कहा जाता है कि पैदा हुए बच्चे के लिए मां का दूध काफी लाभकारी होता है। उसमें मौजूद पोषक तत्व उसे एनर्जी देने का काम करते हैं। सिर्फ यही नहीं, मां का दूध बच्चे को बीमारियों से लडने की भी शक्ती देता है। ऐसा मां के दूध में पाए जाने वाले एक खघस किस्म के सूक्रोज और चीनी की वजह से होता है। यह पदार्थ नवजात को एक बेहद खतरनाक जीवाणु के जानलेवा संक्रमण से बचाता है।
एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। अध्ययन में पाया गया कि मां के दूध में पाया जाने वाला एक खास किस्म का सूक्रोज लैक्टो-एन-डिफ्यूकोहेक्सोज 1 नवजातों में मेनिनजाइटिस (मस्तिष्क ज्वर) व अन्य खतरनाक संक्रमण के लिए जिम्मेदार आई ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया को खत्म करता है।
वैसे शिशु जिनकी मां के दूध में लैक्टो-एन-डिफ्यूकोहेक्सोज होता है, उनके शरीर में मौजूद जीवाणु जन्म के 60-89 दिनों के भीतर खत्म हो जाते हैं। ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया स्वाभाविक तौर पर तीन गर्भवती महिलाओं में से एक की योनि तथा पेट में पाया जाता है। यह बच्चे के जन्म के समय या मां के दूध के सहारे बच्चे के शरीर में दाखिल होकर संक्रमण पैदा करता है।
मां के दूध में मौजूद ओलिगोसैकेराइड्स पचता नहीं है, बल्कि यह बच्चे की आंत में मौजूद गुड बैक्टीरिया के लिए खाद्य पदार्थ का काम करता है। अध्ययन के मुताबिक, मां के दूध में मौजूद सूक्रोज और चीनी गुड बैक्टीरिया के पोषण में मदद करता है और हानिकारक बैक्टीरिया का सफाया करता है। इंपीरियल कॉलेज लंदन के स्नातकोत्तर छात्र व अध्ययन के मुख्य लेखक निकोलस आंद्रियास का कहना है कि अध्ययन में यह बात सामने आई है कि मां के दूध में मौजूद ह्यूमन मिल्क ओलिगोसैकेराइड्स, रोटावायरस तथा ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस के संक्रमण से भी बचाव करता है।
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