जय प्रकाश गुप्ता
सिद्धार्थनगर। करवाचौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन किया जाता है।किसी भी जाति,सम्प्रदाय एवं आयुवर्ग की स्त्रियों को इस व्रत को करने का अधिकार है।यह व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा किया जाता है। यह पर्व मुख्यतः भारत के उत्तर राज्यों जैसे उत्तरप्रदेश,मध्यप्रदेश,पंजाब,राजस्थान आदि स्थानों पर मनाया जाता है। करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से पहले शुरू होकर चंद्रमा दर्शन के बाद पूर्ण होता है।यह व्रत सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति की रक्षा,दीर्घायु एवं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भालचंद्र गणेश की पूजा करती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत विशेष सौभाग्यदायक है। इस दिन चंद्रमा की पूजा का धार्मिक और ज्योतिष दोनों ही दृष्टि से महत्त्व है। ज्योतिषीय दृष्टि से अगर देखें तो चंद्रमा मन के देवता हैं तात्पर्य यह है कि चंद्रमा की पूजा करने से मन पर नियंत्रण रहता है और मन प्रसन्न रहता है। इस दिन बुजुर्गों ,पति एवं सास -ससुर का चरण स्पर्श इसी कारण से करते हैं कि जो दोष व गलती हो चुकी हैं वो आने वाले समय में फिर न हो एवं अपने मन को अच्छे कर्म करने हेतु प्रेरित करें।
पौराणिक कथा—
भगवान श्री कृष्ण द्वारा द्रौपदी को करवा चौथ व्रत का महत्त्व बताया गया था।एक बार की बात है पांडवों के वनवास के दौरान अर्जुन तपस्या करने बहुत दूर पर्वतों पर चले गये थे। काफी दिन बीतने के बाद भी अर्जुन की तपस्या समाप्त नही होने पर द्रौपदी को अर्जुन की चिंता सताने लगी।श्री कृष्ण अन्तर्यामी थे वो द्रौपदी की चिंता का कारण समझ गये।तब श्री कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ व्रत -विधान का महत्त्व बताया। द्रौपदी ने जब सम्पूर्ण विधिविधान से करवा चौथ का व्रत किया तब द्रौपदी को इस व्रत का फल मिला और अर्जुन सकुशल पर्वत पर तपस्या कर शीघ्र लौट आये।
पूजन विधि–
इस दिन भगवान गणेश,चंद्रमा,शिव-पार्वती एवं स्वामी कार्तिकेय का पूजन किया जाता है। इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर करवा की पूजा की जाती है। बालू की वेदी बनाकर उस पर गणेश,चंद्रमा,शिव-पार्वती,कार्तिकेय स्वामी की स्थापना करें। अगर इन देवी देवताओं की मूर्ति न हो तो सुपारी पर धागा बांधकर ईश्वर की भावना रखकर स्थापित करें। करवों में लड्डू का नैवेद्य रखकर अर्पित करें। लोटा,वस्त्र व एक करवा दक्षिण दिशा में अर्पित कर पूजन का समापन करें।
पूजन के लिए निम्न मंत्रों से ईश्वर की आराधना करें——
1-गणेश –ॐ गणेशाय नम:
2-चंद्रमा–ॐ सोमाय नमः
3-शिव—-ॐ नमःशिवाय
4-पार्वती–ॐ शिवायै नमः
5-कार्तिकेय स्वामी–ॐ षंमुखाय नमः
करवा चौथ व्रत कथा पढ़े एवं सुने।चंद्रमा के उदित होने पर पूजा करें व चंद्रमा को अर्घ्य देकर चलनी में से पति का चेहरा देखें।इसके बाद स्त्री को अपनी सासू जी को विशेष करवा भेंटकर आशीर्वाद लेकर सुहागिन स्त्री,गरीबों व माता -पिता को भोजन कराएं और अंत में स्वयं व अन्य परिवार के सदस्य भोजन करें।
करवा चौथ पर महिलाओं द्वारा किया गया उनका श्रंगार —
वैसे तो किसी भी त्यौहार पर महिलाओं का सजना,संवरना स्वाभाविक है लेकिन जब बात करवा चौथ की आती है तो स्त्रियाँ कुछ विशेष ही तैयारियां करती हैं। इसके लिए उनकी तैयारी कई दिनों पहले से प्रारम्भ हो जाती है।इस दिन वो सोलह श्रंगार करती है। मेकअप के लिए ब्यूटीपार्लर बुक हो जाता है,क्यों कि उस दिन वो कुछ अलग दिखना चाहती हैं ।वो अपने हांथो में मेहँदी लगवाती हैं और ख़ास ड्रेस को भी चुनती है फिर गहनों का चयन होता है।गहनो में जो सबसे ख़ास चीज होती है वो है – नथ ।नथ के पहनने से उनकी सुन्दरता में चार चाँद लग जाते हैं।