“महाकुंभ 2025, प्रयागराज में दुनिया भर के श्रद्धालुओं का अद्भुत आध्यात्मिक संगम है। इस धार्मिक आयोजन में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम आस्था और शांति का प्रतीक बन चुका है, जहाँ विदेशी श्रद्धालु भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का अनुभव करने के लिए पहुंच रहे हैं।”
विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश: 144 साल बाद प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ ने न केवल भारत के भक्तों बल्कि दुनियाभर के श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित किया है।
यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम अनगिनत आस्थाओं और संस्कृतियों को एकजुट कर रहा है। विदेशी श्रद्धालु यहां मोक्ष की तलाश, आध्यात्मिक शांति और भारतीय संस्कृति का अनुभव करने आए हैं।
संगम में डुबकी: ब्राजील के फ्रांसिस्को का आध्यात्मिक अनुभव
“भारत दुनिया का आध्यात्मिक हृदय है,” संगम में डुबकी लगाने के बाद ब्राजील से आए फ्रांसिस्को।
फ्रांसिस्को बताते हैं, “मैं योग का अभ्यास करता हूं और मोक्ष की तलाश में हूं। संगम में डुबकी लगाना मेरे लिए जीवन बदलने वाला अनुभव है। यहां आकर मुझे आत्मा की शांति मिली है। जय श्रीराम।”
साउथ अफ्रीकी श्रद्धालु निक्की: ‘आस्था का महासागर अद्भुत है’
साउथ अफ्रीका की निक्की कहती हैं, “यहां की ऊर्जा अभूतपूर्व है। गंगा के संगम में डुबकी लगाकर मैं धन्य महसूस करती हूं।”
निक्की, जो सनातन धर्म का पालन करती हैं, भारत की संस्कृति और आध्यात्मिकता से गहराई से प्रभावित हैं। वह कहती हैं, “गंगा का पवित्र जल आत्मा को शुद्ध करता है। यहां आकर मेरी सभी इच्छाएं पूरी हो गईं।”
स्पेन के जोस: ‘यहां आकर धन्य हुआ’
स्पेन के जोस ने कहा, “महाकुंभ में आना मेरा सपना था, और यह अब पूरा हुआ।”
जोस बताते हैं, “मैंने गंगा में डुबकी लगाई और महसूस किया कि यह स्थान अनमोल है। मुझे भारत आने का मौका मिला, और यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा अनुभव है।”
स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पावेल जॉब्स: भारतीय संस्कृति से प्रेरणा
स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पावेल जॉब्स ने महाकुंभ में भारतीय आध्यात्मिकता का अनुभव किया।
लॉरेन बताती हैं, “स्टीव हमेशा भारत के आध्यात्मिक पक्ष की तारीफ करते थे। यहां आकर मैंने उनकी बातों का मतलब समझा। महाकुंभ में आना आत्मा को छू लेने वाला अनुभव है। यह देश एक गहरा संदेश देता है—शांति, समर्पण और मोक्ष।”
रूस के जेरेमी: ‘आस्था और तर्क का मेल’
रूस के जेरेमी ने कहा, “यहां आस्था और तर्क का अद्भुत संतुलन है। सात साल से सनातन धर्म का पालन कर रहा हूं।”
जेरेमी कहते हैं, “भारत में धर्म को केवल आस्था नहीं, बल्कि एक तर्कसंगत जीवनशैली के रूप में देखा जाता है। महाकुंभ इस बात का प्रमाण है कि आध्यात्मिकता जीवन को सही दिशा में ले जाती है।”
कार्लोस (कोलंबिया): ‘सपना पूरा हुआ’
कार्लोस गंगा किनारे मोक्ष की प्राप्ति के लिए आये हैं
कोलंबिया के कार्लोस ने कहा, “44 साल बाद भारत आकर महाकुंभ का हिस्सा बनना मेरा सपना था।”
कार्लोस ने कहा, “मैंने गंगा किनारे ध्यान किया और महसूस किया कि यह स्थान ईश्वर के सबसे करीब है। यह अनुभव मेरे जीवन को बदलने वाला है।”
शाही स्नान की तैयारी: विदेशी श्रद्धालुओं की उम्मीदें
विदेशी श्रद्धालु शाही स्नान के लिए संगम की ओर बढ़ते हुए।
“शाही स्नान का हिस्सा बनना हमारे लिए गर्व की बात है,” जोनाथन, अमेरिका।
संगम का भव्य दृश्य
“गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम: आस्था का महासागर।”
महाकुंभ 2025: विश्व के लिए भारतीय संस्कृति का संदेश
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, आस्था और मानवता का जश्न है। यह आयोजन दुनियाभर के लोगों को आध्यात्मिक शांति और मोक्ष का संदेश देता है।
भारत के इस अनोखे आयोजन ने विदेशी श्रद्धालुओं के मन में एक स्थायी छाप छोड़ी है। यहां की संस्कृति, परंपराएं और लोग यह संदेश देते हैं कि भारत में हर व्यक्ति का स्वागत खुले दिल और आत्मीयता से किया जाता है।
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