महाश्वेता देवी ने जब से होश संभाला, कलमजीवी रहीं। उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में जितना काम किया, उतना कुछ कर पाना एक अकेले व्यक्तित्व के बूते की बात नहीं है। उनका पार्थिव अवसान हिंदी और बांग्ला साहित्य से जुड़े लोगों के लिए एक दुखद घटना है। इस खबर को सुनकर …
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