“प्रयागराज महाकुंभ में समाजवादी पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की मूर्ति लगाई है, जिससे विवाद उत्पन्न हो गया है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने इस पर आपत्ति जताई है, जबकि सपा कार्यकर्ता इसे श्रद्धा का प्रतीक मानते हैं। यह मूर्ति शिविर में 11 जनवरी को नेता प्रतिपक्ष द्वारा अनावरण की गई थी।”
प्रयागराज। प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है, लेकिन उससे पहले ही एक विवाद उठ खड़ा हुआ है। विवाद का कारण पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की मूर्ति है, जिसे महाकुंभ के सेक्टर-16 में श्रद्धेय मुलायम सिंह यादव स्मृति सेवा संस्थान के शिविर में स्थापित किया गया है। इस मूर्ति का अनावरण 11 जनवरी को नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय द्वारा किया गया था।
मूर्ति के लगाने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि उनका मुलायम सिंह यादव से कोई व्यक्तिगत विरोध नहीं है, लेकिन प्रतिमा लगाने का तरीका गलत प्रतीत होता है। उनका कहना है कि इस मूर्ति के माध्यम से यह संदेश जा रहा है कि वही मुलायम सिंह हैं जिन्होंने अयोध्या में साधु-संतों की हत्या का आदेश दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि मकर संक्रांति के बाद इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी।
सपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि मुलायम सिंह यादव उनके लिए भगवान की तरह हैं, और इसलिए महाकुंभ में उनकी मूर्ति स्थापित की गई है। शिविर में स्थापित यह कांसे की मूर्ति लगभग 3 फीट ऊंची है, जिस पर फूल-माला चढ़ाई जा रही है। सपा नेता कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव ने समाज के पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों और अन्य वंचित वर्गों के लिए कार्य किए, जिससे वे उनके लिए भगवान के समान हो गए हैं।
महाकुंभ के इस विवाद ने एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दिया है, जिससे आने वाले दिनों में और भी चर्चा हो सकती है। वहीं, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि रामभक्तों पर गोली चलाने वाले अब संगम में स्नान कर पाप धोने की कोशिश कर रहे हैं।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल