोपहर 1 बजे तक है। उदया तिथि रहने से रविवार को ही भाष्कर भगवान को पहला अर्घ्य दिया जाएगा।

सप्तमी तिथि सोमवार 7 नवंबर की दोपहर 2।37 बजे तक है। रविवार को अर्घ्य सूर्यास्त और सोमवार को सूर्योदय के समय दिया जाएगा। सायंकालीन अर्घ्य का समय रू शाम करीब 5।10 बजे और प्रातरू कालीन अर्घ्य का समय रू प्रातरू करीब 6।13 बजे है।छठ पर ग्रहों की स्थिति सूर्य, बुध -तुला में होंगे।

शुक्र व शनि-वृश्चिक में, मंगल और चंद्रमा -मकर में, केतु-कुंभ में, राहू-सिंह में और गुरु कन्या राशि में होंगे। बारह वर्षों के बाद छठ में बना सूर्य आनंद योग कार्तिक शुक्ल षष्ठी पर ग्रह-गोचरों का विशेष संयोग बन रहा है। आचार्य दीनबंधु दूबे के अनुसार पहला अर्घ्य रविवार को है। इस दिन चंद्रमा के गोचर में रहने से सूर्य आनंद योग का संयोग बनेगा।

यह खास संयोग लगभग 12 वर्षों के बाद बना है। इससे लंबे समय से बीमार चल रहे व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर और संतान की प्राप्ति होगी। महालक्ष्मी की कृपा बरसेगीआचार्य सरोजकांत मिश्र के अनुसार छठ महापर्व पर चंद्रमा और मंगल के एक साथ मकर राशि में रहने से महालक्ष्मी की भी कृपा व्रतियों पर बरसेगी। चंद्रमा से केन्द्र में रहकर मंगल के उच्च होने, स्वराशि में होने से रूचक योग षष्ठी -सप्तमी को बनेगा।

शनिवार को खरना से दूर होंगे शनि दोषआचार्य मिश्र के अनुसार शनिवार को खरना होने से शनि की साढ़े साती से पीड़ित व्यक्ति को विशेष लाभ और अन्य शनि दोषों से भी मुक्ति मिलेगी। आरोग्य की प्राप्ति व संतान के लिए व्रत

आचार्य के अनुसार सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति, सौभाग्य व संतान के लिए रखा जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था। उन्होंने कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए छठ व्रत किया था।

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