Sunday , April 28 2024

कारोबार

डॉलर के मुकाबले फिर 69 के पार रुपया, कच्चे तेल समेत इस वजह से बढ़ रही गिरावट

डॉलर के मुकाबले फिर 69 के पार रुपया, कच्चे तेल समेत इस वजह से बढ़ रही गिरावट

डॉलर के मुकाबले रुपये में जारी गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है. शुक्रवार को एक बार फिर रुपया डॉलर के मुकाबले 69 के पार पहुंच गया है. शुरुआती कारोबार में रुपया डॉलर के मुकाबले 8 पैसे गिरकर 69.03 के स्तर पर पहुंचा है. रुपये में आई इस गिरावट …

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रिलायंस की AGM में बड़ा एलान, ₹1500 के जियो फोन में चलेंगे YouTube, facebook और WhatsApp

रिलायंस जियो के यूजर्स के लिए आज रिलायंस इंडस्टीज़ की 41वीं एनुअल जनरल मीटिंग में कई बड़े एलान किए गए हैं. ग्रुप के मालिक मुकेश अंबानी ने जियो को लेकर कई बड़े एलान किए हैं. मुंबई के बिरला मातोश्री सभागार में एनुअल जनरल मीटिंग सुबह 11 बजे से चल रही है. रिलायंस जियो ने आज जियो गीगा और जियो फोन-2 को लॉन्च किया है. अब 1500 रुपए के फोन में YouTube, facebook और WhatsApp फ्री में और वॉयल कमांड पर चलेंगे. पल-पल की अपडेट के लिए बने रहिए एबीपी न्यूज़ के साथ. LIVE UPDATES जियो फोन टू 15 अगस्त से 2,999 रुपए में मिलना शुरू हो जाएगा. पुराने जियो फोन को एक्स्चेंज करके नया फोन भी ले सकते हैं. एक्सचेंज करने के लिए सिर्फ 500 रुपए देने होंगे. फेसबुक, यू ट्यूब और व्हाट्सएप वॉयस कमांड से चलेंगे. जियो मॉनसून हंगामा ऑफर जुलाई 21 से आप अपने पुराने फीचर फोन को बदल कर जियो फोन खरीद सकेंगे और इसके लिए महज 501 रुपये देने होंगे. 15 अगस्त से जियोफोन पर फेसबुक, व्हाट्सएप और यूट्यूब एप सपोर्ट करेंगे- मुकेश अंबानी जियो के स्मार्ट एक्सेसरीज से एसी, गैस लीकेज तक कंट्रोल हो सकेगा. यानी माई जियो एप से पूरा घर कंट्रोल किया जा सकेगा. जियो स्मार्ट एक्सेसरीज़ के जरिए भारत के घर को स्मार्ट बनाया जा सकता है. एक बॉक्स के जरिए घर पर बेस्ट एजुकेशन और बेस्ट टीचर्स से जुड़ा जा सकेगा. जियो गिगाफाइबर राउटर को टीवी से कनेक्ट करके स्मार्ट टीवी बनाया जा सकेगा. जियो गीगा फाइबर की मदद से टीवी के जरिए वीडिया कॉल भी कर सकेंगे.ये एप वॉयस कमांड पर काम करेंगे. आप की आवाज से फोटो अपलोड और यूट्यूब वीडियो ब्राउज कर सकेंगे. जियो फोन पर अब फेसबुक, व्हाट्सएप और यूट्यूब स्पोर्ट करेगा. ये एप जियो फोन के लिए डिजाइन किए गए हैं. मंच पर ईशा और आकाश अंबानी आए. जो जियो फोन के अपडेट और जियो गिगाफाइबर सर्विस के बारे में बताएंगे. रिलायंस जियो ने जियो ब्रॉडबैंड सर्विस जियो गिगाफाइबर सर्विस लॉन्च की. छोटे बिजनेस के लिए फिक्सड लाइन बिजनेस उनके बिजनेस को नई दिशा और ठोस तरीके सा आगे बढ़ाने वाला होता है.-मुकेश अंबानी हम देश में होम टू होम, छोटे बिजनेस मैन के लिए ब्रॉडबैंड के सॉल्यूशन पर काम कर रहे हैं. ऑप्टिकल फाइबर बेस्ड फिक्स लाइन ब्रॉडबैंड आने वाले भारत के लिए सबसे बड़ी जरुरत है.-मुकेश अंबानी हमने जियो फोन साल 2017 में लॉन्च किया था, जिसे हम दूसरे पायदान पर ले जा रहे हैं-मुकेश अंबानी जियो कस्टमर ऑब्सेस्ड कंपनी है जिसके लिए कस्टमर्स सबसे आगे हैं. -मुकेश अंबानी हमने ट्राई के डेटा के मुताबिक पिछले कई महीनों से नेटवर्क के मामले में सबसे आगे हैं.-मुकेश अंबानी जियो के आने से वीडियो और वॉयस कॉल में बड़ी बढ़त हुई है.-मुकेश अंबानी 22 महीनों में हमने जियो के 215 मिलियन यूजर्स जोड़े जो एक रिकॉर्ड है.-मुकेश अंबानी रिलायंस ग्रुप की एनुअल जनरल मीटिंग शुरु हुई. मंच पर चैयरमैन मुकेश अंबानी कंपनी के स्टेक होल्डर्स को संबोधित कर रहे हैं. कहां देखें लाइव इवेंट? अगर आप इस इवेंट की लाइव स्ट्रीमिंग देखना चाहते हैं तो इन प्लेटफॉर्म पर जाएं. YouTube पर देखने के लिए यहां पर क्लिक करें. जियो के यूट्यूब चैनल पर देखने के लिए यहां क्लिक करें फेसबुक पर देखेने के लिए यहां क्लिक करें जियो के फेसबुक पेज पर यहां देखें पिछले साल आया था जियोफोन पिछले साल यानी 2017 के एनुअल जनरल मीटिंग पर नजर डालें तो जियो ने पहला 4G VoLTE फीचर फोन जियोफोन लॉन्च किया था. इस फोन को शून्य प्रभावी कीमत के साथ लॉन्च कर जबरदस्त सुर्खियां जियो ने बटोरी थी. इस फोन के लिए कस्टमर को 1500 रुपये जमा करना होता है जिसे 36 महीने बाद कंपनी फुल रिफंड कर देती है. इसके साथ ही जियो का 151 रुपये वला प्लान उतारा गया था जो जियो फोन को यूजर्स के लिए है. जिसमें प्रतिदिन 500 एमबी डेटा देने का ऐलान किया गया था. इसी इवेंट में कंपनी ने साफ किया था कि वो वॉयस कॉल के पैसे यूजर्स से नहीं लेगी.

रिलायंस जियो के यूजर्स के लिए आज रिलायंस इंडस्टीज़ की 41वीं एनुअल जनरल मीटिंग में कई बड़े एलान किए गए हैं. ग्रुप के मालिक मुकेश अंबानी ने जियो को लेकर कई बड़े एलान किए हैं. मुंबई के बिरला मातोश्री सभागार में एनुअल जनरल मीटिंग सुबह 11 बजे से चल रही है. रिलायंस …

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एसबीआई की गोल्‍ड डिपॉजिट स्‍कीम और उसके फायदे

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) गोल्‍ड डिपॉजिट स्‍कीम (R-GDS) के जरिये आप सोने की ज्‍वैलरी या सोने के सिक्को पर ब्याज के आलावा भी कई फायदे उठा सकते है. भारतीय स्‍टेट बैंक सोने की शुद्धता के आधार पर आपको सोने का जमा प्रमाण पत्र देता हैं. जमा अवधि के बाद गोल्‍ड के रुप में या कैश के रुप में ब्‍याज के साथ उस समय के दाम के आधार पर रकम ली जा सकती है. -एसबीआई इस इस स्कीम को शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट (STBD) नाम से जाना जाता है. -एसबीआई की वेबसाइट के हिसाब से भारत में रहने वाला कोई भी व्यक्ति इस स्कीम में शामिल हो सकता हैं. -सिंगल, जाइंट अकाउंट भी खुलवाया जा सकता हैं. - एचयूएफ, पार्टरशिप फर्म भी इसमें निवेश कर सकती हैं. -इस स्कीम के तहत 30 ग्राम सोना जमा करना अनिवार्य है, ज्यादा की कोई लिमिट नहीं है. -स्कीम में 1-3 साल के लिए जमा किया जाता है. -मीडियम और लॉन्ग टर्म के लिए जमा अवधि 5-7 और 12-15 साल है. -STBD स्कीम में फिलहाल एक साल के लिए 0.50 फीसदी, दो साल के लिए 0.55 फीसदी, तीन साल के लिए 0.60 फीसदी है, 5-7 -साल के लिए 2.25 फीसदी/सालाना ब्याज मिलेगा. -12-15 साल के लिए 2-5 फीसदी/सालाना का ब्याज मिलेगा. -एक साल के तय समय से पहले पैसा निकालने पर ब्याज दर पर पैनल्टी लगेगी. मीडियम टर्म वाली अवधि में निवेशक 3 साल, लॉन्ग टर्म वाली स्कीम से 5 साल के बाद ही बाहर हो सकते है

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) गोल्‍ड डिपॉजिट स्‍कीम (R-GDS) के जरिये आप सोने की ज्‍वैलरी या सोने के सिक्को पर ब्याज के आलावा भी कई फायदे उठा सकते है. भारतीय स्‍टेट बैंक सोने की शुद्धता के आधार पर आपको सोने का जमा प्रमाण पत्र देता हैं. जमा अवधि के बाद …

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कच्चे तेल के दाम में कटौती, जानें आज क्या है पेट्रोल-डीजल का हाल

कच्चे तेल के दाम में कटौती, जानें आज क्या है पेट्रोल-डीजल का हाल

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में पिछले 7 दिनों से कोई बदलाव नहीं हुआ है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में जारी उथल-पुथल के बीच 8वें दिन भी ईंधन की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. तेल कंपनियों ने बुधवार को भी पेट्रोल और डीजल की …

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मोदी सरकार ने पूरा किया वादा, न्यूनतम समर्थन मूल्य में बंपर इजाफा

केंद्रीय बजट में किए गए वादे को निभाते हुए मोदी सरकार ने किसानों को बड़ा तोहफा दिया है। बुधवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में खरीफ की सभी फसलों के न्यूनमत समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बंपर इजाफे के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया है। खबरों के मुताबिक धान की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में 200 रुपये प्रति क्विटल का इजाफा किया गया है। फिलहाल धान की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1550 रुपये प्रति क्विंटल है। बजट 2018 पेश करते हुए मोदी सरकार ने किसानों को उनकी फसल की लागत से डेढ़ गुना ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का वादा किया था। मोटे अनाज मसलन ज्वार, बाजरा और रागी के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 900 रुपये प्रति क्विंटल तक की वृद्धि की गई है। वहीं दालों में मूंग की एमएसपी में प्रति क्विंटल 300 रुपये का इजाफा किया गया है। जबकि तुअर दाल की एमएसपी में प्रति क्विंटल 225 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। राज्यों के साथ मिलकर एमएसपी पर उपज की खरीद सुनिश्चित करेगी सरकार यह भी पढ़ें आम तौर पर एमएसपी की घोषणा बुआई से पहले की जाती है ताकि किसानों को मनमुताबि फसलों की खेती करने का विकल्प मिल सके। खरीफ फसलों की बुआई देश में दक्षिण पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ होती है। 2019 के बेहद अहम माने जाने वाले आम चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार का यह फैसला काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मोदी सरकार ने यह फैसला वैसे समय में लिया है, जब देश भर में उसे किसानों के असंतोष का सामना करना पड़ा है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसानों के आंदोलन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में किसानों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी थी। रबी फसलों के समर्थन मूल्य का एलान यह भी पढ़ें गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने पिछले सप्ताह ही गन्ना किसानों से मुलाकात में इस हफ्ते की कैबिनेट में एमएसपी की घोषणा करने की बात कही थी। सूत्रों के मुताबिक एमएसपी का निर्धारण ए-2एफएल के फॉर्मूले पर किया गया है। फसल की लागत का आकलन के बाद उसमें 50 फीसद लाभ मार्जिन जोड़ा जाएगा। समर्थन मूल्य में होने वाली वृद्धि के बाद के प्रभावों का आकलन करने के लिए यह बैठक बुलाई गई थी।

केंद्रीय बजट में किए गए वादे को निभाते हुए मोदी सरकार ने किसानों को बड़ा तोहफा दिया है। बुधवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में खरीफ की सभी फसलों के न्यूनमत समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बंपर इजाफे के प्रस्ताव को …

