“राहमनखेड़ा रेलवे फाटक के पास चिंगारी निकलने से ग्रामीणों में अफरा-तफरी मच गई, लेकिन रेलवे गेट मैन ने बताया कि यह आग नहीं, बल्कि ग्राइंडिंग की प्रक्रिया है। जानें इस घटना के पीछे की सच्चाई और रेलवे की सुरक्षा प्रक्रिया के बारे में।”
लखनऊ। राहमनखेड़ा रेलवे फाटक के पास चलती रेलगाड़ी के पहियों से आग की चिंगारियां निकलती देख कर ग्रामीणों ने यह सोच लिया कि रेल में आग लग गई है। कुछ लोगों ने कयास लगाया कि यह आग रेल के पहियों में किसी लोहे के हिस्से के फंसने के कारण हो रही है, जिससे पटरी से रगड़ के कारण चिंगारी निकल रही है। यह दृश्य देखकर ग्रामीण घबराए और खेतों में काम छोड़ कर रेलवे गेट पर पहुंच गए।
जैसे ही लोग रेल की स्थिति का जायजा लेने के लिए रेलवे गेट पर पहुंचे, रेलवे गेट मैन ने बताया कि यह आग नहीं है। असल में, यह चिंगारी रेल की पटरी पर हो रही ग्राइंडिंग की प्रक्रिया के कारण निकल रही है। रेलवे पटरी के चिकने हो जाने से ट्रेनों के संचालन में समस्या आती है, जिसके समाधान के लिए ग्राइंडिंग की जाती है।
यह भी पढ़ें: कांग्रेस की ‘किसान-मजदूर सम्मान और न्याय यात्रा’ 18 जनवरी से यूपी में होगी शुरू
यह ग्राइंडिंग विशेष प्रकार की ट्रेन से की जाती है, जिसे रेल ग्राइंडिंग मशीन (आरजीएम) कहते हैं। इस ट्रेन में ग्राइंडिंग मशीन लगी होती है, जो पटरी को रगड़कर घर्षण पैदा करती है, जिससे ट्रेनों के संचालन में सुधार होता है। इस प्रक्रिया के दौरान चिंगारी निकलना सामान्य है, और यह दिखने में आग जैसी लग सकती है। गेट मैन की सफाई से ग्रामीणों की चिंता दूर हो गई और सब शांत हो गए।
दुनिया से जुड़े राजनीतिक और सामयिक घटनाक्रम की विस्तृत और सटीक जानकारी के लिए जुड़े रहें विश्ववार्ता के साथ।ताज़ा खबरों, चुनावी बयानबाज़ी और विशेष रिपोर्ट्स के लिए हमारे साथ बने रहें।
Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal