“सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए ‘जय श्री राम’ नारा लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई से इनकार किया। कोर्ट ने मस्जिद में नारे लगाने वालों की पहचान पर सवाल उठाया।”
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई करते हुए ‘जय श्री राम’ नारे को लेकर बड़ा बयान दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि ‘जय श्री राम’ नारा लगाना अपराध कैसे हो सकता है। इस बयान के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए, मस्जिद में कथित रूप से जय श्री राम का नारा लगाने वाले दो आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई से इनकार कर दिया।
क्या था मामला?
कर्नाटक के कड़ाबा पुलिस स्टेशन में 24 सितंबर 2023 को मस्जिद में घुसकर जय श्री राम के नारे लगाने और धमकी देने का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई गई थी। हालांकि, शिकायतकर्ता ने यह स्पष्ट नहीं किया कि नारे लगाने वाले कौन थे। इसके आधार पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है, और इसलिए कानूनी कार्रवाई से बचने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से पूछा कि वे कैसे साबित कर सकते हैं कि मस्जिद में जय श्री राम का नारा लगाने वाले व्यक्ति वही हैं जिन पर आरोप लगाया गया था। कोर्ट ने कहा,
“क्या उन लोगों की पहचान की गई है? क्या सभी CCTV में रिकॉर्ड हुए हैं? ये किसने बताया कि कौन मस्जिद के अंदर आया?”
कर्नाटक हाईकोर्ट का आदेश
कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह माना कि यदि कोई व्यक्ति धार्मिक नारा लगाता है तो यह किसी समुदाय की भावनाओं को आहत कर सकता है, लेकिन FIR में आरोपियों की पहचान का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में कानूनी कार्रवाई का कोई आधार नहीं है, जिससे कानून का दुरुपयोग हो सकता है।
आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया?
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए, मामले में आगे किसी प्रकार की कानूनी कार्यवाही को रोकने का आदेश दिया।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल