लखनऊ। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा पेश करने को लेकर आरएसएस और भाजपा नेताओं में एक राय नहीं बन पाई है। यूपी चुनाव को लेकर दो दिनों तक चले मंथन के बाद अब इस पर अंतिम फैसला मोदी-शाह के साथ होनी वाली संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ होने वाली अगली बैठक में लिया जाएगा।
कानपुर के बिठूर क्षेत्र में चल रही बैठक में जब यूपी चुनाव पर चर्चा हुई तो भाजपा नेताओं की राय इससे अलग दिखाई पड़ी। सूत्रों के अनुसार जहां संघ को लग रहा है कि किसी चेहरे को पेश करके मैदान में चुनाव मैदान में उतरा जाए, वहीं भाजपा इसके खिलाफ है। उसे लग रहा है कि जातिवादी राजनीति वाले इस प्रदेश में किसी का नाम पेश किए जाने पर अन्य जाति का वोट उससे छिटक सकता है। दरअसल, भाजपा रणनीतिकारों को लग रहा है कि भले ही असम जैसे छोटे राज्य में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर उसने सत्ता की चाभी हासिल की हो लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र में बिना किसी चेहरे के उतरी भाजपा आज सत्तासीन है तो दिल्ली में किरण बेदी के चेहरे पर चुनाव लडकर वह चारो खाने चित्त हो चुकी है। उधर संघ बिहार की गलती दोहराने के मूड में नहीं है। उसे लग रहा है कि बिहार में बिना चेहरे के चुनाव मैदान में उतरकर भाजपा धोखा खा चुकी है। इसलिए इस गलती को यूपी में न दोहराया जाए। भाजपा के रणनीतिकारों को लग रहा है कि यदि चुनाव के पहले किसी जाति विशेष के चेहरे का मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया जाता है तो इससे दूसरा वर्ग नाराज हो सकता है क्योंकि पूर्व में जब भी किसी पार्टी नेता का नाम चर्चा में आया तो दूसरे वर्ग के नेताओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह कई बार कह चुके हैं कि भाजपा यूपी का चुनाव ‘कमल’ के नाम पर ही लड़ेगी। पिछले चुनाव में भी जब भाजपा ने कलराज मिश्र को अघोषित मुख्यमंत्री के तौर पर विधानसभा चुनाव में उतारा तो इसके पीछे की रणनीति अटल जी की कर्मभूमि से सियासी संदेश देने की थी लेकिन पार्टी को इसका कोई लाभ नहीं हो सका। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनना तो दूर रहा परन्तु इससे पिछड़ा और दलित वोट बैंक जरूर छिटककर सपा की झोली में चला गया।
इसके पहले भी 2007 के विधानसभा चुनाव में कल्याण सिंह को भाजपा ने मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किया तो पार्टी का सवर्ण खास तौर पर ब्राम्हण मतदाता रूठ गया और वह छिटककर मायावती के पाले में चला गया। इस चुनाव में कल्याण सिंह भाजपा को केवल 51 सीटे ही दिलवा सके।
बैठक में भाजपा की तरफ से राष्ट्रीय महासचिव राम माधव, राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामलाल, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश, राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री सौदान सिंह, के अलावा राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के प्रभारी इंद्रेश विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संगठन महामंत्री दिनेश जी, अंतरराष्ट्रीय महामंत्री चंपत राय, केंद्रीय मंत्री विहिप विनायक राव देशपांडे जैसे दिग्गज शामिल थें।