“उत्तर प्रदेश के राज्य कर विभाग के प्रशिक्षण संस्थान का नाम बदलकर ‘उत्तर प्रदेश राज्य कर प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान’ रखा गया है। यह कदम राज्य कर विभाग की कार्यशैली को उन्नत बनाने, राजस्व संग्रह में सुधार और करापवंचन को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण है।”
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्य कर विभाग के प्रशिक्षण संस्थान का नाम अब बदलकर ‘उत्तर प्रदेश राज्य कर प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान’ रखा जाएगा। राज्यपाल ने इस नाम परिवर्तन को स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह कदम राज्य कर विभाग के कार्यक्षेत्र में सुधार, शोध और अधिकारी प्रशिक्षण को और अधिक उन्नत बनाने के लिए उठाया गया है।
प्रमुख सचिव, राज्य कर विभाग, एम. देवराज ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे अधिकारियों के प्रशिक्षण को उन्नत बनाने और करापवंचन को रोकने के लिए राज्य कर विभाग ने शोध कार्य शुरू करने का प्रस्ताव भेजा था। इस पर मुख्यमंत्री द्वारा अनुमोदन मिलने के बाद यह परिवर्तन किया गया। उन्होंने बताया कि इससे अधिकारियों की कार्यशैली में सुधार होगा और राजस्व प्राप्ति में भी बढ़ोतरी होगी।
प्रमुख सचिव ने आगे बताया कि राज्य कर विभाग प्रदेश के विकास में अहम भूमिका निभा रहा है। राज्य के कुल राजस्व का एक बड़ा हिस्सा राज्य कर विभाग द्वारा प्राप्त किया जाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संकल्प के अनुसार, प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी राज्य कर विभाग महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
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राज्य कर विभाग की स्थापना 1931 में प्रयागराज में की गई थी, जिसे बाद में गोमतीनगर, लखनऊ में स्थानांतरित कर दिया गया। इस संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अधिकारी राजस्व संग्रह, करापवंचन से लड़ाई और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए तैयार किए जाते हैं।
इस बदलाव का उद्देश्य अधिकारियों के प्रशिक्षण को और अधिक प्रभावी और व्यावहारिक बनाना है, ताकि राज्य कर विभाग की कार्यशैली में सुधार हो सके और राज्य के राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी हो।
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