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ATM से पैसे निकालना हो सकता है महंगा, बैंकों ने RBI से मांगी मंजूरी

वैसे तो देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दिया जा रहा है लेकिन अब यह भी आम लोगों की जेब पर भारी पड़ सकता है। देश के बैंकों ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को चिट्ठी लिखकर एटीएम से पैसे निकालने पर चार्ज बढ़ाने की इजाजत मांगी है। दरअसल, रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को अपने एटीएम अपग्रेड करने के लिए कहा है। इसका पहला चरण इसी साल अगस्त तक पूरा होना है। लेकिन एटीएम अपग्रेड करने से बैंकों पर खर्च का बोझ बढ़ेगा और बैंकों ने इसका तोड़ निकालते हुए यह बोझ आम जनता पर डालने की तैयारी कर ली है। उन्होंने आरबीआई को पत्र लिखकर एटीएम ट्रांजेक्शन बढ़ाने की इजाजत मांगी है। अगर ऐसा होता है तो बैंक दो तरह से यह चार्ज बढ़ा सकते हैं। या तो वो एटीएम से फ्री ट्रांजेक्शन खत्म होने पर लिए जाने वाले 18 रुपए के चार्ज को बढ़ा दें या फिर फ्री ट्रांजेक्शन की संख्या कम कर दें। आरबीआई ने क्यों दिया एटीएम अपग्रेड का निर्देश आरबीआई ने सभी बैंकों से एटीएम को अपग्रेड करने का निर्देश धोखाधड़ी और हैकिंग जैसी शिकायतों को देखते हुए दिया है। इसकी पहली डेडलाइन अगस्त, 2018 है। वहीं, आखिरी चरण जून 2019 में समाप्त होगा। जानकारी के लिए बता दें कि एटीएम अपग्रेडेशन के तहत बैंकों को बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्टम (बीआईओएस) को अपग्रेड करना होगा। इसके जरिए सिस्टम को बूट या जाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम लोड करते समय बीआईओएस कंप्यूटर के हार्डवेयर जिसमें रैम, प्रोसेसर, कीबोर्ड, माउस, हार्ड ड्राइव को कॉन्फिगर करता है। आरबीआई ने बैंकों से यूएसबी पोर्ट डिसेबल कर एटीएम के ऑपरेटिंग सिस्टम का नवीनतम वर्जन लागू करने के लिए कहा है। साथ ही नये नोट के लिहाज से एटीएम के कैसेट को रीकॉन्फिगर करने के लिए भी कहा गया है। गौरतलब है कि नये एटीएम की लागत पहले के मुकाबले 30 फीसद तक बढ़ सकती है।

वैसे तो देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दिया जा रहा है लेकिन अब यह भी आम लोगों की जेब पर भारी पड़ सकता है। देश के बैंकों ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को चिट्ठी लिखकर एटीएम से पैसे निकालने पर चार्ज बढ़ाने की इजाजत मांगी है। दरअसल, रिजर्व बैंक …

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अमेरिकी डॉलर की मजबूती से भारत बेअसर रहेगा-रिपोर्ट

व्यापार जगत में दुनिया की बड़ी रेटिंग एजेंसी मूडीज की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से दुनियाभर की करेंसीज पर दबाव बढ़ रहा है, लेकिन इससे भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चिंता नहीं है. भारत उन पांच देशों में शुमार है जो डॉलर के मजबूत होने से सबसे कम जोखिम की स्थिति में हैं. हाल ही के महीनो में बड़े एशियाई देशों की करेंसी 8 फीसदी तक टूट चुकी है वही भारतीय रुपया सबसे निचले स्तर पर पहुंच चूका है . ये गिरावट फ़िलहाल थम गई है. एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 9 पैसे की मजबूती के साथ 68.70 के स्तर पर खुला. मूडीज ने भारत में इसका असर न होने की वजह का जिक्र करते हुए कहा है कि भारत, चीन, ब्राजील, मेक्सिको और रूस उन देशों में हैं जो मुद्रा के दबाव को लेकर सबसे कम जोखिम की स्थिति में हैं. मूडीज ने कहा कि बड़ी बचत के जरिये भारत जैसी अर्थव्यस्थाएं घरेलू स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं. मूडीज ने कहा कि हालांकि, भारत का चालू खाते का घाटा (CAD) कच्चे तेल की कीमतों की वजह से बढ़ा है , लेकिन सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत में बहुत ऊंचा नहीं है. इसकी भरपाई प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आदि के जरिये की जा सकती है. फ़िलहाल रुपये में गिरावट थम गई है पर इसके स्थिर रहने के आसार भी कम ही है.

व्यापार जगत में दुनिया की बड़ी रेटिंग एजेंसी मूडीज की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से दुनियाभर की करेंसीज पर दबाव बढ़ रहा है, लेकिन इससे भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चिंता नहीं है. भारत उन पांच देशों में शुमार …

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GST को एक साल पूरा: देश में क्या कुछ बदला और किन सेक्टर्स को हुआ फायदा?

भारत को ‘एक देश-एक कर-एक बाजार’ में बदलने वाले जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) को एक साल पूरा हो चुका है। इस एक साल के दौरान जीएसटी कई संशोधनों और बदलावों के दौर से गुजरा। तमाम बदलावों के बाद जीएसटी का जो मौजूदा स्वरुप हमारे सामने है उसमें अब भी काफी बदलाव की गुंजाइश नजर आती है। खैर जीएसटी ने देश में क्या कुछ बदलाव किए और किन सेक्टर्स को प्रभावित किया, हम एक्सपर्ट के माध्यम से आपको यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं। अलंकित लिमिटेड जो कि देश की दिग्गज जीएसपी (जीएसटी सुविधा प्रोवाइडर) कंपनी है, के प्रबंध निदेशक अंकित अग्रवाल की मानें तो तमाम चुनौतियों के बावजूद भारत सरकार बड़ी तत्परता से इनसे निपटती रही है। जीएसटी सिस्टम में परिवर्तन किए गए नई तकनीक अपनाई गई और अलग-अलग सेक्टर की चिंताएं दूर की गईं। साथ ही अधिसूचनाएं, सर्कुलर,एफएक्यू, स्पष्टीकरण, उद्योग एवं व्यापार जगत से परस्पर परस्पर संपर्क कार्यक्रम किए गए और इनमें सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की कम्पनियों ने सहयोग दिया। जीएसटी के आने से एक नए तकनीकी और व्यवहार परिवर्तन युग का आरंभ हुआ। पिछले साल पर नजर दौड़ाएं तो पता चलेगा कि जीएसटी में पिछले साल के कुछ संशोधनों पर पुर्नविचार आवश्यक है। जीएसटी का असर: जानिए किन सेक्टर्स को नए कानून ने किया प्रभावित यह भी पढ़ें पूरे देश का डिजिटाइजेशन: भारत में कर का काम आमतौर पर मैन्युअली होता है। तकनीक अपनाने में हम पीछे रहे हैं। जीएसटी के आने के बाद तकनीक अपनाना अनिवार्य हो गया है। इससे कई नए प्रयोग के रास्ते खुले हैं। साथ ही जन-धन के जानकार बनने के अवसर सामने हैं। सभी कारोबारों के लिए तरक्की के अवसर: आज एसएमई हो, एमएसएमई या बड़ा उद्यम सभी के लिए समान कर के स्लैब निर्धारित किए गए हैं। जिनका अनुपालन करना अनिवार्य है। कर चोरी करने या कानूनी दाव-पेंच से कर बचाने की गुंजाइश नहीं है। इस तरह कारोबार करना आज सचमुच आसान हो गया है। कहना न होगा कि इससे भ्रष्टाचार दूर होगा, बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी और मुनाफाखोरी नहीं होगी। कुल मिलाकर देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ होगा। पर्सनल फाइनेंस सेक्टर में अक्लमंदी बन सकती है नुकसान की वजह यह भी पढ़ें सब के विकास के लिए बेहतर प्रयास: जीएसटी के तहत एक प्रमुख प्रक्रिया इनपुट टैक्स क्रेडिट की है जो जीएसटी से पूर्व मुमकिन नहीं था। आज एसएमई को रिकॉर्ड दुरुस्त रखने का इंसेंटिव मिलता है। किसी की साख का आकलन करते हुए बैंक को भी इससे आसानी होती है क्योंकि वे जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) से उनके वित्तीय विवरणों की सत्यता जांच सकते हैं। विभिन्न सेक्टर पर जीएसटी का असर? महीने की बिक्री शून्य है, तो फाइल करना होगा निल रिटर्न यह भी पढ़ें आईटी/ आईटीई: आईटी इंडस्ट्री पर पहले 15 फीसद का कर लगता था जो कि जीएसटी के बाद 18 फीसद हो गया, जिससे यह सेवा लागू करने का खर्च अचानक बढ़ गया। पर लंबी अवधि में इसका अच्छा परिणाम होगा। निर्यात पर जीएसटी नहीं लगने कर के कास्केडिंग समाप्त समाप्त होने से आईटी सेक्टर की लागत में कमी आएगी और कुल मिलाकर लाभ बढ़ेगा। GST लागू होने के बाद राज्य से बाहर बिक्री पर नहीं लागू होगी टर्नओवर सीमा यह भी पढ़ें ऑटोमोबाइल: जीएसटी ने उत्पाद कर, वैट, बिक्रीकर, पथकर, मोटरवाहन कर, रजिस्ट्रेशन शुल्क आदि सभी करों को अपने में समेट लिया है। कुल मिलाकर घटती कर व्यवस्था में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर पूर्व की तुलना में जीएसटी से कर में कमी आई है। लॉजिस्टिक्स: जीएसटी लागू होने के बाद लॉजिस्टिक परफार्मेंस इंडेक्स (एलपीआई) में भारत 19 स्थान ऊपर (54वें से 35वें स्थान पर) आ गया है। ई-वे बिल लागू करना भी एक साहसिक कदम था। शुरुआती दिक्कतों के बाद दूसरी पारी में ई-वे बिल सिस्टम लागू करने का काम सफल रहा है। सभी राज्यों से भौतिक जांच नाका हटा दिए जिसके परिणाम स्वरूप यातायात में कम समय लगता है और प्रति वाहन आमदनी बढ़ गई है। बीएफएसआई: हालांकि वित्तीय सेवाओं पर कर 15 फीसद से बढ़कर 18 फीसद हो गया है पर जीएसटी का बड़ा लाभ यह मिला है कि अप्रत्यक्ष करों की संख्या कम हो गई है। इसमें विभिन्न कर आपस में जोड़ दिए गए हैं और यह सुनिश्चित किया गया है कि कर का भार इस सिस्टम में शामिल विभिन्न संगठनों में सही से बंट जाए।

भारत को ‘एक देश-एक कर-एक बाजार’ में बदलने वाले जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) को एक साल पूरा हो चुका है। इस एक साल के दौरान जीएसटी कई संशोधनों और बदलावों के दौर से गुजरा। तमाम बदलावों के बाद जीएसटी का जो मौजूदा स्वरुप हमारे सामने है उसमें अब भी काफी …

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खुशखबरी: पैन-आधार लिंकिंग की नई डेडलाइन मार्च 2019, जान लीजिए काम की बात

इतनी जानकारियां भरने के बाद आपको ठीक नीचे लिंक आधार का एक ऑप्शन नजर आएगा। इसको क्लिक करते ही आपका आधार पैन कार्ड से लिंक्ड हो जाएगा। पैन कार्ड से आधार लिंक होने के बाद एक मैसेज भी आएगा... आधार लिंकिंग: अब तक सिर्फ 16.65 करोड़ पैन और 87.79 बैंक अकाउंट ही हुए लिंक यह भी पढ़ें जानिए अगर आप पैन नंबर को आधार नंबर से नहीं जोड़ते हैं तो आपको कौन से दो बड़े नुकसान होंगे.. पहला नुकसान: कैंसिल हो सकता है आपका पैन कार्ड अगर आपने मार्च 2019 तक आधार कार्ड को पैन कार्ड से लिंक नहीं कराया तो आपका पैन कार्ड कैंसिल भी हो सकता है। एक बार पैन कार्ड कैंसिल होने की सूरत में आपको अपना पैन कार्ड दोबारा से बनवाना पड़ेगा। वहीं अगर आप इसी पैन नंबर से अपना आईटीआर दाखिल करते हैं तो वो भी अमान्य कर दिया जाएगा। दूसरा नुकसान: रुक सकती है आपकी सैलरी अगर आपने अपने पैन कार्ड को आधार से लिंक नहीं कराया है तो आपकी सैलरी भी रुक सकती है। दरअसल ऐसा आपके पैन कार्ड के कैंसिल होने की वजह से हो सकता है। यानी पैन कार्ड कैंसिल होने की सूरत में आपकी सैलरी आपके खाते में प्रोसेस ही नहीं होगी क्योंकि कंपनियां टैक्सेबल लिमिट से अधिक सैलरी पर टीडीएस की कटौती करती हैं और पैन न होने (कैंसिल) होने की सूरत में वो ऐसा नहीं कर पाएंगी।

केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने पैन को आधार से लिंक कराने की डेडलाइन में विस्तार दे दिया है। अब नई डेडलाइन मार्च 2019 है। यह पांचवां मौका है जब सरकार ने पैन को आधार से लिंक कराने की डेडलाइन में विस्तार दिया है। आयकर विभाग की नीति निर्धारण इकाई …

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IMF ने ऊंची विकास दर के लिए सुझाए ये तीन उपाय

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने भारत को सकल घरेलू विकास (जीडीपी) की ऊंची दर रफ्तार बनाए रखने के लिए तीन उपाय सुझाए हैं। आइएमएफ के मुताबिक इनमें बैंकिंग सेक्टर में सुधार, राजकोषीय घाटे को काबू में रखना और निचले स्तर पर लाना और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को और सरल बनाना तथा प्रमुख बाजारों में सुधार पर प्रमुखता से फोकस करना शामिल हैं। आइएमएफ के कम्यूनिकेशंस डायरेक्टर गेरी राइस ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च, 2018) में भारत की जीडीपी विकास दर 7.7 फीसद रही। वहीं, उससे पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में देश की जीडीपी विकास दर सात फीसद रही थी। राइस ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में भी ऊंची विकास दर जारी रहने की पूरी उम्मीद है। गौरतलब है कि भारत पर चर्चा के लिए आइएमएफ के निदेशक बोर्ड की बैठक 18 जुलाई को होने की संभावना है। राइस ने कहा कि बैठक के दौरान जारी स्टाफ रिपोर्ट में जीएसटी के बारे में विस्तार से उल्लेख किया जाएगा। वहीं, आइएमएफ का बोर्ड 16 जुलाई को ग्लोबल इकोनॉमी आउटलुक जारी करेगा। राइस के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी विकास दर 7.4 फीसद, जबकि अगले वित्त वर्ष में यह 7.8 फीसद रह सकती है। हालांकि उन्होंने कहा कि इसके लिए भारत को बैंकिंग सेक्टर में सुधार की बड़ी जरूरत है। इसके तहत सार्वजनिक बैंकों की सफाई, उनमें कॉरपोरेट गवर्नेस को मजबूती देने, उनकी कर्ज गुणवत्ता में सुधार और कर्ज बंटवारे में दक्षता लानी होगी। नोटबंदी और जीएसटी अनिश्चिताओं के कारण भारत की विकास दर 7 फीसद रहेगी: विश्व बैंक यह भी पढ़ें आइएमएफ के मुताबिक भारत को राजकोषीय घाटे को काबू में रखने के प्रयास लगातार जारी रखने होंगे और सार्वजनिक कर्ज के ऊंचे स्तर को नीचे लाना होगा। राइस ने कहा कि इसके साथ ही भारत को पिछले वर्ष लांच किए गए जीएसटी को ज्यादा सरल और सहज बनाने होंगे। उन्होंने कहा, ‘तीसरा काम यह करना होगा कि प्रमुख भूमि और श्रम जैसे मुद्दों पर मध्यम अवधि में सुधार के उपायों पर जोर देना होगा। इसके साथ ही स्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए सकल कारोबारी वातावरण को भी बेहतर बनाना होगा।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने भारत को सकल घरेलू विकास (जीडीपी) की ऊंची दर रफ्तार बनाए रखने के लिए तीन उपाय सुझाए हैं। आइएमएफ के मुताबिक इनमें बैंकिंग सेक्टर में सुधार, राजकोषीय घाटे को काबू में रखना और निचले स्तर पर लाना और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को और …

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