जम्मू/नई दिल्ली। हिजबुल कमांडर बुरहान मुजफ्फर वानी के सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में उत्पन्न हुए तनाव के चलते श्री अमरनाथ की यात्रा तीसरे दिन भी बाधित रही। सैकड़ों तीर्थयात्रियों ने वापस अपने घर लौटना शुरू कर दिया है। तीर्थयात्रियों के नए जत्थे को सोमवार सुबह जम्मू के आधार शिविर से रवाना करने की अनुमति नहीं दी गई। उपद्रवियों ने श्री अमरनाथ यात्रा में विघ्न डालते हुए पहलगांव के निकट गणेश पुरा में 5 लंगरों में आग लगा दी। अम्बाला से अमरनाथ बाबा सेवा संघ के अध्यक्ष सुरेश कुमार ने बताया कि गत दिवस लगभग 2 हजार से अधिक उपद्रवियों ने 5 लंगरों पर हमला बोल दिया। लंगर संगठनों द्वारा लगाए गए टैंटों को तोड़ दिया गया तथा लंगर सामग्री तहस-नहस कर दी। उन्होंने बताया कि लंगर वाले स्थान पर सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं किए गए थे। लंगर लगाने वाली संस्थाओं के सदस्यों ने मुश्किल से अपनी जान बचाई। जम्मू के आईजी दानेश राना ने कहा कि वह जम्मू से बालटाल और पहलगाम मार्गों के लिए अमरनाथ यात्रा की अनुमति देकर जोखिम नहीं ले सकते। जैसे ही घाटी में हालात सुधरेंगे यात्रा को जम्मू बेस कैंप से शुरू करने की अनुमति दे दी जाएगी। उन्होंने बताया कि आठ से दस हजार अमरनाथ तीर्थयात्री जम्मू में ही फंसे हुए हैं। कड़ी सुरक्षा के बीच बालटाल और अन्य स्थानों पर फंसे हुए अमरनाथ यात्रियों को रविवार की पूरी रात सुरक्षित निकालने का कार्य जारी रहा। करीब 1000 फंसे यात्रियों को जम्मू क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया है। श्राइन बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि रविवार को 8,611 श्रद्धालुओं ने अमरनाथ मंदिर की पवित्र गुफा के दर्शन किए। यह सभी वो यात्री हैं जो पहले ही उत्तरी कश्मीर के बालटाल और दक्षिण कश्मीर के पहलगाम बेस कैंप पहुंच चुके थे। उन्होंने बताया कि दो जुलाई से यात्रा शुरू होने के बाद अब तक 1,27,538 श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा कर चुके हैं। श्रीअमरनाथ यात्रा भंडारा संगठन के प्रधान राजन कपूर ने केन्द्र व जम्मू-कश्मीर सरकार से मांग की है कि वह तुरंत अमरनाथ यात्रा मार्ग पर लगाए गए लंगरों की सुरक्षा को पुख्ता बनाए। उन्होंने कहा कि पहलगांव से 10 कि.मी. पहले गणेशपुरा की घटना से सबक लेते हुए राज्य सरकार को प्रभावित हुए लंगर संगठनों को उचित वित्तीय सहायता देनी चाहिए। संस्था के अध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि अभी तो यात्रा शुरू हुई है जो 17 अगस्त तक चलनी है। इसलिए जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल को तुरंत मामले में दखल देते हुए लंगर संस्थाओं को उचित सहायता देनी चाहिए।