“तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाते हुए नोटिस दिया। विपक्ष ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है।”
नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने गुरुवार को संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। सागरिका घोष ने आरोप लगाया कि रिजिजू ने राज्यसभा में दिए अपने बयान से सदन और सांसदों के विशेषाधिकार का उल्लंघन किया है।
क्या है मामला?
सागरिका घोष ने राज्यसभा सचिवालय को दिए गए अपने नोटिस में कहा कि संसदीय कार्यमंत्री ने हाल ही में सदन में दिए बयान में ऐसी बातें कहीं जो तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक थीं। घोष के अनुसार, मंत्री का यह बयान सांसदों की गरिमा और सदन की मर्यादा को ठेस पहुंचाने वाला है।
टीएमसी का कड़ा रुख
तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया है। पार्टी के अन्य नेताओं ने कहा है कि यह मामला न केवल टीएमसी बल्कि समूचे विपक्ष के अधिकारों से जुड़ा है। उन्होंने इस मामले में संसदीय समिति से तत्काल जांच की मांग की है।
बीजेपी की प्रतिक्रिया
दूसरी ओर, बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे विपक्ष का राजनीतिक स्टंट बताया है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि किरेन रिजिजू ने सदन के नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए बयान दिया था और इस मामले को बेवजह तूल दिया जा रहा है।
विशेषाधिकार हनन क्या है?
संसद के दोनों सदनों में सांसदों को विशेषाधिकार दिए जाते हैं, जिससे वे बिना किसी बाधा के अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें। यदि कोई व्यक्ति या मंत्री इन अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो उसे विशेषाधिकार हनन माना जाता है। ऐसे मामलों में संबंधित सांसद नोटिस देकर जांच की मांग कर सकते हैं।
आगे की प्रक्रिया
विशेषाधिकार हनन का नोटिस मिलने के बाद, इसे अध्यक्ष के समक्ष पेश किया जाएगा। अगर अध्यक्ष को लगता है कि मामला गंभीर है, तो इसे जांच के लिए विशेषाधिकार समिति के पास भेजा जा सकता है।
विशेषाधिकार हनन का यह मामला संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष और सरकार के बीच तीखी बहस का कारण बन सकता है। टीएमसी और बीजेपी के बीच पहले से ही राजनीतिक तनाव है, और यह मुद्दा संसद में चर्चा के लिए एक नया मोर्चा खोल सकता है।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल