“महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि हम 1947 की तरह के हालात की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने युवाओं के लिए नौकरियों की कमी, शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति पर सवाल उठाए और मस्जिदों को गिराकर मंदिरों के निर्माण की कोशिशों की आलोचना की।”
नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि भारत में धर्म, जाति और समुदाय के आधार पर विभाजन किया जा रहा है और हम 1947 जैसी स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं। महबूबा ने यह भी कहा कि देश के विकास की बजाय धार्मिक स्थलों को गिराया जा रहा है और इसके बजाय मंदिरों की खोज की जा रही है।
महबूबा मुफ्ती ने अपनी बात को साझा करते हुए कहा,
“हमारे देश के महान नेता जैसे गांधी जी, पं नेहरू, मौलाना आज़ाद, सरदार पटेल और बाबा साहब ने इस देश को एकजुट किया और हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई को एक परिवार माना। लेकिन अब यह एकता खतरे में है, और हम 1947 की स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं।”
युवाओं की समस्याएं
महबूबा मुफ्ती ने युवाओं के मुद्दे पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आज के दौर में युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है, जबकि स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं भी कमजोर हो रही हैं। महबूबा ने विकास के नाम पर धर्म के मुद्दे को तूल दिए जाने की कड़ी आलोचना की और कहा कि मस्जिदों को गिराकर मंदिर खोजने की कोशिश की जा रही है।
धार्मिक और सामाजिक तनाव
“आज जो हो रहा है, उससे मुझे डर है कि कहीं हम उसी दिशा में न बढ़ रहे हों, जैसे 1947 में हुआ था। अब लोगों को बांटा जा रहा है, धर्म के आधार पर राजनीति की जा रही है, जबकि असली मुद्दे रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और समग्र विकास के हैं।”
आलोचना और सरकार की प्रतिक्रिया
महबूबा मुफ्ती के इस बयान पर सरकार ने कोई प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन यह बयान उस समय सामने आया है, जब देशभर में धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक समानता और आर्थिक असमानता पर गंभीर चर्चा हो रही है।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल