नई दिल्ली । 2017 के मॉनसून को लेकर पहला अनुमान सामने आ गया है। स्काईमेट ने इस बार कमजोर मॉनसून का अनुमान जताया है। इस बार मॉनसून में लंबी अवधि के औसत (LPA) के 95 फीसदी ही बारिश का अनुमान है।
लंबी अवधि का औसत जून से लेकर सितंबर तक चार महीने के दौरान हुई बारिश से निकाला जाता है। भारत के मॉनसून के लिए यह LPA 887 एमएम है और इस बार इससे कम बारिश की आशंका है। इसके अलावा ‘एल नीन्यो’ की भी आशंका जताई गई है।
स्काईमेट का यह अनुमान भारत के लिए चिंतित करने वाला है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में होने वाली 70 फीसदी बारिश इन्हीं 4 महीनों के दौरान होती है। भारत की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए भी यह संकेत खतरनाक है, क्योंकि खरीफ की फसल की बुआई इसी बारिश के भरोसे होती है।
भारत में खरीफ की खेती अधिकतर दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून पर ही आधारित होती है। ऐसे में अगर औसत से 5 फीसदी कम बारिश हुई तो खेती पर असर पड़ना स्वाभाविक है। कमजोर मॉनसून का सबसे ज्यादा खतरा देश के पश्चिमी हिस्सों, मध्य भारत के आसपास के हिस्सों और प्रायद्वीपीय भारत के प्रमुख हिस्सों पर है।
देश के इन हिस्सों में मॉनसून के मुख्य चारों महीनों में औसत से कम बारिश की आशंका है। केवल पूर्वी भारत के हिस्सों खासकर ओडिशा, झारखंड और पश्चिमी बंगाल में अच्छी बारिश की संभावना जताई गई है।
‘एल नीन्यो’ का भी खतरा
स्काईमेट ने अपने अनुमान में ‘एल नीन्यो’ के खतरे की भी आशंका जताई है। स्काईमेट के मुताबिक मॉनसून के सेकंड हाफ में ‘एल नीन्यो’ की 60 फीसदी आशंका जताई गई है। इसकी वजह से मॉनसून के लंबी अवधि के 3 महीनों यानी जुलाई, अगस्त और सितंबर में कम बारिश का अनुमान जताया गया है।
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