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UP चुनाव में दागी, बागी और रिश्तेदारों के टिकट रिजर्व

moमनीष शुक्ल 

लखनऊ। यूपी चुनाव में बागी, दागी और दिग्गज नेताओं के रिश्तेतदारों का बोलबाला रहेगा। दिसम्बर के अंत तक चुनाव की तारीखों के ऐलान की सुगबुगाहट के बीच भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा में टिकट के लिए मारामारी शुरू हो गई है। कांग्रेस और बसपा में जहां रिश्तेदारों की संख्या सीमित है, वहीं भाजपा और सपा में दिग्गज नेता अपने परिवार और रिश्तेदारों के लिए विधानसभा के टिकट को रिजर्व करने में जुट गए हैं। फिलहाल पार्टियां भी पुराने फार्मूले को आजमाते हुए ऐसे टिकटों को रिजर्व करने का फैसला कर चुकी हैं।

यूपी विधानसभा को लेकर भाजपा में इस बार टिकट के लिए खासी मारामारी चल रही है। लगातार सर्वे और इंटरव्यू के बीच पार्टी दिग्गजों के रिश्तेदारों को एडजस्ट करने की कवायद हो रही है। पुराने दिग्गज नेता और राजस्थान के राज्यपाल से लेकर केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र और पूर्व मुख्यमंत्री जगदम्बिका पाल अपने-अपने रिश्तेदारों की सीट रिजर्व करने में जुटे हैं। दूसरी ओर बाहरी नेताओं ने भी अपने- अपने चहेतों की सूची पार्टी प्रबंधन को सौंप दी है। अगर सबकुछ ठीकठाक रहा तो कल्याण सिंह के पोते और राजबीर सिंह राजू भईया के सुपुत्र एटा विधानसभा से चुनाव लड़ सकते हैं।

इसके अलावा फतेहपुर सीकरी से रिश्तेदार हेमवीर सिंह ने भी चुनाव लड़ने के लिए कमर कस ली है। वह लोध समाज के वोटों को भाजपा के पाले में ला सकते हैं। यही बात टिकट के लिए मुफीद साबित हो रही है। केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र केंद्र में अपनी आखिरी पारी खेल रहे हैं। वह अपने सुपुत्र अमित मिश्र को समय रहते पार्टी में एडजस्ट करना चाहते हैं। अमित के लिए लखनऊ की सीट उपलब्ध कराई जा सकती है। इसके अलावा जगदम्बिका पाल भी बस्ती सदर से अपने रिश्तेदार को चुनावी मैदान में उतारने की कवायद में हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और आगरा के सांसद राम शंकर कठेरिया की धर्मपत्नी को इटावा से टिकट मिलना लगभग तय है। पूर्व मंत्री उदय भान करवरिया की धर्मपत्नी नीलम करवरिया भी इलाहाबाद के मेजा से टिकट की होड़ में हैं। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पुराने दिग्गज नेता ओमप्रकाश सिंह के सुपुत्र मिर्जापुर से टिकट के लिए कतार में हैं।

इसके अलावा बसपा से भाजपा में शामिल हुए दिग्गज नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक भी अपने चहेतों के लिए टिकट चाहते हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य के सुपुत्र उत्कृष्ट मौर्य रायबरेली से चुनाव लड़ सकते हैं जबकि ब्राह्मण चेहरे के तौर चर्चित बृजेश पाठक की धर्मपत्नी को भी टिकट मिल सकता है। कांग्रेस से नाराज होकर भाजपा में आईं वरिष्ठ नेता रीता बहुगुणा जोशी अपने पुत्र मयंक जोशी के लिए टिकट चाहती हैं। हालांकि भाजपा रीता बहुगुणा जोशी को इलाहाबाद से चुनाव लड़ाना चाहती है। वरिष्ठ नेता लालजी टंडन के सुपुत्र गोपालजी टंडन लखनऊ से विधायक हैं। उनका टिकट पक्का माना जा रहा है। भाजपा सरकार बनने की स्थिति में सत्ता में महत्वपूर्ण भागीदारी मिल सकती है। हालांकि गृहमंत्री राजनाथ सिंह के सुपुत्र पंकज सिंह को लेकर तस्वीर साफ नहीं है। भाजपा में प्रदेश स्तरीय नेता हैं। चुनाव में उनकी भूमिका भी महत्वहपूर्ण होगी लेकिन वह खुद चुनाव लड़ेंगे, यह साफ नहीं है।

