Thursday , November 14 2024
Tree cutting in UP, Kanwar Yatra tree felling, NGT protected forest cutting, Meerut tree felling, environmental crisis due to tree cutting उत्तर प्रदेश पेड़ कटाई, कांवड़ यात्रा पर्यावरणीय प्रभाव, मेरठ संरक्षित वन कटाई, गाजियाबाद पेड़ कटाई, NGT आदेश वृक्ष कटाई UP tree cutting, Kanwar Yatra environmental impact, Meerut forest tree felling, Ghaziabad tree cutting, NGT order on tree felling पेड़ कटाई उत्तर प्रदेश, कांवड़ यात्रा में पेड़ कटे, संरक्षित वन कटाई NGT, मेरठ पेड़ कटाई, पर्यावरण संकट वृक्ष कटाई
कांवड़ यात्रा में पेड़ कटे-एनजीटी रिपोर्ट के अनुसार

उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के नाम पर 17,607 पेड़ काटे गए! पर्यावरणीय संतुलन पर मंडरा रहा खतरा

“उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के मार्ग निर्माण के लिए मेरठ, गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर में संरक्षित वन क्षेत्र से 17,607 पेड़ों की कटाई की गई है। NGT के निर्देशों के बावजूद, इस वृक्ष कटाई से पर्यावरणीय संकट बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।”

नई दिल्ली \ मेरठ\ गाजियाबाद  मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के लिए रास्ता बनाने के नाम पर मेरठ, गाजियाबाद, और मुजफ्फरनगर के संरक्षित वन क्षेत्रों में कुल 17,607 पेड़ों की कटाई की गई है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने हाल ही में इस मामले पर चिंता जताई है और पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

दरअसल, कांवड़ यात्रा के दौरान भक्तों के निर्बाध मार्ग के लिए उत्तर प्रदेश के इन जिलों में बड़े पैमाने पर सड़क चौड़ीकरण का कार्य किया गया, जिसमें संरक्षित वन क्षेत्र से हज़ारों वृक्षों की बलि चढ़ा दी गई। NGT ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इस कटाई से वन्य जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और पर्यावरणीय असंतुलन भी बढ़ सकता है।

NGT के निर्देश:

NGT ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि वह ऐसी नीतियाँ बनाए जो वन संरक्षण और धार्मिक आयोजनों के बीच संतुलन बनाए। साथ ही, वैकल्पिक मार्गों की तलाश की भी बात कही गई है ताकि भविष्य में वृक्षों की कटाई को रोका जा सके।

पर्यावरणीय प्रभाव:

विशेषज्ञों का कहना है कि इतने बड़े स्तर पर वृक्षों की कटाई से न केवल स्थानीय तापमान में वृद्धि होगी, बल्कि बाढ़, सूखा और वायु गुणवत्ता में गिरावट जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। इसके साथ ही, वन्य जीवों के आवास भी प्रभावित होंगे, जिससे जैव विविधता पर भी खतरा बढ़ सकता है।

स्थानीय प्रतिक्रिया:

इस घटना ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा किया है। लोगों का कहना है कि प्रशासन को पर्यावरण और धार्मिक आस्थाओं के बीच संतुलन बनाकर चलना चाहिए। एक स्थानीय नागरिक ने कहा, “हमारी आस्था अपनी जगह है, लेकिन वृक्ष हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। उनकी कटाई से हमें ही नुकसान होगा।”

NGT की चेतावनी:

NGT ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार को पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन कर ऐसे उपाय अपनाने चाहिए जिससे भविष्य में संरक्षित क्षेत्रों में कटाई की घटनाओं से बचा जा सके।

फैक्ट्स के साथ –

1. पेड़ों की कटाई का पूरा कारण
उत्तर प्रदेश में हर साल आयोजित कांवड़ यात्रा में भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसी को देखते हुए प्रशासन ने यात्रा के मार्ग को विस्तृत करने का निर्णय लिया। हालाँकि, इसके लिए संरक्षित वन क्षेत्रों में पेड़ काटे गए, जिससे पर्यावरण विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। कांवड़ यात्रा के नाम पर कुल 17,607 पेड़ों की कटाई की पुष्टि की गई है।

2. NGT के निर्देश और प्रतिक्रियाएँ
NGT ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि आगे से ऐसे आयोजनों में पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखते हुए कदम उठाए जाएँ। उन्होंने सरकार को वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करने पर भी जोर दिया ताकि भविष्य में वृक्षों की कटाई से बचा जा सके।

3. स्थानीय पर्यावरण पर संभावित प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से स्थानीय जलवायु में बदलाव आ सकता है। तापमान में वृद्धि, वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी और जैव विविधता में गिरावट जैसी समस्याओं का सामना स्थानीय निवासियों को करना पड़ सकता है। इसके साथ ही, वृक्षों की कमी से भूमिगत जल स्तर भी प्रभावित हो सकता है।

4. स्थानीय समुदाय का विरोध
स्थानीय समुदायों ने इस कटाई का विरोध किया है। कई स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन को इस तरह के कदम उठाने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करना चाहिए था।

5. भविष्य के लिए सुझाव
इस घटना के बाद NGT ने उत्तर प्रदेश सरकार को ऐसे नीति निर्धारण की सलाह दी है जो आस्था और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए। वैकल्पिक मार्गों का निर्माण कर भविष्य में वृक्षों की कटाई को रोका जा सकता है।

देश-दुनिया से जुड़ी और भी रोचक जानकारी के लिए विश्ववार्ता पर बने रहें।

रिपोर्ट: मनोज शुक्ल

E-Paper

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com