मुंबई । कंपनसेटरी टैरिफ पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से टाटा पावर कंपनी और अडानी पावर को बड़ा झटका लगा है। इंडोनेशिया ने साल 2011 में कोल एक्सपोर्ट पर टैक्स लगा दिया था।
उसके बाद दोनों कंपनियों ने सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन से गुहार लगाई थी कि इंडोनेशियाई कोयले की बढ़ी लागत का असर कंज्यूमर्स पर डालने के लिए उन्हें बिजली का ज्यादा कंपनसेटरी टैरिफ लेने की इजाजत दी जाए।
सीईआरसी ने दिसंबर 2016 में रूलिंग दी थी कि दोनों कंपनियां कोयले के दाम में बढ़ोतरी की भरपाई के लिए अपनी ग्राहकों यानी सरकारी पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों से ज्यादा टैरिफ ले सकती हैं। इस मामले में डिस्कॉम्स के साथ दोनों कंपनियों का विवाद चल रहा था और अब सुप्रीम कोर्ट ने सीईआरसी के उस निर्णय को खारिज कर दिया है।
इससे पहले टाटा पावर ने कहा था कि अगर कंपनसेटरी टैरिफ नहीं दिया गया तो उसके मुंद्रा प्रोजेक्ट को सालाना 1,873 करोड़ रुपये का नुकसान होगा, जिससे 25 साल की अवधि में कुल 47,500 करोड़ रुपये का घाटा होगा।
अडानी पावर को कहीं ज्यादा चपत लगेगी क्योंकि उसने कंपनसेटरी टैरिफ के चलते संभावित मुनाफे को देखते हुए उसने अपने बही-खाते में 9,000 करोड़ रुपये की आमदनी पहले ही जोड़ ली थी। अब उसे इसे राइट ऑफ करना होगा।
कोर्ट रूलिंग के चलते मुनाफे को चपत लगने की चिंताओं के कारण अडानी पावर का शेयर बीएसई पर मंगलवार को 16.12 पर्सेंट गिरकर 37.20 रुपये पर बंद हुआ। टाटा पावर 2 पर्सेंट गिरकर 85.40 रुपये पर बंद हुआ।
सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि डोमेस्टिक कोल सप्लाई में तंगी के कारण बढ़ने वाली लागत के लिए ‘कानून में बदलाव’ वाले प्रावधान के तहत इन कंपनियों को राहत दी, लेकिन इंडोनेशियाई रेगुलेशंस में बदलाव के कारण कोयले की लागत बढ़ने के मामले में कोई रिलीफ नहीं दी।
अडानी पावर ने एक बयान में कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट का फाइनल ऑर्डर अवलेबल होने के बाद कंपनी आगे के कदम के बारे में फैसला करेगी और सभी स्टेकहोल्डर्स को इसकी जानकारी देगी।’
अडानी पावर ने कहा कि शुरुआती विश्लेषण के आधार पर हरियाणा की डिस्कॉम के साथ 1424 मेगावॉट, महाराष्ट्र की डिस्कॉम के साथ 3300 और राजस्थान की डिस्कॉम के साथ 1200 मेगावॉट के पावर परचेज एग्रीमेंट पर उसे फायदा होता दिख रहा है।
अप्रैल 2013 में सीईआरसी ने टाटा पावर की सब्सिडियरी और 4000 मेगावॉट का अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट चलाने वाली कोस्टल गुजरात पावर को 52 पैसे प्रति यूनिट का कंपनसेटरी टैरिफ और अडानी पावर के 1980 मेगावॉट के प्लांट को 41 पैसे प्रति यूनिट की दर से पावर टैरिफ बढ़ाने की इजाजत दी थी। वह कदम इंडोनेशियाई कोयले के दाम में बहुत बढ़ोतरी के चलते उठाया गया था।
टाटा पावर ने ताजा घटनाक्रम पर टिप्पणी करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उसे ऑर्डर नहीं मिला है। टाटा पावर के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ ने इससे पहले कहा था कि कंपनी के पोर्टफोलियो में मुंद्रा प्लांट ही एकमात्र पीछे चल रहा है और कंपनी को सुप्रीम कोर्ट से अनुकूल फैसले की उम्मीद है।
पिछले महीने एक रिपोर्ट में ब्रोकरेज जेपी मॉर्गन ने कहा था कि अगर कंपनसेटरी टैरिफ की इजाजत नहीं मिली तो टाटा पावर के शेयर को 90 रुपये के प्राइस टारगेट से 15 रुपये का झटका लगेगा।
रिपोर्ट में कहा गया था कि अडानी पावर के शेयरों में टैरिफ पर यथासंभव सबसे ज्यादा राहत का असर शामिल हो चुका है और अगर ऐसे टैरिफ को रद्द किया गया तो 23 रुपये प्रति शेयर का झटका लगेगा।