लोकसभा चुनाव से पहले पेश होने वाले बजट में की जाने वाली संभावित लोक लुभावन घोषणाओं को लेकर फिच ने सरकार को चेताया है। फिच ने कहा है कि ऐसा होने की स्थिति में सरकार लगातार दूसरी बार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से चूक सकती है।
शुक्रवार को सरकार अंतरिम बजट पेश करेगी और माना जा रहा है कि इसमें किसानों और मध्य वर्ग के लिए बड़ी राहत की घोषणा की जा सकती है।
फिच ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘नए खर्च के जरिए मतदाताओं को आकर्षित करने का दबाव है। विशेषकर ग्रामीण और छोटे कारोबारियों का। सरकार पर खर्च करने का दवाब इसलिए बढ़ा हुआ है क्योंकि बीजेपी अगले आम चुनाव में अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से विश्वस्त नहीं है।’
रिपोर्ट बताती है, ‘ग्रामीण अंसतोष और नौकरियों को लेकर चिंता की वजह से बीजेपी को कुछ राज्यों में हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में सीधे नकदी देने की योजना के जरिए समर्थन जुटाए जाने की संभावना अधिक है क्योंकि यह कर्ज माफी जैसे विकल्पों के मुकाबले ज्यादा उचित है।’
हालांकि लोकलुभावनी योजनाओं पर किया जाने वाला खर्च राजकोषीय दबाव को बढ़ाएगा, जो पहले से ही टैक्स संग्रह में आई कमी की वजह से चुनौतीपूर्ण हालत में है।
फिच ने कहा है, ‘चुनाव से पहले किए जाने वाले भारी खर्च की वजह से लगातार दूसरे साल राजकोषीय घाटे को पूरा करने का लक्ष्य चूक सकता है।’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हम मानते हैं कि केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष के लिए 3.3 फीसद राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा कर सकती है।’
चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने जीडीपी के मुकाबले 3.3 फीसद घाटे का लक्ष्य रखा है और माना जा रहा है कि इस साल भी सरकार इस लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएगी। इस वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में ही सरकार का घाटा लक्ष्य के मुकाबले 115 फीसद तक जा चुका है।
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