लखनऊ। समाजवादी पार्टी में नेता प्रतिपक्ष के पद पर अपने चहेते आजम खां को बैठाने और पार्टी के भीतर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिहाज से नव निर्वाचित विधायकों को अपने आवास पर दावत देने और उनके साथ बैठक करने के मुलायम के मसूबे पर उनके ही बेटे ने पूरी तरह पानी फेर दिया।
नेता प्रतिपक्ष के पद पर सोमवार को राम गोविंद चौधरी की नियुक्ति करके अखिलेश ने साफ संदेश दिया था कि वह ही सपा के असली सुप्रीमो हैं। पर अंत तक हार न मानने वाले मुलायम भी आसानी से मैदान छोड़ने वाले नहीं थे, लिहाजा वह नवनिर्वाचित विधायकों के साथ बैठक करने पर अड़े रहे तो मंगलवार को बेटे ने ऐसा तीर छोड़ा कि मुलायम बैक फुट पर आ गए।
उल्लेखनीय है कि मुलायम ने 29 मार्च को विक्रमादित्य मार्ग स्थित अपने आवास पर नवनिर्वाचित विधायकों को खाने पर बुलाया था। खाना तो बहाना था, असली मकसद मुलायम नवनिर्वाचित विधायकों की नेता प्रतिपक्ष के पद पर आजम खां के नाम पर सहमति बनवाना चाह रहे थे ।
इसके साथ ही मुलायम यह भी जानना चाह रहे थे कि सपा में अब उनकी कितनी पैठ बची है कि उसके हिसाब से अगली रणनीति चली जाय। अखिलेश अपने पिता की गोटी भांप गए और उन्होंने सोमवार को ही रामगाविंद चौधरी को नेता प्रतिपक्ष घोषित कर मुलायम की मुहिम की हवा निकाल दी।
सूत्रों का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष घोषत करके के बाद अखिलेश खेमा यह मानने लगा था कि अखिलेश द्वारा 28 मार्च को बुलाई गई विधानमंडल दल की बेठक में मुलायम हिस्सा लेंगे और नव निर्वाचित विधायकों का मार्ग दर्शन करेंगे। लेकिन जब न मुलायम आए और न ही शिवपाल तो बेटे ने ऐसा तीर छोड़ा, जिसने मुलायम को अपने घर में कैद रहने को मजबूर कर दिया।
सूत्रों ने बताया कि सपा विधानमंडल दल की बैठक में विधायकों को यह संदेश दिया गया कि वे सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा बुलायी गई बैठक में ही भाग लें। बिना किसी का नाम लिए उन्हें यह ताकीद किया गया कि किसी अन्य के बुलाने पर वे न जाएं।
इससे साफ हो गया कि मुलायम की 29 मार्च की दावत में भाग लेने से विधायकों को रोक दिया गया। इसके बाद दावत का कोई महत्व नहीं रह गया था, लिहाजा मुलायम ने बुधवार की बैठक और दावत दोनों ही कार्यक्रम रद्द कर दिए। जानकारों का कहना है कि शायद यह पहला मौका है जब ‘नेताजी’ अपने ही विधायकों से चाह कर भी नहीं मिल पाए।
Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal