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एनडीबी के पूर्ण क्रियान्वयन में तीन साल लग जाएंगे: कामथ

kamathपणजी। गोवा में हो रहे 8वें ब्रिक्स समिट के दौरान सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने ब्रिक्स बिजनेस काउंसिल के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इसी सत्र में ब्रिक्स देशों के बैंक, न्यू डेवेल्पमेंट बैंक (एनडीबी) के प्रेसिडेंट केवी कामथ ने सभी राष्ट्राध्यक्षों के समक्ष बैंक के एक साल की विकास रिपोर्ट रखी। ‘हिन्दुस्थान समाचार’ ने एनडीबी प्रेसिडेंट केवी कामथ से बातचीत की जिसमें उन्होंने कई खुलासे किए।

श्री कामथ ने बातचीत के दौरान एनडीबी के एक साल की विकास यात्रा पर संतुष्टि जताई और कहा कि हम ब्रिक्स की अपेक्षाओं पर खरा उतरने में कामयाब हो रहे हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने इसकी पुष्टि की कि एनडीबी को पूर्ण रुप से क्रियान्वित होने में तीन साल लग जाएंगे। श्री कामथ ने कहा कि एक साल हो चुका है और अगले दो साल में हम एनडीबी में नियुक्ति, क्षेत्रीय कार्यालय सहित तमाम प्रक्रियाएं पूरी कर लेंगे।

यह पूछे जाने पर क्या 100 बिलियन डॉलर की पूंजी बैंक ऑपरेशन के लिए पर्याप्त है, उन्होंने कहा कि ये रकम बैंक की शुरुआत के लिए थी, और जैसे जैसे हम आगे बढ़ते जाएंगे, हम इस बारे में विचार करेंगें।

श्री कामथ ने उन खबरों का खंडन किया जिसमें कहा जा रहा था कि एनडीबी भविष्य में अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ काम कर सकता है। कामथ ने कहा कि ये सब बातें है, फिलहाल एनडीबी ब्रिक्स देशों के लिए ही काम करेगा। कामथ ने एनडीबी के बिमस्टेक या सार्क देशों के प्रोजेक्ट को वित्तीय सहायता देने पर साफ किया कि एनडीबी क्षेत्रीय बेहतरी का पक्षधर जरुर है, लेकिन हमारी प्राथमिकता में फिलहाल ब्रिक्स देशों के प्रोजेक्ट होंगे।

जब कामथ से पूछा गया कि क्या एनडीबी निजी क्षेत्र के प्रोजेक्ट में भी शामिल होगा या उन्हें वित्तीय मदद मुहैया कराएगा? एनडीबी प्रेसिडेंट ने कहा कि फिलहाल अगले एक साल तक तो ऐसा कोई विचार नहीं है लेकिन एक साल बाद हम इस बारे में विचार कर सकते हैं। वैसे बैंक को अभी सिर्फ एक साल हुआ है और एनडीबी पूरी तरह से क्रियान्वित होने में तीन साल लेगा। उसके बाद ही इस पर विचार हो सकता है, वैसे एनडीबी विकास के लिए प्रतिबद्ध है और हम सहायता करने में पीछे नहीं हटेंगे।

इसके बाद जब एनडीबी प्रेसिंडेंट से पूछा गया कि नई दिल्ली में हुई ब्रिक्स बिजनेस फोरम के दौरान ये सवाल सामने आए थे कि क्या एनडीबी सिर्फ सरकारों या सरकारी एजेंसियों जैसे हाइवे ऑथारिटी ऑफ इंडिया, ओएनजीसी पर ही भरोसा करता है, और एनडीबी क्या सिर्फ सरकार या सरकारी एजेंसियों के प्रोजेक्ट्स के साथ ही जुडे़ंगा, श्री कामथ ने साफ किया कि एनडीबी सरकारों को वित्तीय मदद दे रहा है, जो अपने आप में बहुत विस्तृत है। शुरुआती दौर में हमने सरकारों को वित्तीय मदद का फैसला किया है, उसके बाद हम इस मुद्दे पर आगे कुछ करेंगें।

एनडीबी, न्यू डेवेल्पमेंट बैंक की स्थापना ब्रिक्स देशों के बैंक के रूप में की गई है। इसका मुख्यालय चीन के शंघाई में है और बैंक की शुरुआत 100 बिलियन डॉलर की पूंजी से हुई है। एनडीबी को एडीबी (एशियाई डेवेल्पमेंट बैंक), विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की तर्ज पर एक विश्व स्तर की वित्तीय संस्था बनाने की ब्रिक्स देशों द्वारा कोशिश की जा रही है।

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