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एडहॉक शिक्षक प्रदर्शन

एडहॉक शिक्षकों का आरोप: ‘न होते तो स्कूलों में खेती होती’

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के तदर्थ (एडहॉक) शिक्षक आंदोलन ने गुरुवार को राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा शिक्षकों को वेतन, पेंशन और अन्य अधिकारों से वंचित रखने के कारण उनकी स्थिति खराब हो चुकी है। इस विरोध में शिक्षकों ने एक भावुक बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि यदि वे न होते तो आज स्कूलों में गेहूं, धान और अरहर की खेती हो रही होती।

शिक्षकों की मौत और संघर्ष
राजमणि सिंह, तदर्थ शिक्षक आंदोलन समिति के संयोजक, ने कहा कि अब तक 20 शिक्षकों ने वेतन न मिलने के कारण अपनी जान गंवाई है। उन्होंने बताया कि वेतन रुकने के कारण परिवार चलाना मुश्किल हो गया है और सरकार से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

शिक्षकों की प्रमुख मांगें
शिक्षकों ने सरकार से कई प्रमुख मांगें की हैं, जिनमें चयन बोर्ड अधिनियम की धारा 12.18 और 21 की बहाली, तदर्थ शिक्षकों की बहाली और उनके वेतन का नियमित भुगतान शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों को समान वेतन, पुरानी पेंशन योजना, और शिक्षा सेवा सुरक्षा की भी मांग की है।

सरकार का जवाब
विधान परिषद में MLC ध्रुव कुमार त्रिपाठी के सवाल पर जवाब देते हुए मंत्री गुलाब देवी ने आश्वासन दिया कि सरकार शिक्षकों के हित में कदम उठाएगी और शिक्षकों की सेवा सुरक्षा, दंड, जांच और पदोन्नति से संबंधित धाराओं को फिर से लागू किया जाएगा।

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