लखनऊ।ब्लूटूथ गैंग परीक्षा फर्जीवाड़ा में संलिप्त सात आरोपियों को एसटीएफ उत्तर प्रदेश ने लखनऊ में गिरफ्तार कर लिया है। ये गिरोह नौकरी परीक्षाओं में ब्लूटूथ डिवाइस के ज़रिए नकल कराकर अभ्यर्थियों से मोटी रकम वसूलते थे। आरोपियों को रंगे हाथ पकड़ते हुए पुलिस ने उनके पास से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, फर्जी डॉक्युमेंट्स और नकदी बरामद की है।
STF की कार्रवाई और गिरोह का खुलासा
18 मई 2025 को STF ने सूचना के आधार पर लखनऊ के विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर दबिश दी। Cybergang का सरगना लवजोत मौर्य है, जो परीक्षा में बैठे अभ्यर्थियों के स्थान पर अपने साथियों को बैठाता था या फिर ब्लूटूथ के माध्यम से उन्हें प्रश्नों के उत्तर दिलवाता था। STF की यह कार्रवाई नेहरू कॉलेज, स्प्रिंगर गर्ल्स स्कूल और रिंग रोड स्थित अन्य परीक्षा केंद्रों पर की गई।
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गिरफ्तार किए गए आरोपी:
- लवजोत मौर्य – मुख्य आरोपी, गैंग लीडर, मूल निवासी क्वालिपुर, प्रयागराज
- शम्भूनाथ प्रजापति – सदस्य, प्रयागराज
- अरविंद कुमार – सदस्य, प्रयागराज
- रितेश मौर्य – लवजोत का भाई, परीक्षा में बैठा था
- हरिदेश यादव – कानपुर निवासी
- शिवम सिंह – फैजाबाद निवासी
- वंदना मौर्य – महिला सदस्य, ओबरा (वाराणसी)
बरामद सामग्री:
- 9 ब्लूटूथ डिवाइस
- 3 OMR शीट
- 11 Admit Cards
- 3 प्रश्न पत्र
- 5 फर्जी ID Cards
- 4 मोबाइल फोन
- 4 आधार कार्ड
- 1 PAN कार्ड
- ₹6,520 नकद
कैसे करते थे फर्जीवाड़ा?
गिरफ्तार लवजोत मौर्य ने पूछताछ में बताया कि वह प्रयागराज की एक निजी कोचिंग संस्थान में पढ़ाता है। वह लंबे समय से परीक्षा दिलाने के बदले पैसे वसूलने के धंधे में लिप्त है। 18 मई को आयोजित जूनियर क्लर्क और लैब अटेंडेंट परीक्षा में उसने अपने भाई और अन्य सहयोगियों को ब्लूटूथ डिवाइस के साथ परीक्षा केंद्र भेजा।

कई परीक्षार्थियों को इन गैंग मेंबरों द्वारा ट्रेनिंग दी जाती थी कि कैसे OMR शीट भरनी है, और पेपर मिलने के बाद तुरंत फोटो खींचकर व्हाट्सएप पर भेजना है। इसके बाद गैंग उन्हें उत्तर भेजता था, जो ब्लूटूथ डिवाइस के ज़रिए सुनाई देता था।
एक सीट के लिए वसूले जाते थे 10 लाख रुपये
STF के अनुसार, इस गैंग ने नौकरी दिलाने के नाम पर एक उम्मीदवार से ₹10 लाख तक की डील की थी। यह गैंग पूरे उत्तर भारत में फैला हुआ है और पहले भी रेलवे, बैंक, TET आदि परीक्षाओं में धोखाधड़ी कर चुका है।
बीते दिनों में भी सामने आए ऐसे मामले
STF ने इससे पहले भी कई प्रतियोगी परीक्षाओं में Bluetooth cheating से जुड़े मामले उजागर किए हैं। पर्चा लीक करने से लेकर सॉल्वर बैठाने तक, यह नेटवर्क फर्जीवाड़े का आधुनिक चेहरा बन चुका है। सोशल मीडिया और टेलीग्राम चैनलों के ज़रिए यह गिरोह छात्रों से संपर्क करता था।
किस-किस जिले में फैला है नेटवर्क?
इस गैंग का नेटवर्क दिल्ली, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ है। STF के अनुसार, कई परीक्षार्थियों को OMR शीट बिना नाम के भेजने को कहा जाता था, ताकि उनमें किसी और का डेटा भरकर फर्जी अभ्यर्थी को पास कराया जा सके।
कौन कर रहा है जांच?
- थाना सरोजनी नगर, लखनऊ में केस संख्या 151/25
- धाराएं: IPC की धारा 419, 420, 467, 468, 471 व IT Act के तहत मुकदमा
- अन्य थानों में भी केस दर्ज: थाना भदोही, थाना ठाकुरगंज
- आगे की जांच STF लखनऊ और स्थानीय पुलिस संयुक्त रूप से करेगी
STF का बयान
STF के प्रभारी अधिकारियों के अनुसार, यह फर्जीवाड़ा पूरे उत्तर भारत में फैले गिरोह की बड़ी साजिश है। “यह केवल एक परीक्षा नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर हमला है।” STF प्रमुख ने बताया कि इस मामले में और गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं।
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