“उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने विद्यालय प्रबंध समितियों (एसएमसी) का पुनर्गठन किया है। 50% महिलाएं अभिभावक सदस्यों में होंगी, और समितियों को शिक्षा गुणवत्ता, बच्चों के अधिकार और सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।”
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने बच्चों के अधिकारों और शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए विद्यालय प्रबंध समितियों (एसएमसी) का पुनर्गठन करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह कदम शैक्षिक सुधार, सामुदायिक भागीदारी और पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
योगी सरकार ने एसएमसी में अभिभावकों के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए 50% महिलाएं और 50% पुरुषों को शामिल करने का फैसला लिया है। प्रत्येक समिति में 15 सदस्य होंगे, जिनमें 11 अभिभावक सदस्य और 4 अन्य नामित सदस्य शामिल होंगे, जैसे कि स्थानीय प्राधिकारी, एएनएम, लेखपाल और प्रधानाध्यापक। इन समितियों का कार्यकाल 2 साल का होगा और जरूरत पड़ने पर इसे बढ़ाया या घटाया जा सकता है।
एसएमसी का पुनर्गठन न केवल बच्चों की शिक्षा में सुधार के लिए है, बल्कि यह सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को ज्यादा प्रभावी ढंग से लागू करने की दिशा में भी काम करेगा। सरकार ने समिति की जिम्मेदारियों को स्पष्ट किया है, जिनमें मिड-डे मील योजना, स्कूलों में विकास योजनाओं का निर्माण और धन का सदुपयोग सुनिश्चित करना शामिल है।
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समितियों का गठन पूरी तरह से पारदर्शी प्रक्रिया से होगा। अभिभावकों की खुली बैठक में समिति के सदस्यों का चयन किया जाएगा, और किसी भी विवाद की स्थिति में खंड शिक्षा अधिकारी की देखरेख में गोपनीय मतदान कराया जाएगा।
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने बताया कि समितियों को विद्यालयों की निगरानी, बच्चों के नामांकन और उपस्थिति, शिक्षक की नियमितता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके अलावा, समितियां स्कूलों के विकास कार्यों की निगरानी के लिए उपसमितियां भी बनाएंगी।