सत्ताधारी समाजवादी पार्टी में बाहुबली से लेकर पार्टी दिग्गजों के रिश्तेदारों के टिकट रिजर्व कर दिए गए हैं। सपा सु्प्रीमो मुलायम सिंह यादव के परिवार पर नजर डाली जाए तो लोकसभा में पार्टी के पांचों सांसद इसी परिवार से हैं। इस बार दो से तीन नए चेहरे विधानसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमा सकते हैं। मुलायम सिंह की बहू अपर्णा यादव को लखनऊ विधानसभा से टिकट मिल चुका है जबकि शिवपाल यादव के सुपुत्र आदित्य यादव अपने पिता की विधानसभा जसवंत नगर के प्रभारी हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस बार वो भी चुनाव में अपना भाग्य आजमाएंगे। सपा ने अब तक लगभग 200 उम्मीदवारों की सूची जारी की है। इनमें आजम खान के बेटे औबेदुल्ला आजम को रामपुर के स्वार से टिकट मिला है। इससे पहले सूची में शाही इमाम अहमद बुखारी के दामाद उमर अली खान को भी बेहट, सहारनपुर से टिकट मिल चुका है। सपा में बाहुबलियों को भी दिल खोलकर टिकट दिया गया है। इनमें सिगबतुल्ला अंसारी को गाजीपुर के मोहम्दाबाद सीट, अतीक अहमद को कानपुर कैंट और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के भाई हसीमुद्दीन सिद्दीकी को टिकट दिया गया है। अंसारी बंधुओं का टिकट भी पक्का है जबकि मधुमिता हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व विधायक अमरमणि त्रिपाठी के पुत्र अमनमणि को भी टिकट मिल चुका है। उन पर भी अपनी पत्नी की हत्या का आरोप का है। सपा ने कांग्रेस के बागी विधायक मुकेश श्रीवास्तव को भी टिकट दिया है। मुकेश एनएचआरएम घोटाले में आरोपी हैं। ये हालात सभी राजनीतिक दलों में हैं। ऐसे में सभी पार्टियों में दागी, बागी और रिश्तेदारों का एक बार फिर बोलबाला होने वाला है।

दागियों का दल-दल
लखनऊ। प्रदेश के कुल 403 विधायकों में से 47 प्रतिशत यानी 189 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 98 ऐसे हैं जिनके ऊपर हत्या, बलात्कार जैसी संगीन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज है। विधायकों के हलफनामों के आधार पर तैयार यूपी इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक सपा के 224 विधायकों में से 111 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 56 के खिलाफ गंभीर मामले हैं।
सपा के बाद दूसरा नंबर बसपा का है। उसके 80 विधायकों में से 29 के खिलाफ आपराधिक मुकदमे हैं, जिसमें से 14 माननीयों पर तो गंभीर मामले हैं। इस मामले में भाजपा का ट्रैक रिकार्ड भी अच्छा नहीं। उसके 47 में से 25 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं जबकि इनमें 14 पर गंभीर आरोप हैं। कांग्रेस के 28 में से 13 विधायकों पर आपराधिक मामले हैं।

विधायकजी पर लगी धाराएं
– आईपीसी 153 ए (धार्मिक भावनाएं भड़काना) – कुल 12 मामले
– आईपीसी 302 (हत्या) – कुल 38 मामले
– आईपीसी 307 (हत्या का प्रयास) – कुल 95 मामले
– आईपीसी 364 (हत्या के लिए अपहरण) – कुल 15 मामले
– आईपीसी 376 (दुराचार के लिए दंड) – कुल 4 मामले
– आईपीसी 392 (लूट के लिए दंड) – कुल नौ मामले
– आईपीसी 395 (डकैती के लिए दंड) – कुल 21 मामले

यूपी चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेताओं के रिश्तेदार टिकट की कतार में

 सपा में यादव कुनबे के बाद अन्य नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट

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