“राम मंदिर और गोरक्षपीठ का रिश्ता सौ साल पुराना है। तीन पीढ़ियों के संघर्ष ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर का सपना साकार किया। प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ पर तैयारियों का विशेष विवरण।“
लखनऊ /अयोध्या / गोरखपुर। गोरक्षपीठ और राम मंदिर का संबंध सौ साल पुराना है, जो गोरक्षपीठ के तीन महान गुरु महंत दिग्विजयनाथ, महंत अवेद्यनाथ और वर्तमान पीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संघर्षों और सपनों से जुड़ा हुआ है। इन तीनों के प्रयासों ने अयोध्या में रामलला के जन्मस्थान पर भव्य और दिव्य राम मंदिर के निर्माण को सुनिश्चित किया। यह संघर्ष न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय समाज की एकता और समृद्धि का भी प्रतीक बन गया है।
महंत दिग्विजयनाथ: आंदोलन के पहले शिल्पकार
1935 में गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर बनने के बाद महंत दिग्विजयनाथ ने राम मंदिर आंदोलन को संगठित रूप से प्रारंभ किया। उस समय अयोध्या में रामलला के विग्रह के प्रकट होने के कारण एक नया मोड़ आया। 1949 में रामलला का विग्रह प्रकट हुआ, और महंत दिग्विजयनाथ ने न केवल अयोध्या के विभिन्न मठों के साधु-संतों को एकजुट किया, बल्कि हिंदू समाज को जातिवाद से ऊपर उठकर एकता के सूत्र में बांधा। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि इस आंदोलन को एक व्यापक जनांदोलन में बदल दिया जाए।
महंत दिग्विजयनाथ की प्रेरणा से ही राम मंदिर आंदोलन की नींव रखी गई और वे खुद श्रीरामलला के विग्रह के प्रकट होने के समय वहां उपस्थित रहे। इसके बाद अयोध्या में विवादित स्थल पर ताला लग गया, लेकिन महंत दिग्विजयनाथ ने मंदिर के लिए निरंतर संघर्ष किया।
महंत अवेद्यनाथ: आंदोलन को नई दिशा और शक्ति
महंत दिग्विजयनाथ के बाद महंत अवेद्यनाथ ने राम मंदिर आंदोलन को नई ऊंचाई दी। 1984 में उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति की स्थापना की, जो बाद में देशभर में एक बड़ा जनआंदोलन बन गया। महंत अवेद्यनाथ के नेतृत्व में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए आंदोलन तेज़ हुआ। उनके नेतृत्व में 1989 में अयोध्या में मंदिर शिलान्यास का ऐतिहासिक आयोजन हुआ, जिसने पूरे देश में राम मंदिर के निर्माण की उम्मीदों को नया उत्साह दिया।
महंत अवेद्यनाथ ने देशभर के संत समाज को एकजुट किया और उनका यह संघर्ष न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा था, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण बन गया। उनकी निर्भीकता और समर्पण ने राम मंदिर आंदोलन को व्यापक जनसमर्थन दिलवाया और इसे पूरी दुनिया में चर्चित किया।
योगी आदित्यनाथ: गुरु के सपनों को साकार करने वाला नेता
महंत अवेद्यनाथ के शिष्य और गोरक्षपीठ के वर्तमान पीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरु के सपनों को साकार करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन को निर्णायक मोड़ पर पहुंचाया और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को शुरू किया। उनके नेतृत्व में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ और भूमि पूजन, शिलान्यास के बाद मंदिर का निर्माण तेज़ी से चल रहा है।
योगी आदित्यनाथ के अथक प्रयासों से अयोध्या में राम मंदिर का सपना साकार हो रहा है, और यह केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं बल्कि अयोध्या के कायाकल्प का भी प्रतीक बन चुका है। उनकी मंशा है कि अयोध्या को दुनिया के सबसे सुंदर और प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए।
अयोध्या: एक नया रूप और विकास की दिशा
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अयोध्या का कायाकल्प हो रहा है। अयोध्या में मंदिर निर्माण के साथ-साथ शहर को त्रेतायुगीन वैभव की ओर पुनर्निर्मित किया जा रहा है। दीपोत्सव और अन्य धार्मिक आयोजनों के जरिए अयोध्या को सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से एक नया रूप दिया जा रहा है।
योगी आदित्यनाथ की सरकार की मंशा है कि अयोध्या को एक प्रमुख वैश्विक धार्मिक पर्यटन स्थल बनाया जाए, जहां विश्वभर के रामभक्त और पर्यटक आकर अपनी आस्था और श्रद्धा व्यक्त कर सकें। उनका सपना है कि अयोध्या वह स्थान बने जहां राम के जीवन और उनके आस्थाओं की पूरी महिमा और वैभव प्रदर्शित हो।
गोरक्षपीठ और राम मंदिर का रिश्ता मात्र धार्मिक आस्था से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह एक आंदोलन का प्रतीक है जिसने भारतीय समाज को एकजुट किया और पूरे देश में धार्मिक एकता का संदेश दिया। महंत दिग्विजयनाथ, महंत अवेद्यनाथ और योगी आदित्यनाथ ने अपने संघर्षों और प्रयासों से अयोध्या में भव्य राम मंदिर का सपना साकार किया, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय राजनीति और समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल