नई दिल्ली। एम्ब्रेयर एयरकॉफ्ट डील में घूस की जांच के लिए रक्षा मंत्रालय की तरफ से सीबीआई को पत्र लिखा है। वर्ष 2008 में तत्कालीन यूपीए सरकार के दौरान ब्राजील की एक कंपनी द्वारा एम्ब्रेयर एयरक्रॉफ्ट खरीदने की डील हुई थी। दुनिया की तीसरी बड़ी एयरक्रॉफ्ट बनाने वाली ब्राजील की कंपनी एम्ब्रेयर से रक्षा मंत्रालय ने पूछा था कि क्या इस डील को पूरी करने की प्रक्रिया में यूके बेस्ड किसी बिचौलिए ने भूमिका निभाई थी।
दरअसल मीडिया में इस तरह की खबरें आ रहीं थी कि एक बिचौलिए के माध्यम से इस डील के एवज में भारत में घूस दी गयी थी। डीआरडीओ प्रमुख एस क्रिस्टोफर ने मंगलवार को रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर से मुलाकात कर उन्हें 20.8 करोड़ डॉलर के एम्ब्रेयर विमान सौदे के बारे में जानकारी दी। इस सौदे में रिश्वत दिए जाने का आरोप लगने के बाद यह सौदा विवादों में है। क्रिस्टोफर ने मंत्री के कार्यालय में उनसे मुलाकात की और उन्हें मामले की जानकारी दी। डीआरडीओ ने पहले ही ब्राजील की कंपनी एम्ब्रेयर से संपर्क कर मीडिया में आई रिश्वत संबंधी खबरों पर स्पष्टीकरण देने को कहा है। रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था कि अगर इसमें कोई आपराधिक पहलू है तो उसकी जांच सीबीआई करेगी। मंत्रालय तो जांच नहीं कर सकता है।
उन्होंने कहा था कि अगर यह मसला केवल प्रक्रिया से जुड़ा है तो रक्षा मंत्रालय आतंरिक जांच कर सकता है। यूपीए सरकार के कार्यकाल में एम्ब्रेयर के तीन विमानों के लिए हुआ समझौता अमेरिकी अधिकारियों की जांच के घेरे में है। अधिकारियों को संदेह है कि अनुबंध हासिल करने के लिए कंपनी की ओर से घूस दी गई थी। अमेरिका का न्याय विभाग संदेह के घेरे में आई कंपनी की जांच कर रहा है। स्वदेशी रडार और एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम से लैस तीन एयरक्रॉफ्ट खरीदने का सौदा 208 मिलियन डॉलर में तय हुआ। 2008 में यूपीए शासन-1 के दौरान एम्ब्रेयर से सौदा किया गया। करार के तहत पहला एयरक्रॉफ्ट भारत को 2011 में मिला और शेष दो एयरक्रॉफ्ट 2013 में मिले। अमेरिकी अधिकारियों ने इस विमान सौदे में कथित रिश्वत भुगतान की जांच शुरू कर दी है जबकि भारत ने कंपनी से 15 दिन के भीतर सूचना मांगी है। यह खबरें सामने आने के बाद कि 2008 का सौदा अमेरिकी न्याय विभाग की जांच के घेरे में आ गया है, जो ठेके हासिल करने के वास्ते कथित रिश्वत भुगतान को लेकर एम्ब्रेयर की जांच कर रहा था। रक्षा मंत्रालय सूत्रों ने कहा कि डीआरडीओ ने एम्ब्रेयर विमान निर्माता से 2008 में हस्ताक्षर हुए विमान सौदे पर आयी मीडिया की खबरों पर 15 दिन के भीतर सूचना मांगी है। कंपनी का कहना है कि वह बीते पांच साल के रिश्वत के गंभीर आरोपों को देख रही है। बता दें कि साल 2008 में एईडब्ल्यू ऐंड सी (एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम्स) के लिए स्वदेशी राडार से लैस तीन विमानों के लिए एम्ब्रेयर और डीआरडीओ के बीच सौदे पर हस्ताक्षर हुए थे। वहीं, बीजेपी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस पर हमला बोला।