“लखनऊ के मलिहाबाद से राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के नाम नोटिस भेजे जाने का मामला सामने आया। प्रशासन ने इसे शरारत बताते हुए जांच शुरू की। संवैधानिक पद पर ऐसे नोटिस भेजना गैरकानूनी है।”
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले के मलिहाबाद तहसील से राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के नाम पर एक नोटिस भेजे जाने का मामला सामने आया है। इस नोटिस के बाद प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है। राजभवन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए लखनऊ कलेक्ट्रेट को पत्र लिखा है और इस घटना की जांच की मांग की है।
क्या है मामला?
मलिहाबाद तहसील के तहसीलदार का कहना है कि यह नोटिस किसी ने शरारतपूर्ण तरीके से भेजा है। इस नोटिस में मीरा पाल बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मामले का उल्लेख है, जो कि एक बेदखली से जुड़ा हुआ मामला है। तहसीलदार ने इसे संदिग्ध बताते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
संवैधानिक पदों पर नोटिस का नियम
भारत के संविधान के अनुसार, किसी संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति, जैसे राज्यपाल, के खिलाफ कोई नोटिस या अदालती समन नहीं भेजा जा सकता है। इस घटना ने प्रशासन और न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता पर सवाल खड़ा कर दिया है।
राजभवन की प्रतिक्रिया
राजभवन की ओर से लखनऊ कलेक्ट्रेट को भेजे गए पत्र में इस मामले की सत्यता की जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है। राजभवन ने इसे एक गंभीर मुद्दा बताया है, जो संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
प्रशासन की जांच जारी
मलिहाबाद तहसील के अधिकारियों का कहना है कि यह नोटिस शरारतपूर्ण तरीके से बनाया गया है। मामले की जांच के लिए संबंधित दस्तावेजों और नोटिस की सत्यता की जांच की जा रही है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि दोषियों को जल्द ही पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मीरा पाल बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मामला
नोटिस में जिस केस का उल्लेख है, वह बेदखली से जुड़ा मामला बताया जा रहा है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस केस में राज्यपाल का नाम कैसे और क्यों जोड़ा गया। अधिकारियों का मानना है कि यह एक सुनियोजित शरारत हो सकती है।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल