इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में मारुति-सुजुकी की रणनीति: देर से शुरुआत, लेकिन बड़ी तैयारी
मारुति-सुजुकी भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी रही है, लेकिन इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) की दौड़ में यह कंपनी कुछ सालों तक चुपचाप रही। जब टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी कंपनियाँ अपने इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ भारतीय बाजार में तेज़ी से आगे बढ़ रहीं थीं, तब मारुति ने ‘वेट एंड वॉच’ की रणनीति अपनाई। परंतु अब 2025 के बाद की योजना को देखकर यह स्पष्ट है कि कंपनी ने EV सेगमेंट में उतरने की मजबूत और दीर्घकालिक तैयारी कर ली है।
EV सेगमेंट में देरी क्यों?
मारुति-सुजुकी ने EV सेगमेंट में देरी क्यों की? इसका उत्तर कई परतों में छिपा है:
- कॉस्ट-एफिशिएंसी पर जोर: मारुति की पहचान एक किफायती और भरोसेमंद ब्रांड के रूप में है। भारत जैसे मूल्य-संवेदनशील बाजार में EV तकनीक अभी भी महंगी है — चाहे वह बैटरी हो, या चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर। ऐसे में कंपनी ने पहले EV टेक्नोलॉजी को और किफायती बनने का इंतज़ार किया।
- चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी: कंपनी का मानना था कि जब तक भारत में पर्याप्त चार्जिंग स्टेशन नहीं होंगे, तब तक EV का व्यापक इस्तेमाल संभव नहीं है।
- ग्राहकों की मानसिकता: आम भारतीय ग्राहक पेट्रोल-डीजल वाहनों की तुलना में EV को लेकर अनिश्चित हैं — चाहे वह ड्राइविंग रेंज हो, चार्जिंग टाइम या रीसेल वैल्यू।
अब क्यों हो रही है तेज़ी?
मारुति-सुजुकी ने अब EV योजना को लेकर आक्रामक रुख अपनाया है:
- 2025 में पहला इलेक्ट्रिक मॉडल: कंपनी का पहला पूर्ण इलेक्ट्रिक वाहन — कोडनेम “eVX” — 2025 में लॉन्च होगा। इसे Auto Expo 2023 में शोकेस किया गया था और इसके डिजाइन व रेंज को लेकर काफी सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली थीं।
- रेंज और फीचर्स: eVX की अनुमानित रेंज लगभग 550 किलोमीटर होगी, जो इसे भारतीय बाजार में सबसे लंबी रेंज वाली EV में से एक बनाएगी। इसमें एडवांस्ड सेफ्टी फीचर्स, कनेक्टेड कार टेक्नोलॉजी और फास्ट चार्जिंग सपोर्ट होगा।
जापान और भारत की टेक्नोलॉजी साझेदारी
सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन और टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन के बीच हुई तकनीकी साझेदारी के चलते मारुति को अत्याधुनिक इलेक्ट्रिक वाहन तकनीक का लाभ मिलेगा। दोनों कंपनियाँ बैटरी टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिक ड्राइवट्रेन और हाइब्रिड सिस्टम पर मिलकर काम कर रही हैं।
- बैटरी निर्माण संयंत्र: गुजरात के हंसलपुर में सुजुकी और टोयोटा मिलकर लिथियम-आयन बैटरी प्लांट स्थापित कर रहे हैं। यह संयंत्र भारत में EV निर्माण की आत्मनिर्भरता के लिए बड़ा कदम होगा।
- हाइब्रिड से EV की ओर संक्रमण: मारुति पहले मजबूत हाइब्रिड सिस्टम्स को बढ़ावा दे रही है ताकि ग्राहक धीरे-धीरे ICE (Internal Combustion Engine) से EV तक का रास्ता सहजता से तय कर सकें।
EV के लिए 10,000 करोड़ रुपये का निवेश
मारुति-सुजुकी और सुजुकी मोटर ने मिलकर भारत में EV निर्माण, रिसर्च और सप्लाई चेन विकास के लिए ₹10,000 करोड़ का निवेश घोषित किया है। इस निवेश का उद्देश्य है:
- eVX समेत कई इलेक्ट्रिक मॉडल्स की लाइनअप तैयार करना
- बैटरी रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग को लोकल बनाना
- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए टाई-अप्स करना
- EV टेक्नोलॉजी में स्थानीय इंजीनियरिंग प्रतिभा को शामिल करना
भविष्य की EV लाइनअप और बाजार रणनीति
eVX के बाद कंपनी की योजना है कि 2030 तक भारत में कम से कम 6 नए EV मॉडल लॉन्च किए जाएं। ये सभी मॉडल विभिन्न सेगमेंट में होंगे — हैचबैक, SUV, MPV और सिटी कार्स।
- फोकस मिड-सेगमेंट पर: मारुति का उद्देश्य ₹8 लाख से ₹18 लाख तक की कीमत वाले EV पेश करना है, जो भारत के मध्यम वर्ग को ध्यान में रखकर बनाए जाएंगे।
- सेगमेंट वार रणनीति: कंपनी पहले शहरों और टियर-1 शहरों में EV लॉन्च करेगी, जहां चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहतर है और ग्राहक तकनीकी नवाचार को आसानी से स्वीकार करते हैं।
टाटा, महिंद्रा से प्रतिस्पर्धा कैसे?
टाटा मोटर्स इस समय भारत में EV बाजार की सबसे बड़ी खिलाड़ी है। उसके पास पहले से Nexon EV, Tiago EV जैसे उत्पाद हैं। महिंद्रा भी XUV400 जैसे मॉडलों से मैदान में है। ऐसे में मारुति की रणनीति यह होगी:
- टेक्नोलॉजी में बेहतर रेंज और बैटरी लाइफ देना
- कीमत को प्रतिस्पर्धी रखना
- अपनी बिक्री नेटवर्क (26,000+ टचपॉइंट्स) के माध्यम से EVs को छोटे शहरों तक पहुंचाना
उपसंहार: तैयार है भारत की EV क्रांति का नया नेता?
हालांकि मारुति-सुजुकी ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की दौड़ में देर से प्रवेश किया है, लेकिन उसकी रणनीति योजनाबद्ध, संसाधन-संपन्न और दीर्घकालिक सोच वाली है। अगर कंपनी अपनी योजना के अनुसार उत्पाद, मूल्य और तकनीक को संतुलित रखती है, तो आने वाले वर्षों में यह EV मार्केट में भी उसी तरह का दबदबा बना सकती है जैसा उसने पेट्रोल-डीजल वाहनों में बनाया।
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1. स्थापना: जब सरकार ने बनाई कार कंपनी
मारुति-सुजुकी की शुरुआत वर्ष 1981 में “मारुति उद्योग लिमिटेड” के रूप में हुई। भारत सरकार ने इसे एक सार्वजनिक उपक्रम के तौर पर स्थापित किया ताकि आम लोगों के लिए सस्ती और भरोसेमंद कारें उपलब्ध कराई जा सकें। उस समय भारतीय सड़कों पर विदेशी कंपनियों की पुरानी तकनीक वाली महंगी कारें चलती थीं। सरकार को एक ऐसी कंपनी चाहिए थी जो देश के आम नागरिक को ‘ड्रीम कार’ दे सके।
मारुति का पहला मॉडल – Maruti 800 – भारतीय मध्यवर्ग की पहली पसंद बन गई। यह कार 1983 में लॉन्च हुई और उसने भारतीय कार उद्योग में क्रांति ला दी। छोटे आकार, कम कीमत और अच्छे माइलेज के कारण यह हर घर की पहली कार बनी।
मुख्य विशेषताएं:
- निर्माण का प्रारंभ: 1981
- पहली कार: Maruti 800 (1983)
- उद्देश्य: किफायती कार हर भारतीय के लिए
- मालिक: भारत सरकार (शुरुआत में 100%)
इस दौर में मारुति के पास तकनीकी ज्ञान और डिज़ाइन अनुभव की कमी थी। यही वजह थी कि 1982 में भारत सरकार ने जापानी ऑटोमोबाइल कंपनी सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के साथ साझेदारी की।
2. साझेदारी: जब सुजुकी बनी भागीदार
भारत सरकार और सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के बीच 1982 में करार हुआ। सुजुकी ने तकनीकी सहायता के बदले मारुति में 26% हिस्सेदारी ली। समय के साथ यह हिस्सेदारी बढ़ती गई और वर्ष 2007 तक सुजुकी, मारुति की बहुलांश हिस्सेदार बन गई।
साझेदारी का महत्व:
- जापानी तकनीक का प्रवेश
- गुणवत्ता में सुधार
- उत्पादन प्रक्रिया में विश्वस्तरीय मानक
- निर्यात की शुरुआत
सुजुकी के अनुभव और मारुति की भारतीय बाजार की समझ ने इस साझेदारी को सफल बनाया। नई कारों की रेंज, बेहतर माइलेज और संतुलित कीमत ने कंपनी को सफलता की ऊंचाईयों पर पहुंचाया।
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3. प्रोडक्शन और प्लांट्स: कैसे बनती हैं लाखों कारें
मारुति-सुजुकी के भारत में कई बड़े उत्पादन केंद्र हैं। सबसे बड़ा और पहला प्लांट हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित है। इसके अलावा मानेसर और गुजरात के हंसलपुर में अत्याधुनिक प्लांट्स हैं।
प्रमुख उत्पादन केंद्र:
- गुरुग्राम: पहला और ऐतिहासिक प्लांट
- मानेसर: तकनीकी रूप से उन्नत प्लांट
- गुजरात: इलेक्ट्रिक और एक्सपोर्ट पर फोकस
हर प्लांट में लाखों यूनिट्स का उत्पादन होता है। कंपनी प्रति वर्ष 20 लाख से अधिक गाड़ियाँ बनाती है। भारत के अलावा, मारुति की गाड़ियाँ 100 से अधिक देशों में निर्यात होती हैं।
प्रोडक्शन में ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और लेन मैनेजमेंट जैसे इनोवेशन से कंपनी लगातार गुणवत्ता और स्पीड में सुधार कर रही है।
4. मॉडल्स और पोर्टफोलियो: हर वर्ग के लिए कार
मारुति-सुजुकी के पास भारत में सबसे बड़ा कार पोर्टफोलियो है। कंपनी की गाड़ियाँ लगभग हर सेगमेंट में उपलब्ध हैं – हैचबैक, सेडान, एसयूवी, एमपीवी आदि।